उत्तर प्रदेश देश का वह राज्य जहां से दिल्ली की सत्ता के लिए राजनीतिक दलों के दरवाजे खुलते हैं। आज वही राज्य दिन ब दिन अपना खराब हो रहे हालात पर खूंन के आंसू रो रहा है। उन आसुओं की हर बूंद चीखकर बस यही बात कह रही है कि रहम करो अब। आखिर हमें कितना बदनाम करोगे। प्रदेश में राज कर रही सपा सरकार को न तो बहते आंसू नज़र आ रहे हैं, न ही चीख सुनाई पड़ रही है। अपराधियों के हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं। महिलाओं के उत्पीड़न, अत्याचार एवं बलात्कार की घटनायें प्रदेश में निरन्तर बढ़ती जा रही हैं। सपा की सरकार बने हुए। साल बीता था कि प्रदेश में बलात्कार, मर्डर, अपरहण जैसे जघन्य अपराधओं के मामले में हजारों का आकड़ा पार कर लिया था। इन मामलों को अंदेखा करते हुए सरकार अभी अपनी जीत का जश्न मनाने में मशहूल थी। धीरे-धीरे समय बीतता गया और अपराध की लगाम कसने की बजाय ढीली होती गई। गुंडागर्दी और माफियाओं का दौर शुरू हो गया। सूबे के नौजवान मुखिया अखिलेश यादव के दावा किया था कि सरकार बनी तो प्रदेश में हो रहे अपराध (जुर्म) की तस्वीर बदल देंगे। बात तो सही थी मुखिया जी की सच में तस्वीर बदल गई। अब उन्होंने ये तो नहीं कहा था कि बढ़ते अपराध का ग्राफ कम कर देगें। तस्वीर बदलने की बात कही कम अपराध को बढ़ाकर बदल दी तस्वीर। महिलाओं से बलात्कार के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है प्रदेश में इंसान नही दरिंदे रहते हो। इन दरिंदों पर लगाम लगाने में सरकार और उनकी पुलिस नाकाम हो रही है। हो भी क्यों न जब ऐसी कोई घटना प्रदेश में घटती है तो विपक्षी दल के हमले तेज होते ही सरकार की बचाव में उतरे सपा नेताओं के अजीब-गरीब बयान आने लगते हैं। सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने कहा था कि जब लड़कियों लड़कों के रिश्ते सामने आ जाते हैं तब इसे बलात्कार करार दिया जाता है। लडकियां और लडके जब प्रेम प्रसंग सें खुद विवाह करने को तैयार होते हैं या कर लेते है तब लेकिन परिवार के लोग झूठी शान के लिए उनकी हत्या कर देते है। दुखद और गंभीर बात यह है कि ऐसी घटनाएं नहीं रुक रहीं हैं। दूसरे जगहों पर भी ऐसी घटनाएं होती हैं पर वे सुर्खी नहीं बन पाती है। कानून व्यवस्था सही करने के बजाय जब ऐसे बयान दोगें तो किसका मनोबल बढ़ेगा। राज्य की पुलिस भी यही सोचेगी की दूसरे प्रदेशों में भी ऐसी वारदाते होती रहती है नेता जी ने ऐसा बोल ही दिया है अब क्या घबराना। अपराधियों के हौसलों में जान वापस आ गई बिना डरे कुछ भी करो अपना ही राज है। बदायूं के सामुहिक दुष्कर्म और हत्या ने तो सबके रूह को कंपा दिया था। सरकार की फजीहत का दंश झेल रहे सूबे के मुखिया अखिलेश यादव से राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे जब पत्रकारों ने सवाल पूछा था तो हैरान करने वाला जवाब उन्होंने पलटकर कहा, कि आशा करता हूं कि आपको कोई खतरा नहीं हुआ है। अब मुखिया जब ऐसा बोलेगें तो पुलिस का मनोबल कैसे बढ़ेगा। बदायूं के कांड के बाद अफसरों के निलंबन और तबादले का खेल सरकार ने खेलना शुरू किया। कहते है कि पुलिस चाहे तो अपराधी को पाताल से खोज निकाले पर ऐसा क्या है कि उत्तर प्रदेश में अपराधी पाताल से भी नीचे चले गए जो पुलिस वहां तक नही पहुंच पा रही है। बदायूं घटना के बाद यदि सरकार चेत जाती तो मोहनलालगंज में महिला के उत्पीड़न को रोका जा सकता था। अपने को समाज के हित में कार्य करने की बात कहने वाली समाजवादी पार्टी आखिर समाज हित से कैसे भटक गई या फिर अपने दो रूपों के साथ दिखावा कर रही है। महिलाओं के सुरक्षा की बात करने वाली ये सरकार ने महिला आयोग के बजट में करीब 85 फीसदी की कटौती की और इसी दौरान चार लग्जरी गाड़ियां खरीदी। इसका खुलासा सामाजिक कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा आरटीआई के माध्यम से किया था। अखिलेश सरकार अभी अपने कार्यकाल के आधे पड़ाव को पार कर पाई है। इस आधे पड़ाव में प्रदेश की ऐसी दुर्दशा है तो आखिरी तक पहुचते- पहुंचते क्या होगा। ये प्रदेश की कानून व्यवस्था अब राम भरोसे चल रही है। हर दिन बलात्कार और मर्डर के मामले सामने आने लगे हैं। खास कर इस प्रदेश में ऐसा लगता है महिलाएं सुरक्षित नहीं है। मुख्यमंत्री और पार्टी नेता ऐसे बेढंगे बयान न देकर अगर उतना ध्यान कानून व्यवस्था को सही करने में लगाएं तो सरकार की फजीहत भी नहीं होगी।
