दरिंदगी

-रवि श्रीवास्तव-
poem

समाज में फैल गई गंदगी,
हर तरफ दिख रही दरिंदगी,
नारी के शोषण में तो,
देश रहा है अब तक झेंप,
कड़ी सज़ा मिले उन सबको,
जो करते हैं महिलाओं का रेप।
नहीं नज़र आती है उनको,
उस नारी में बहन बेटी,
अपनी इज्ज़त को को इज्ज़त समझे,
दूसरों की करते हैं बेइज्ज़ती।
ऐसे दरिंदों को तो,
मौत से भी बत्तर सज़ा मिले,
सोचें अगर रेप के बारे में,
रुह पहले उनकी कांप उठे।

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