दहशत के वो पलः एक आतंकवादी !

संजय सक्सेना

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के नतीजे होली से ठीक दो दिन पूर्व 11 मार्य को आने थे। चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह से तमाम दलों के नेताओं और उनके समर्थकों के बीच मनमुटाव बढ़ने और रंजिश की खबरें आई थी,उसको देखते हुए शासन-प्रशासन एलर्ट पर था।2012 में समाजवादी पार्टी के पक्ष में नतीजे आने के बाद सपा के नाम पर जिस तरह की अराजकता देखने को मिली थी,उसे लाॅ एंड आर्डर की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारी भूले नहीं थे,इसी लिये अधिकारी हर परिस्थति से निपटने के लिये मुस्तैदी दिखा रहे थे। छोटे-बड़े तमाम अधिकारियों के बीच बैठकों का दौर चल रहा था,सभी को चिंता सता रही थी कि नतीजे आने के बाद चुनावी रंजिश की छाया रंगों का त्योहार होली बदरंग न कर दे, तो दूसरी तरफ निर्वाचन आयोग की नजरें पूर्वाचल की 40 सीटों पर अंतिम चरण में होने वाले मतदान पर टिकी थीं। इस सब से बेफ्रिक लखनऊ की अमन-चैन पसंद जनता अपनी दिनचर्या में व्यस्थ थी, होली का त्योहार सिर पर था तो बाजार में खरीददारों का हुजूम उमड़ पड़ा था।
उस दिन 07 मार्च मंगलवार का दिन था। दोपहर करीब चार-साढ़े चार बजे के करीब का समय था। लखनऊ के भीड़भाड़ वाली अमीनाबाद बाजार में तो रौनक कुछ ज्यादा ही देखने लायक थी, आखिर होती भी क्यों न अमीनाबाद की बाजार मध्यम श्रेणी के ग्राहकों को काफी रास आती है। भीड़ का आलम यह था कि सड़के खरीददारों से पट गई थी। आदमी चिंटी की तरह रंेग कर आगे बढ़ रहा था ग्राहकों और दुकानदारों के लिये यह समय महत्वपूर्ण था। तभी लोंगों के बीच सुगबुगाहट सुनाई पड़ने लगी। सब एक-दूसरे को सवाल भरी नजरों से देख रहे थे। कोई थोड़ा संकोच के साथ तो कोई अचंभित होकर बता रहा था कि हाजी कालोनी,ठाकुरगंज(लखनऊ) के एक घर में आतंकवादी घुसे हुए हैं। कुछ लोंगो के घरों से भी मोबाइल पर संदेश आ गया था कि आतंकवादी शहर में घुस आये हैं, पुलिस से मुठभेड़ चल रही है। देखते ही देखते पांच से सात मिनट के भीतर यह खबर आम हो गई। अपवाद को छोड़कर अधिकांश खरीददारों ने घर का रूख करने में ही बेहतरी समझी, जिस अमीनाबाद में दस मिनट पहले तक सड़क पर रेंग-रेंग के लोग चल रहे थे,वहां सड़के खुली-खुली नजर आने लगी थीं। भीड़ छंट गई थी। इसका एक कारण यह भी था कि यहां ज्यादातर लोग परिवार के साथ खरीददारी करने आते हैं और महिला ग्राहकों की संख्या काफी अधिक रहती है। इस बीच पुलिस भी एलर्ट हो चुकी थी, पुलिस जिस तरह से एक्टिव थी,उससे भी लोंगो को दाल में कुछ काला नजर आ रहा था। यही हाल पुराने लखनऊ की करीब-करीब सभी बाजारों में देखा जा रहा था। चैक तो पहले ही दो दिन पूर्व सर्राफा बाजार में पड़ी तीस करोड़ की डकैती से दहला हुआ था। शहर में आतंकवादी होने की खबर ने यहां के व्यापारियों के माथे पर बल डाल दिये। पूरा शहर मानो एलर्ट की मुद्रा में आ गया था।
पूरी दुनिया में जिस लखनऊ की तहजीब मशहूर हैं और यहां की गंगा-जमुनी भाईचारे की चर्चा होती है, वहां आतंक के नाम पर लोंगों में दहशत भर गई थी। ऐसा नहीं था कि आज से पहले लखनऊ में आतंकवादी पकड़े नहीं गये थे,लेकिन आतंकवादियों और पुलिस वालों के बीच मुठभेड़ की खबर पहली बार सामने आई थी। कोई कह रहा था कि घर में एक ही आतंकवादी है तो कोई इनकी संख्या दो से तीन बता रहा था। कोई इस मुठभेड़ की तुलना कश्मीर में होने वाली मुठभेड़ों से कर रहा था तो कई इसे एक वर्ग विशेष के साथ जोड़कर देख रहे थे। संकेत इस बात के भी मिलने लगे थे किं घर में घुसे आतंकवादी के तार आईएसआईएस से जुड़े हैं और यह लोग उत्तर प्रदेश में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे।
दरअसल, मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के छोटे से रेलवे स्टेशन जबड़ी से 300 मीटर की दूरी पर भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन के एक डिब्बे में 07 मार्च 2017 की सुबह विस्फोट हुआ था,इसमें नौ यात्री गंभीर रूप से घायल हो गये थे। इसके बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया था। तीनों उत्तर प्रदेश के थे। इन लोंगो से पूछतांछ मे पता चला कि इन्हीं ने पैसेंजर टेªन में बम प्लांट किया था। पूछ ताछमें ही पता चला कि इनके और साथी कानपुर,अलीगंढ़,इटावा और लखनऊ में ठिकाना बनाये हुए हैं। मध्य प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने उत्तर प्रदेश एटीएस को इसकी जानकारी दी, इसके बाद उत्तर प्रदेश के कई जिलों से 08 आतंकवादी पकड़े गये। मगर इसी कड़ी में जब एकं और आतंकवादी की तलाश में एटीएस की टीम लखनऊ पहुंची तो यहां उसे आतंकवादी से जर्बदस्त चुनौतीं का सामना करना पड़ा। एटीएस ने आतंकवादी को पकड़ने के लिये चिंहित घर पर दस्तक दी तो अंदर से फायरिंग होने लगीं, कई बार एटीएस वालों ने आतंकवादीं से हथियार डालने को कहा,लेकिन हर बार अंदर से यही आवाज आती कि हमें सरेंडर नहीं शहादत चाहिए हैं। जबकि एटीएस टीम चाहती थी कि आतंकवादी को जिंदा पकड़ा जाये ताकि उससे अधिक से अधिक जानकारी हासिल की जा सके,मगर एटीएस के मंसूबे कामयाब नहीं हो पाये और करीब 12 घंटे की मुठभेड़ के बाद आतंकवादी सैफुल्लाह को कथित शहादत मिल ही गई। सैफुल्लाह के पिता ने पुत्र का शव लेने से इंकार कर दिया। इसके बाद पुलिस ने सैफुल्लाह का के शव को मुस्लिम रीतिरिवाज से दफनाया दिया। बाद में यह भी पता चला कि सैफुल्लाह के अलावा एटीएस ने कानपुर सहित अन्य जिलों से जिन आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था।उसमें से तीन सफुल्लाह के चचेरे भाई थे।
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि आइएस से जुड़े संगठन आइएसआइएस खुरासान लखनऊ-कानपुर माड्यूल द्वारा बाराबंकी जिले के एक कस्बे में 27 मार्च को विस्फोट की योजना बना रखी थी। लखनऊ का इमामबाड़ा सहित कई दरगाह और लखनऊ-दिल्ली मार्ग पर चलने वाली टेªनें भी इनके निशाने पर थीं। एडीजी एटीएस कानून-व्यवस्था दलजीत सिंह चैधरी ने बताया कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में खुरासान माड्यूल के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। खुरासान सीरिया की एक जगह है जहां से इन युवाओं के संपर्क बने हैं। पता यह भी चला कि पकड़े गये आतंकवादियों के हौसले काफी बुलंद थे,उन्होंने और कई निशाने भी तलाश रखे थे । घटना की शुरुआत मध्य प्रदेश में भोपाल-उज्जैन पैसेंजर में विस्फोट से हुई थी और विस्फोट की साजिश कानपुर के जाजमऊ इलाके में सैफुल्लाह ने रची थी। इसके लिए लखनऊ के काकोरी थाना क्षेत्र के हाजी कालोनी में किराये का मकान लेकर तैयारी की गयी। साजिश में सैफुल्लाह के अलावा कानपुर केएडीए कालोनी निवासी दानिश अख्तर उर्फ जफर, अलीगढ़ के इन्द्रानगर निवासी सैयद मीर हुसैन उर्फ हम्जा और कानपुर के जाजमऊ निवासी आतिश मुजफ्फर के अलावा कुछ अन्य सदस्य भी शामिल थे। सैफुल्लाह और एक साथी को छोड़ यही तीनों मप्र विस्फोट ऑपरेशन में गए। विस्फोट के बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने दानिश, मीर हुसैन और आतिश को पिपरिया से गिरफ्तार किया या।
उधर, आइएसआएस के नेटवर्क की छानबीन में सक्रिय तेलंगाना पुलिस को आतंकियों की योजना का पता चला तो उत्तर प्रदेश एटीएस से संपर्क किया। बताया कि मध्य प्रदेश में विस्फोट की साजिश लखनऊ में रची गयी और इसके तार कानपुर से जुड़े है। कानपुर में पकड़े गये आरोपियों के कब्जे से मिले लैपटाप में एटीएस टीम को आइएस के भड़काऊ साहित्य के अलावा बम बनाने की तरकीब का वीडियो फुटेज मिला है। इस ग्रुप के कई सदस्यों के फोटोग्राफ भी मिले हैं। वैसे इन आतंकवादियों के आईएसआईएस से संबंध थे या फिर यह लोग इससे प्रभावित थे,इसको लेकर भी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश पुलिस में विरोधाभास देखने को मिला। मध्य प्रदेश पुलिस जहां आतंकवादियों के तार आईएस से जुडे होने की बात कह रही थी वहीं यूपी पुलिस को लग रहा था कि इनके तार आईएस से नहीं जुड़े थे,बल्कि यह लोग आईएस से प्रभावित थे।असल में भोपाल-उज्जैन पैसंेजर टेªन में बम विस्फोट के बाद एक पर्चा भी सामने आया था जिसमें लिखा था,‘ अब हम भारत में आ चुके हैं- इस्लामिक स्टेट।’ वैसे यहां यह बताना भी जरूरी है कि यूपी के एडीजी लाॅ एंड आर्डर दलजीत सिंह ने पहले मध्य प्रदेश पुलिस जैसा ही बयान दिया था,बाद में वह अपनी बात से पलट गये थे।
यूपी में नई नहीं है आईएस की दस्तक
दुनिया के कुख्यात आंतकी संगठन आईएस ने भले ही हिन्दुस्तान में पहली बार कोई बड़ा कारनामा किया हो लेकिन इसकी दस्तक उत्तर प्रदेश में काफी पहले से महसूस की जा रही थी। लखनऊ के इंदिरा नगर से 22 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किए गए मो0 अलीम पर यही आरोप लगाया गया था कि उसने आईएस में भर्ती की कमान संभाल रखी थी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने यूपी एटीएस की मदद से अलीम को गिरफ्तार किया था। खुफिया एजेंसियों का मनाना है कि आईएस के नेटवर्क से जुड़े लोग सोशल मीडिया के माध्यम से युवा वर्ग को दिग्भ्रमित कर अपने जाल में फंसाते है। छानबीन में यह बात सामने आई थी अलीम आईएस को विस्तार देने में मुहिम में लगा हुआ था।
अलीम की गिरफ्तारी 9 दिसंबर 2015 में नई दिल्ली में एनआईए द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में की गई थी। इसमें अलीम का नाम रूड़की (उत्तराखंड) से हुई अखलाक की गिरफ्तारी से सामने आया था।आईबी व दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के संयुक्त आॅपरेशन में अखलाक के साथ मेराज, अजीम व ओसामा को भी गिरफ्तारी किया गया था। अखलाक ने पूछताछ में लखनऊ के अलीम से 50 हजार रूपये मिलने के बाद कुबूल की थी। इसी प्रकार से प्रदेश में पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आईएसई के एजेंट भी सक्रिय है, समय-समय पर उनकी गिरफ्तारी भी हुई है। राजस्थान पुलिस की सूचना पर यूपी एटीएस ने अगस्त 2016 में जमालुद्दीन को गिरफ्तार किया था। बाद में राजस्थान पुलिस उसे लेकर जयपुर चली गई थी। सीआईडी राजस्थान की ओर से आफिशियल सीक्रेट एक्ट की धारा 8 के तहत नोटिस देकर जमालुद्दीन को एटीएस लखनऊ के कार्यालय में बुलाया गया था बयान व जांच उसकी संलिप्तता पाए जाने पर 24 अ्रगस्त 2016 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। हवाला व वेस्टर्न यूनियन से आते थे पैसे जमालुद्दीन से पूछताछ में एटीएस को कई चैंकाने वाली जानकारी मिली थी पता चला था कि जमालुद्दीन दक्षिण अफ्रीका भी जा चुका है।

संसद में भी गंूजा मामला
09 मार्च को संसद के बजट सत्र का जब दूसरा चरण शुरु हुआ तो यहां भी लखनऊ में मारे गये आतंकवादी की गंूज सुनाई दी। लखनऊ एनकाउंटर पर सदन में जवाब देते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सैफुल्लाह ने सरेंडर करने से इनकार कर दिया था और सबूत तथा सूचना के आधार पर कार्रवाई हुई। गृहमंत्री ने कहा कि सैफुल्लाह के मकान पर एटीएस ने छापा मारा और सैफुल्लाह के पास 8 पिस्टल मिले। उन्होंने कहा कि लखनऊ एनकाउंटर की जांच एनईआईए करेगा।
बेटे से घृणा, बाप से सहानुभूति
सैफुल्लाह के पिता के बयान का जिक्र करते हुए गृह मंत्री राजनाथ ने कहा कि उन के प्रति हमारी सहानुभूति है, सैफुल्लाह के पिता पर हमें ही नहीं पूरे देश को नाज है। इस बीच लखनऊ एनकाउंटर को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि सरकार आतंकवाद पर लगाम लगाने में नाकाम रही और देश आईएस का गढ़ बन गया।
सियासत भी जारी
लखनऊ में आतंकवादी का एनकांउटर होते ही हमेशा की तरह इस पर सियासत भी शुरू हो गई है। सबसे पहले कांगे्रस वरिष्ठ नेता पीसी चाको ने एनकांउटर की टाइमिंग पर सवाल उठाया। उनको लग रहा था सांतवें चरण के मतदान से चंद घंटे पूर्व की इस वारदात से वोटिंग पर असर पड़ सकता है। चाको ने कहा पीएम यूपी में मौजूद हों,प्रदेश के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा की नजर हो, उसके बावजूद ऐसी घटना हो जाये,इसका मतलब है कि केंद्र की पकड़ कमजोर है।चाकों ने केन्द्र सरकार से एनकांउटर का सबूत भी मांगा।आतंकवाद से जुडे किसी भी मामले में तेजी दिखाने वाले कांगे्रस के बुजुर्ग नेता दिग्विजय सिंह ने हमलावर रूख अपनाते हुए कहा पीएम ने कहा था कि नोटबंदी से आतंकवाद खत्म हो जायेगा,लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हुआ। केन्द्र मुस्लिमों के साथ भेदभाव कर रहा है्र।उसकी नीतियों के कारण ही युवा आईएस की ओर खिंच रहे हैं। उधर रिहाई मंच के अध्यक्ष मो0 शोयब ने पुलिस के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा खबरों के अनुसार भोपाल में टेªन ब्लास्ट शार्ट सर्किट से हुआ था न कि आईईडी से। शोयब ने पूछा सैफुल्लाह इतनी जल्दी लखनऊ कैसे पहुंच सकता है। रिहाई मंच के अध्यक्ष के अनुसार पुलिस के दावों के खिलाफ स्थानीय लोंगो ने घर के अंदर से फायरिंग की आवाज सुनी ही नहीं थी। अगर फायरिंग होती तो गोली के निशान दिखाई पड़ते।

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