
—विनय कुमार विनायक
जब देश धर्म खतरे में था
हिंदुत्व कर रहा था चीत्कार
ऐसे ही संकट की घड़ी में
सोढ़ी राय गुरु गोविन्द ने
राम की मर्यादा भक्ति,
कृष्ण के गीता का ज्ञान
सहस्त्रबाहु की ले तलवार,
लिया सिंह का अवतार
एक संत सिपाही बनकर,
तीन पुश्त की बली देकर
देश, धर्म, जाति का किया
दशमेश गुरु ने उद्धार
जब कश्मीरी हिन्दुओं पर
औरंगजेब का यह फरमान
“छः माह में मुस्लिम बनो
नहीं तो होगा कत्ल-ए-आम”
सुनकर नवम गुरु तेग बहादुर
जब बहुत हुए परेशान,
दशम गुरु ने तब भेद बताया
‘करो पिताश्री आत्म बलिदान’
गदगद हो नवमगुरु तेग बहादुर ने
हिन्दुओं को आश्वस्त करके
औरंगजेब को भेजा था पैगाम
‘पहले मुझे मुस्लिम बना लो
फिर शेष देश होगा मुसलमान’
गो-ब्राह्मण-हिन्दुत्व के खातिर
नवम गुरु ने दे दी अपनी जान
देख पिता के कटे सीस को
गुरु गोविंद राय सोढ़ी के श्रीमुख से
निकला था दर्द भरा उद्गार-
“साधन हेत इन जिनी करी
सीस दिया पर सी न उचारी।
धर्म हेत साका जिनी किया
सीस दिया पर सिरुर न दिया।”
ऐसे ही महामानव जो धर्म हित में
कटे पिता के शीश पर
किए नहीं हाहाकार
ऐसे ही महा मानव जो देश हित में
पुत्र जोरावर और फतेह सिंह की
शहादत पर रोए नहीं जार-बेजार
ऐसे ही महामानव जो जाति हित में
वार के सुत चार कहते-
‘चार मुए तो क्या हुआ
जीवित कई हजार!’
ऐसे ही महामानव पर हम देते
निर्गुण ब्रह्म को भी नकार
ऐसे ही महामानव की हम करते
प्रतिमा पूजन भी स्वीकार
ऐसे ही महा मानव होते
निर्गुण ब्रह्म के सगुण अवतार
ईश्वरीय अवतार वही
जो ईश्वरीय काम करे
देश धर्म जाति हेतु
सर्वस्व आत्मबलिदान करे
भय, भूख, आतंक, गुलामी से
दो चार करे/जग का उपकार करे
जो जन गण का परित्राण करे
वही हमारे ईश्वर हैं,
वही हमारे हैं भगवान
राम हमारे, कृष्ण हमारे,
बुद्ध हमारे महावीर हमारे,
दशमेश गुरु गोविंद हमारे
देश धर्म और मानवता पर
जिन्होंने किया अपना
सर्वस्व आत्म बलिदान
ऐसे नहीं तो कैसे
होते हैं भगवान?