कविता

बेटी को प्रणाम

poem

हे दिव्य प्रेम की शिखर मूर्ति

तुम ही हो जननी

भगिनी तुम्हीं

तुम्हीं हो पत्नी

पुत्री तुम्हीं।

हे कोटि कंठों का दिव्य गान

तुम ही हो भक्ति

शक्ति तुम्हीं

तुम ही हो रिद्धि

सिद्धि तुम्हीं

तुम ही हो शान्ति

क्रान्ति तुम्हीं

तुम ही हो धृति

कृति तुम्हीं

तुम ही हो मृत्यु

सृष्टि तुम्हीं

तुम ही हो मेधा

कृति तुम्हीं

ऐश्वर्य तुम्हीं

सौन्दर्य तुम्हीं

तुम ही श्री हो

स्मृति तुम्हीं।

हे कोटि जनों की दिव्य श्रद्धा

तुम ही हो दुर्गा

लक्ष्मी तुम्हीं

तुम सरस्वती

गायत्री तुम्हीं।

हो पूजित सर्वाधिक तुम ही

हो भारत माता रूप तुम्हीं।

वन्दे मातरम! वन्दे मातरम!