लेख

देवनागरी और रोमन लिपि विवाद

-डॉ. मधुसूदन –
hindi

-भाग एक-

(एक) विचार की शीघ्रता।
जिस शीघ्रता से, धारा प्रवाह विचार आप हिंदी या जन भाषा में कर सकते हैं, उतनी शीघ्रता से अंग्रेज़ी में करना सर्वथा कठिन ही नहीं, पर प्रायः असंभव ही होगा। शीघ्र विचार का माध्यम प्रायः हमारी अपनी भाषाएं ही होती हैं। क्योंकि विचार शब्दों द्वारा किया जाता है; और जब आप विचार करते हैं, तो आपके मस्तिष्क में शब्द मालिका चलती है। अंग्रेज़ी के शब्दों की अपेक्षा, हिन्दी के शब्द भी संक्षिप्त होते हैं; तो शब्द-प्रवाह शीघ्रता धारण करता है। विचार भी शीघ्र होता है। इसी कारण, आप हिन्दी में लिखा हुआ लेख भी शीघ्रता से पढ़ सकते हैं; क्योंकि हमारी हिन्दी बिना स्पेलिंग की भाषा है।

और शीघ्रता का दूसरा कारण हिंदी की देवनागरी लिपि भी है। जैसे आपकी आंख शब्द पर सरकती हुयी बढ़ती है; आप प्रत्येक अक्षर पढ़ते पढ़ते आगे बढ़ते हैं। अक्षरों से शब्द बनते हैं; शब्दों से वाक्य। और वाक्य अपना अर्थ जगाते जगाते जानकारी देते हैं। सोचिए, यह पढ़ते पढ़ते भी आप लेखक से जुड़ते हैं, साथ-साथ सोच भी रहे हैं। यह हमारी भाषा का, और देवनागरी का प्रताप है।

(दो) अंग्रेज़ी स्पेलिंग (शब्द-वर्तनी) लिपि है।

पर अंग्रेज़ी भाषा पराई और स्पेलिंग (शब्द-वर्तनी)लिपि लिखित है। **अंग्रेज़ी में शब्दों की वर्तनी चिह्नांकित की जाती है।** इसलिए, आप अक्षर-क्रम में, पढ़ नहीं सकते।
उदा: यदि Celebration शब्द पढ़ा जा रहा हो, तो आप “सी इ एल इ बी आर ए टी आय ओ एन” ऐसे अक्षर पढ़ते नहीं है। “सेलेब्रेशन” पढ़ते हैं। और आपको पढ़ने के पहले शब्द की स्पेलिंग जाननी ही पड़ती है। शब्द का अर्थ अलग से (रट कर) जानना होता है। इस लिए पूरे स्पेलिंग पर दृष्टि दौड़ाए बिना शब्द का सही उच्चारण भी किया नहीं जा सकता।
आप पहले स्पेलिंग का कवच भेदते हैं; फिर उच्चारण पता चलता है। फिर शब्द का चर्चित विषय से संदर्भित अर्थ से आप जानकारी पाते हैं।

ऐसी प्रक्रिया भी अभ्यास करने पर कुछ शीघ्रता से होती है। पर हमारी अपनी भाषा की बराबरी नहीं कर सकती। तुलनात्मक दृष्टिसे देखने पर मान्यतः देवनागरी लिखित भाषा निस्सन्देह अनेकगुना लाभदायी होगी। रोमन लिपि में लिखे शब्दों के, दो चार उदाहरण से स्पष्ट किया जा सकता है।

(क) circulation और calculation. (ख) वैसे ही celebration और Calibration.पढने का प्रयास करें।
पहले कहा जा चुका है कि पूरा शब्द पढ़े बिना आप उसका उच्चारण भी नहीं कर पाएंगे। और पढ़ने के लिए शब्द का स्पेलिंग भी आप को पता होना ही चाहिए।

(तीन) देवनागरी का शब्द
पर देवनागरी का शब्द आप बिना स्पेलिंग या वर्तनी, पढ़ सकते हैं। शब्द का अर्थ शायद आपको पता न हो। तो आपको मात्र अर्थ ही (रटना) जानना होगा। अंग्रेज़ी की भांति स्पेलिंग तो रटनी ही नहीं पड़ेगी। और अर्थ भी डिक्शनरी में देखना नहीं पड़ेगा। हमें एक और लाभ यह है कि बहुत सारे हमारे शब्दार्थ भी आपस में जुड़े होते हैं। अर्थ भी बहुत बार ऐसे छलांग लगाकर अनुमान किया जा सकता है। आलेख की सीमा में, एक ही उदाहरण प्रस्तुत है। ऐसे जुड़े हुए शब्दों को शब्द-श्रृंखला नाम देते हैं।

(चार) ’फल’ की शब्द श्रृंखला।

फल, सफल, विफल, सुफल, कुफल, फलतः, फलस्वरूप, फलित, फलकामी, फलेच्छा, फलना-फूलना, साफल्य, सफलता, विफलता, फलाहार… ऐसी अनेक शब्द श्रृंखालाएं दिखाई जा सकती है। पर, ऐसी सामान्य जानकारी पाठ्यक्रम में सिखाने पर शब्दों को थोक मात्रा में सिखाया जा सकता है। … और उदाहरण देने का मोह त्यागकर आगे बढ़ते हैं।

(पांच) अंग्रेज़ी और हिंदी शब्द विचार
अंग्रेज़ी में प्रत्येक शब्द का स्पेलिंग उच्चारण और अर्थ तीन अंग जानने होंगे। हिंदी में मात्र अर्थ ही आपको सीखना होगा। उच्चारण नियमबद्ध है। स्पेलिंग है ही नहीं। अर्थ जानने में भी हमें शब्द श्रृंखलाएं काम आ सकती है। एक ओर अंग्रेज़ी का उच्चारण कोई निश्चित नियमाधीन नहीं होता। इस लिए अंग्रेज़ी में पूरा शब्द ग्रहण किए बिना शब्द को देखते ही शब्दोच्चारण संभव नहीं। पर हिंदी में अक्षर-अक्षर पढ़कर पूरा शब्द पढ़ना संभव हो जाता है। इसी में आपका बहुमूल्य समय बचता है। आप की पढ़ने की गति अनुमानतः दोगुनी तो हो ही जाती है।
यह गुण बहुत बहुत उपयोगी है। कैसे?

छात्र कम वर्षों में पढ़ायी कर सकता है। सूचनाएं शीघ्र दी जा सकती हैं। अकस्मात संकट में सम्प्रेषण शीघ्रता से हो सकता है। इसी को आगे देखें।

(छः) अकस्मात संकट में।

अकस्मात संकट के समय दूरभाष पर, संक्षिप्त सूचना अंग्रेज़ी की अपेक्षा हिन्दी में देने से प्रायः आधा समय बचता है। आप भी दूरभाष पर, अंतर्राष्ट्रीय बातचीत हिंदी और अंग्रेज़ी में कर के, तुलना कर सकते हैं। मेरा तर्क बिना प्रयोग स्वीकार ना करें। विमान चालकों को अकस्मात टालने के लिए भी, ऐसी भाषा से, सहायता जीवन-मरण का अंतर करवा सकती है। यह कोई नगण्य उपयोग नहीं कहा जा सकता। उदाहरण काल्पनिक है, पर वास्तव लक्ष्यी है। दूरभाष पर, बहुमूल्य समय बचता है। जी हां, आपके प्राण भी बचने की संभावना इसी से बढ़ जाती है।

हमारे देश के अंतर्गत इसका आवश्यक गणित कर अनुमानित अध्ययन प्रकाशित करें। और हमारे वैमानिक दूरभाष से, प्रयोग कर देखें कि समय बचता है, या नहीं। अंतर्भारतीय उड़ानों के लिए ऐसे हिंदी का प्रयोग एक सक्षम सशक्त माध्यम है। इसी से राष्ट्र भाषा का श्रीगणेश भी होगा। यहां अंग्रेज़ी की अपेक्षा हिन्दी कम से कम, दोगुना लाभदायी होगी। रेल गाड़ी का भी यही हिसाब होगा। अंग्रेज़ी के कारण स्पष्ट सूचनाएं चालकों के समझ में नहीं आती, और अकस्मात होते रहते हैं। स्मरण हो रहा है, प्रवक्ता में ही इस विषय का आलेख पढ़ा था। अंग्रेज़ी की झूठी शान हमें अकस्मात भी स्वीकार करवाती है। और हम मौन हो जाते हैं।

(सात) अंग्रेज़ी अक्षर भी हिंदी से कम है।

अंग्रेज़ी अक्षरों की कमी उसको अपर्याप्त बना देती है। क्योंकि अंग्रेज़ी में कुल अक्षर भी हिंदी की अपेक्षा कम ही है। इसलिए उन्हीं अक्षरों से एक से अधिक उच्चारणों का काम निकाला जाता है। उदा: एक ही ‘A कभी अ, आ, ऍ, ए, ऑ, ऐसे अनेक उच्चारणों के लिए प्रायोजित होता है। जैसे; Ball (ऑ), Case (ए), Cash (ऍ), Hard (आ), Panama (अ) इत्यादि।
ऐसा सभी, अंग्रेज़ी वर्णमाला के अक्षरों के लिए होता है। इसके कारण पाठक को उलझन ही होती है। प्रत्येक चिह्न के अनेक उच्चारण है। और कुछ उच्चारणों के लिए एक से अधिक चिह्न भी है। जैसे C का उच्चार क और स भी होता है। दो दो अक्षरों का एक ही उच्चार भी होता है; जैसे W और V का व; C, Q, K का उच्चारण क। ऐसे उदाहरण और भी दिए जा सकते हैं। पाठक भी सोच सकते हैं। Y स्वर है, और व्यंजन भी।
हमारे ख,घ, ङ, च, छ,ञ, ठ, ढ, ण, त, थ,द,ध, भ, ष,ळ इत्यादि उच्चारण है ही नहीं।