क्या घाटी में तनाव की वजह इब्राहिम अज़हर !

अर्चना त्रिपाठी

अर्चना त्रिपाठी (पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक)

अभी हर जगह जम्मू-कश्मीर के नाम की ही चर्चा है। आखिर होने क्या जा रहा है वहां ? क्यों बंद लिफाफे में पुलिस ने जम्मू कश्मीर में तमाम मजिदो की डटिल मंगवाई है? क्यों अमरनाथ यात्रा रोकी गयी? क्यों लाव लश्कर जम्मू कश्मीर में भेजे जा रहे है ? ऐसा क्या होने वाला है या हो रहा है जिसको लेकर नागरिको को इस आपातकालीन स्थिती को लेकर चिंता खाये जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाक़ात कर यह जानने की कोशिश की है कि आख़िर राज्य में सेना की इस क़दर तैनाती क्यों की जा रही है। इस मुलाक़ात के बाद उमर अब्दुल्ला ने मीडिया को बताया कि राज्यपाल बीते दिन दिये अपने बयान को ही दोहरा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अचानक अमरनाथ यात्रा को रोके जाने और पर्यटकों को राज्य छोड़ने के लिए कहना समझ से परे है। वैसे गौरतलब बात तो यह है कि आज कश्मीर में नागरिको में भय का महल घर करने लगा है। खुद उमर अब्दुल्ला भी कहा रहे है कि सरकार की चुप्पी और घाटी में सुरक्षाबलों के बढ़ती तैनाती के कारण जम्मू-कश्मीर के लोगों में खलबली मची है। वह सरकार से झावाब चाहते है। वह चाहते है कि सरकार स्पष्ट करे की आखिर ऐसा क्या होने जा रहा है जिसके कारण इतने बड़े पैमाने पर पुलिस बालो की तैनाती की जा रही है। संदेह और कुछ अनहोनी की बात तब भी बाहर निकल कर सामने आती है जब उमर अब्दुल्ला यह कहते है कि , “जो इलाक़े आतंकवाद के शिकार और उसके दायरे में नहीं हैं। उन इलाक़ों को भी खाली किया गया है और इसका असर बाकी जगहों पर भी पड़ा है। मामला अब इतना तूल पकड़ता जा रहा है कि इस मुद्दे को लेकर राज्यपाल से भी सवाल पूछे जा रहे है कि ऐसी आपातकालीन स्थिती क्यों बनाकर राखी गई है। वैसी आज स्थिती यह है कि कश्मीर मसले पर क्या हो रहा है क्यों हो रहा है ? मौजूदा हालत क्या है शायद इसके बारे में आज वहां के अफसरों से लेकर लोगो को भी नहीं पता चल रहा है। वैसे माना जाता है की इनदिनों जिस प्रकार से पाकिस्तान के वजीरे -अज़ाम और अमेरिका के प्रेजिडेंट डोनाल्ड ट्रम ने कश्मीर मसले को लेकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मध्यस्ता करने की बात को उजागर कर जहां इस मसले को हवा दी, वही जिस प्रकार अमेरिका ने पकिस्तान को आर्थिक मदद का वादा किया है, इसका भारत के लिए काफी कूटनीतिक मतलब है। शायद आपको याद हो कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में जैसे गृहमंत्रालय की जिम्मेदारी अमित शाह को जिस दिन सौपी गयी तभी से आर्टिकल 35 A का मसला सुर्खियों में आया. उम्मीद की जा रही थी कि अमित शाह गृहमंत्री रहते हुए ऐसे फैसले लेंगे जिसके कारण कश्मीर का मसला या तो हल होगा या तो पकिस्तान सुधर जाएगा। इन कुछ दिनों जिस प्रकार से सैन्य बलो को तैनात किये जा रहे है उसके बाद यही कहा जा रहा है कि कुछ तो बहुत बड़ा होने जा रहा है. क्या वाकई कुछ बड़ा होगा या वहां की पार्टिया इस मुद्दे को बड़ा बना रही है? दरअसल कश्मीर घाटी में तनावग्रस्त स्थिती की बात तब तूल पकड़ी जब भारत प्रशासित कश्मीर में सुरक्षाबलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती का फैसला लिया गया। इस बात को लेकर चर्चा होने लगी की क्या आर्टिकल 35 A से ये मामला तो जुड़ा नहीं है ? इस तैनाती को लेकर आम लोगों में हैरानी और उलझन बनी हुयी है। शायद आपको याद होगा कि 26 जुलाई 2019 को सोशल मीडिया पर गृह मंत्रालय के एक आदेश की कॉपी खूब वायरल हुयी थी। इस कॉपी में लिखा गया था कि कश्मीर में विद्रोही गतिविधियों के ख़िलाफ़ ग्रिड और क़ानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियां भेजी जाएंगी। इनमें सीआरपीएफ़ की 50, बीएसएफ की 10 और एसएसबी की 30 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां शामिल हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट ने तो यहां तक कह दिया कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने कश्मीर में दो दिन बिताए और सुरक्षा अधिकारियों के साथ अलग से बैठक की थी। रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि जब से अजित डोभाल के कश्मीर घाटी के दो दिवसीय दौरे पर गए है उसके बाद अतिरिक्त सुरक्षाबल भेजने का फ़ैसला लिया गया ह। जैसे ही आदेश की कॉपी सार्वजनिक हुई डर और खौफ़ ने पूरे कश्मीर को जकड़ लिया। कश्मीर में राजनीतिक दल और ज़्यादा सुरक्षाबल भेजने के ख़िलाफ़ हैं। इन सैनिको को लेकर सरकार के फैसले के बाद पीडीपी अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र सरकार की जमकर आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि कश्मीर एक राजनीतिक मसला है और इसके लिए राजनीतिक समाधान की ज़रूरत है। महबूबा मुफ़्ती ने कहा, “केंद्र सरकार के इस फ़ैसले से घाटी के लोगों में खौफ़ का माहौल है। कश्मीर में और ज़्यादा सुरक्षाबलों की कोई ज़रूरत नहीं है। जम्मू-कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है जिसका सैन्य समाधान नहीं है। भारत सरकार को अपनी नीति पर फिर से विचार करना होगा।” वही अब्दुल्ला ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वो कहते है कि जब कश्मीर के मौजूदा हालात पर अफ़सरों से पूछते हैं तो वो कहते हैं कि कुछ हो रहा है लेकिन वो भी कुछ स्पष्ट नहीं बोलते। उन्होंने कहा, “जब हम पूछते हैं कि ये कुछ क्या है तो वे कहते हैं कुछ तो है। लेकिन यह क्या कुछ है तो वे कहते हैं ये हमें नहीं मालूम।” “35 ए पर लोगों का जो अंदेशा है वो है, लेकिन बात 370 की भी हो रही है। डिलिमिटेशन को लेकर बात हो रही है। लोग जम्मू-कश्मीर को तीन भागों में बांटे जाने को लेकर बातें कर रहे हैं।” बता दें कि इसी परिस्थिती में शुक्रवार को भारतीय सेना ने ख़ुफ़िया जानकारियों का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान से चरमपंथी, कश्मीर घाटी में अमरनाथ यात्रा पर हमले की योजना बना रहे हैं। इसके फ़ौरन बाद ही जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं और राज्य में आने वाले पर्यटकों को तुरंत वापस जाने का निर्देश दिया। माना जा रहा है कि सुरक्षा बलों को एक सर्च ऑपरेशन के दौरान अमरनाथ यात्रा के रूट पर चरमपंथियों के एक ठिकाने से टेलीस्कोप समेत एक एम-24 अमरीकी स्नाइपर राइफ़ल और पाकिस्तान के ऑर्डिनेंश फैक्ट्री में निर्मित बारूदी सुरंग बरामद हुई है। सरकार की ओर से घाटी में मौजूद तमाम पर्यटकों और अमरनाथ यात्रा कर रहे तीर्थ यात्रियों को कश्मीर छोड़ने की सूचना जारी करने के बाद से ही वहां से प्रवासियों का वापस आने का दौर चल रहा है. खुद जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती ने शुक्रवार रात अपने निवास स्थान पर एक आपात बैठक बुलाई। इसमें जम्मू-कश्मीर के अन्य क्षेत्रीय दलों के नेता शामिल हुए जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के फ़ारूक़ अब्दुल्ला, पीपल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन और पीपल्स मूवमेंट के शाह फ़ैसल शामिल हुए। बैठक के बाद महबूबा मुफ़्ती ने बताया, ”कश्मीर में जिस तरह के हालात बना दिए गए हैं उससे यहां रहने वाले लोग डरे हुए हैं। जिस तरह का ख़ौफ़ मैं आज देख रही हूं वैसा मैंने पहले कभी नहीं देखा।”बता दे कि सरकार पर सवाल इसलिए भी उठाए जा रहे है क्योंकि उन्होंने यह दवा किया था कि सरकार जब से सत्ता में आयी है आतकवादियो को उन्होंने चुनचुनकर मारा है और घाटी में अभी शांति की स्थिती हुयी है। इसलिए अब विपक्ष को यह मौका मिल गया है कि वह इस मसले को लेकर उनको घेरने का काम करे। बता दे कि इंडियन एक्सप्रेस के खबर के अनुसार कहा गया है की जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पुलिस से घाटी की मस्जिदों की डिटेल्स मांगी हैं। हालाँकि खबर यह बताई जा रही है कि मसूद अजहर का भाई इब्राहिम अजहर 15 आतंकियों के साथ घाटी में देखा गया है। बता दे कि इब्राहिम अजहर के 2 बेटो को सैन्य बल ने मौत के घात उतारा था , इसलिए यह इनपुट्स को सरकार हलके में नहीं ले सकती। 

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