कविता

रूठना मत कभी,हमे मनाना नहीं आता

रूठना मत कभी,हमे मनाना नही आता |
दूर नही जाना,हमे बुलाना नहीं आता ||
 
तुम भूल जाओ हमे,ये तुम्हारी मर्जी |
हम क्या करे,हमे भुलाना नहीं आता ||

स्वपन देखती हो सोकर,कभी जाग कर देखो |
मोहब्बत का ख़्वाब,हमे दिखाना नहो आता ||

मालूम चला,तुमने रात जाग कर काट दी |
रात में जागना मत,हमे सुलाना नहीं आता ||

सोते हुये को जगा सकते,जागो को नहीं |
जो जाग कर सोये है,उन्हें जगाना नहीं आता ||

बहल जाते है कभी कभी झूठे ख्वाब देकर |
रस्तोगी को सच्चा प्यार उसे बहलाना नहीं आता || 

आर के रस्तोगी 
गुरुग्राम मो 9971006425