सुनील कुमार महला
पाकिस्तान, अफगानिस्तान आतंकवाद के साथ ही देश-दुनिया में नशे का ज़हर घोल रहे हैं। दुबई से नशा तस्कर, ड्रग्स माफिया भी भारत में आज सक्रिय हैं। पहले देश में पंजाब को नशे का बड़ा केंद्र माना जाता था लेकिन आज राजधानी दिल्ली, राजस्थान की शिक्षा नगरी कहलाने वाले सीकर और कोटा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मुंबई, पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र गोवा,केरल के साथ-साथ लगभग लगभग संपूर्ण भारत में ड्रग्स तस्कर, ड्रग्स माफिया, दलाल, ड्रग्स सप्लायर सक्रिय हैं। सीकर और कोटा में आज लाखों बच्चे नीट, जेईई परीक्षा की तैयारी करते हैं, और आज बहुत से बच्चों को ड्रग्स माफिया उनका तनाव, अवसाद कम करने व पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ाने के बहाने उन्हें बहला-फुसला कर ड्रग्स से जोड़ रहे हैं।
आज बच्चों के कोचिंग, हास्टल, स्कूल बाहुल्य क्षेत्रों में आज नशे का बड़ा तगड़ा जाल फैला हुआ है।नशे में एमडी, गांजा, अफीम, स्मैक,चरस, हेरोइन , कोकीन, सिंथेटिक ड्रग्स जैसे खतरनाक नशे शामिल हैं। नशे की पुड़िया आज हमारी युवा पीढ़ी को जड़ से बर्बाद करने पर तुली है। आज हालात यह हैं कि सौ रुपए से लेकर हजारों रूपए तक खुलेआम नशा बिक रहा है। चाय की थड़ियों, रेलवे स्टेशनों, अस्पतालों, शहर की पाश कालोनियों में नशे के दलाल सक्रिय हैं। गुटखा, तंबाकू पदार्थ बेचने वालों के साथ ही में मेडिकल स्टोर्स तक इसमें शामिल हों, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। आज खाली पड़े पार्कों, सुनसान जगहों, रेलवे स्टेशनों पर दूर तक फैले प्लेटफार्मों को ये ड्रग्स माफिया और तस्कर निशाना बनाते हैं और वहां से अपना नशे का गंदा धंधा जारी रखते हैं। हाल ही में हिंदी के एक अत्यंत प्रतिष्ठित दैनिक के हवाले से यह खबरें भी आईं हैं कि पुलिस तक के कुछ अधिकारियों की भी इसमें मिलीभगत है और उनको उनका हफ्ता टाइम पर इन ड्रग्स माफिया और तस्करों द्वारा पहुंचाया जाता है ताकि उन्हें नशे का जाल शहर में फैलाने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत या परेशानियों को सामना न करना पड़े। पहले देश में सिर्फ पंजाब ही नशे में उड़ रहा था, लेकिन आज देश के बहुत से क्षेत्र नशे में उड़ते नजर आ रहे हैं।
पंजाब से लगते राजस्थान के हनुमानगढ़ और गंगानगर क्षेत्र भी नशे से अछूते नहीं हैं, जैसा कि गंगानगर क्षेत्र पंजाब और पाकिस्तान से तथा हनुमानगढ़ पंजाब से जुड़ा है। पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन को नशे के लिए इस्तेमाल कर रहा है, अनेक बार सीमा सुरक्षा बल ने ड्रोनों को ध्वस्त करने की कार्रवाई भी की है। आज यहां नशे के इंजेक्शन, चिट्टा, अफीम, गांजा,चरस और न जाने कितने प्रकार के महंगे से महंगे नशे आसानी से उपलब्ध हो जाएंगे। इस आशय की खबरें तो आए दिन मीडिया की सुर्खियों में रहतीं ही हैं, जो इस बात का पुख्ता सबूत है कि आज देश “उड़ता देश” बनने की कगार पर है। युवा पीढ़ी जो नशा करती है,उनमें युवा महिलाओं की संख्या भी काफी है। तंबाकू और शराब का नशा तो आम ही है। युवाओं में सूंघने वाला भी नशा आज खूब प्रचलन में है।
भारत ही नहीं दुनिया में नशे के आंकड़े बहुत ही भयावह हैं। एक आंकड़े के अनुसार 1.1 करोड़ लोग आज इंजेक्शन से नशा करते हैं, जिसमें से 13 लाख को एचआईवी है। 55 लाख को हेपेटाइटिस सी की बीमारी है। और लगभग 10 लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें एचआईवी और हेपेटाइटिस सी दोनों है। ड्रग वार डिस्टॉर्सन और वर्डोमीटर की एक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में मादक पदार्थों का अवैध व्यापार सालाना लगभग 30 लाख करोड़ रुपए का है। वहीं नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट (एनडीडीटी), एम्स की वर्ष 2019 की रिपोर्ट बताती है कि अकेले भारत में ही लगभग 16 करोड़ लोग शराब का नशा करते हैं। रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि देश की लगभग 20 प्रतिशत आबादी (10-75 वर्ष के बीच की) विभिन्न प्रकार के नशे की चपेट में है। हाल ही में नवंबर 2024 में ही नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने राजधानी दिल्ली में 80 किलो से अधिक कोकीन जब्त की है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 900 करोड़ रुपये है। इसी दिन भारतीय नौसेना, गुजरात एटीएस और एनसीबी ने गुजरात तट पर 700 किलो मेथामफेटामिन पकड़ी है और इस मामले में आठ ईरानी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले अक्टूबर 2024 में भी दिल्ली पुलिस ने पश्चिम दिल्ली के गोदाम से 200 किलो कोकीन जब्त की थी, जिसकी कीमत करीब 2400 करोड़ रुपये बताई गई थी। इससे पहले 1 अक्टूबर को दिल्ली के ही महिपालपुर से 562 किलोग्राम कोकीन की भी बरामदगी हुई थी। दोनों ही मामले में इंटरनेशनल ड्रग कार्टेल का सरगना एक ही व्यक्ति है, जो दुबई से जुड़ा था।
पंजाब की बात करें तो पिछले कुछ महीनों में ही पंजाब पुलिस ने 153 बड़े ऑपरेटरों सहित 10,524 तस्करों को गिरफ्तार किया है।हाल ही में 790 किलोग्राम हेरोइन, 860 किलोग्राम अफीम और अन्य नशीले पदार्थों के साथ-साथ 13 करोड़ रुपये से अधिक ड्रग मनी जब्त की गई है। इस साल सीमा सुरक्षा बल ने पंजाब की पाकिस्तान से लगती सीमा से 183 ड्रोन जब्त किए। जो वर्ष 2023 में बरामद 107 ड्रोन से कहीं अधिक हैं। कहना ग़लत नहीं होगा कि पंजाब पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं ईरान के तथाकथित गोल्डेन क्रेसेंट से तस्करी कर लाई गई नशीली दवाओं का एक पारगमन बिंदु (ट्रांजिट प्वाईंट) तथा बाजार दोनों ही है। देवभूमि हिमाचल में भी हिमाचल पुलिस ने 10 पुलिस जिलों में दबिश के दौरान अवैध मादक पदार्थों की तस्करी में सात गिरफ्तारियां कीं हैं और 10 किलो चरस सहित 100 ग्राम चिट्टा बरामद किया गया। गुजरात की बात करें तो कुछ समय पहले ही गुजरात में नेवी, एनसीबी, गुजरात पुलिस और एटीएस की संयुक्त टीम ने ड्रग्स की बड़ी खेप पकड़ी है और 700 किलो मेथामफेटामाइन के साथ 8 ईरानी नागरिकों को एक नाव से गिरफ्तार किया गया है। पकड़े गए ड्रग्स की कीमत करीब 3500 करोड़ रुपये बताई गई थी। इस साल मई माह में केरल में हाई क्वालिटी की जब्त की गई 2525 किलोग्राम मेथमफेटामाइन ड्रग्स की कीमत पच्चीस हजार करोड़ रुपए बताई गई है, जो दर्शाता है कि उच्च साक्षरता दर के बावजूद केरल जैसा राज्य भी नशे की भयंकर गिरफ्त में है।
आज नशा तस्कर नशे को फ़ैलाने के लिए तकनीक का सहारा ले रहे हैं मसलन ड्रोन तस्करी, कोड वर्ड, सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग इनके द्वारा किया जा रहा है। हालांकि ,सरकार समेत माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी देश में मादक पदार्थों की लत के दुषपरिणामों और इसके बढ़ते प्रसार को संज्ञान में लिया है। जन जागरूकता अभियान, नशा मुक्ति व पुनर्वास और नशा तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी है लेकिन बावजूद इसके भी इंडिया अब उड़ता इंडिया बनता चला जा रहा है।आज भारत बुरी तरह से नशे की समस्या से जूझ रहा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि नशा एक बेहद ही जटिल और बहुआयामी मुद्दा है, जो देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक ताने-बाने को क्षति पहुँचा रहा है। नशीली दवाओं की लत लगातार बढ़ने से निजी जीवन में अवसाद, पारिवारिक कलह, पेशेवर अकुशलता और सामाजिक सह-अस्तित्व जैसी अनेक समस्याएं सामने आ रही हैं। नशे से धन और स्वास्थ्य दोनों को तो बट्टा लग ही रहा है, देश की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। उल्लेखनीय है कि हमारे देश में नारकोटिक ड्रग एवं सायकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम 1985 बनाया गया था, जिसे प्रभावी बनाने के लिए 2014 में संशोधन बिल लाया गया। इसके आधार पर 2015 में नया कानून बनाया गया, लेकिन भारतीय कानून कहीं न कहीं लचीला है और नशा तस्कर, ड्रग्स माफिया राजनीतिक मिलीभगत, कानून के लचीलेपन का फायदा उठाकर, रसूखदारी के कारण आसानी से पुलिस व कानून की गिरफ्त से छूट जाते हैं।
भारत को सिंगापुर जैसे देश से प्रेरणा लेने की जरूरत है, जहां नशे के खिलाफ कानून विश्व में सबसे ज्यादा सख्त है। उल्लेखनीय है कि सिंगापुर के कानून के तहत अगर किसी भी व्यक्ति से 500 ग्राम से ज्यादा गांजा या 15 ग्राम से ज्यादा हेरोइन तस्कर करते हुए पाया जाता है तो उसे मौत की सजा दी जाती है। भारत को चाहिए कि वह नशा तस्करों, माफियाओं को रोकने के लिए,उन पर लगाम लगाने के लिए कानून को सख्त बनाकर कार्रवाई करे। युवाओं, सरकार, प्रशासन, पुलिस, देश के सीमा सुरक्षा बलों को भी जागरूक व सतर्क रहने की जरूरत है,तभी नशे पर लगाम लगाई जा सकती है और देश को उड़ता इंडिया बनने से रोका जा सकता है।
सुनील कुमार महला