नशे का विकराल स्वरूप ,गिरफ्त में युवा

addictionअभय सिंह
किसी भी राष्ट्र का सतत प्रगतिशील रहना काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि उस राष्ट्र के नागरिक शारीरिक,मानसिक रूप से कितने स्वस्थ और सुदृढ़ हैं। खासकर भारत जैसे देश में जहां 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या युवाओं की हो। हाल ही में अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित फ़िल्म ‘उड़ता पंजाब’ रिलीज़ हुई है, जिसको लेकर काफी विवाद भी हुआ। यह फ़िल्म पंजाब में युवाओं के बीच नशे की लत को पर्दे पर उतारने के उद्देश्य से बनाई गयी। बहरहाल,इसका उद्देश्य कुछ भी हो लेकिन यह आलम सिर्फ पंजाब का नहीँ है। देश के कई राज्यों में नशीले पदार्थों का सेवन भारी मात्रा में होता है। इनमें मिजोरम, मणिपुर के साथ ही महाराष्ट्र के मुंबई, कोलकाता, दिल्ली आदि शामिल हैं। एक आंकड़े के मुताबिक भारत में लगभग 7 करोड़ लोग ड्रग्स का सेवन करते हैं। जिनमें अधिकतर 18-35 साल के युवा हैं। गौर करें तो पंजाब में 75 प्रतिशत युवा नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। इसका अर्थ है हर 4 में से 3 लोग नशे के आदी हैं। वहीँ मणिपुर में 45,000-50,000 लोग ड्रग्स लेते हैं, इनमें लगभग आधे लोग इन्जेक्टइंग यूज़र्स हैं। स्थिति कितनी गंभीर है इसका अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि मणिपुर में 12 प्रतिशत ड्रग्स का सेवन 15 साल से कम उम्र के बच्चे करते हैं, वहीँ 16-25 साल के 31 प्रतिशत युवा भी इसकी चपेट में हैँ। हर रोज भारत में नशा करने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है.एक रिपोर्ट के अनुसार 2011-13 के बीच देश में नशीले पदार्थों का सेवन पांच गुना बढ़ा है। प्रधानमंत्री मोदी अक्सर मन की बात कार्यक्रम में अनेक सामाजिक विषयों पर चर्चा करते रहते हैं। यादाश्त पर जोर डालें तो प्रधानमंत्री ने 2 नवंबर 2014 को मन की बात कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण विषय पर चिंता जताई थी। प्रधानमंत्री ने कहा था कि आज युवाओं के बीच नशीले पदार्थों का सेवन और इसकी लत विकराल रूप ले चुकी है और इसके परिणाम अच्छे नहीँ हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि युवावर्ग हमारे लिये महत्वपूर्ण संपत्ति है और हम उन्हें नशे की लत का शिकार होते नहीँ देख सकते। साथ ही, उन्होंने कहा था कि जो मुद्दे मैं उठाता हूं कभी-कभी इनपर सरकार की आलोचना भी होती है, लेकिन सच को हम बहुत दिनों तक नहीँ छुपा सकते हैं। अच्छे उद्देश्यों के लिए सच बताना आवश्यक होता है और मैं आगे भी ऐसा करता रहूंगा। गौरतलब है कि आज नशाखोरी की समस्या से पूरा विश्व जूझ रहा है। विश्व में ड्रग्स का सेवन लगभग 19 करोड़ लोग करते हैं, जिनमें मुख्य रूप से हेरोइन, कोकिन, गांजा, चरस है। 2013 में विश्वभर में नशीले पदार्थों के सेवन से 1,27,000 लोगों की मौत हुई। इसके अलावा सिर्फ शराब के सेवन से 1,39,000 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। यहां पर ये सवाल उठना लाजमी है कि हमारा समाज किस तरफ जा रहा है ? एक तरफ हम देश के युवाओं को अपनी सबसे बड़ी शक्ति बता रहें हैं लेकिन नशे को लेकर जो आकड़े हमारे सामने है उसका अवलोकन करें तो समझ जायेंगे कि स्थिति कितनी भयावह है.देश में नशामुक्ति अभियान के नाम पर कई तरह से प्रयास किये गये.जिसमें गैरसरकारी संगठन और सरकार दोनों ने एक साथ मिलकर नशे की लत से युवाओं को दूर करने का प्रयास किये किंतु वो अपेक्षाकृत सफल नही हुए. हमारा समाज अब पूरी तरह नशे की गिरफ्त में आता जा रहा,इसे दुर्योग ही कहेंगे कि इसमें ज्यादातर देश में भावी भविष्य हैं जहां देश का भविष्य ही नशे में सराबोर है हमारा युवावर्ग एक अलग ही अंकतालिका में टॉप कर रहा है। विश्व का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार होने के कारण इस पर रोक लगाना अत्यंत कठिन है। आये दिन हमें ड्रग्स से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिल जाती हैं। अंतराष्ट्रीय सीमा पर लगे देश जैसे पाकिस्तान, म्यांमार, थाईलैंड, बांग्लादेश, नेपाल इन देशों के रास्ते नशीले पदार्थों की तस्करी भरी मात्रा में होती है।इसको लेकर जारी हुई एक रिपोर्ट का जिक्र करें तो 2011-14 के बीच तश्करी के 1,607 मामले बांग्लादेश की सीमा से 779 नेपाल सीमा पर और क्रमशः 317 और 120 मामले म्यांमार और पाकिस्तान की सीमा पर दर्ज हुए हैं। इससे एक बात तो साफ़ है कि यह काला कारोबार मज़बूती से अपनी पकड़ भारत में बना चुका है। इस बीमारी से युवावर्ग सबसे ज़्यादा ग्रसित है। यह तो सिर्फ ड्रग्स से जुड़े आंकड़े और मामले थे। इसके अतिरिक्त अगर शराब सेवन की बात करें तो इसमें भी युवा पीछे नहीँ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2010 की रिपोर्ट से पता चलता है कि 30 प्रतिशत भारतीय शराब का सेवन करते हैं। 2012 की रिपोर्ट की माने तो देश में 30 लाख लोगों की मृत्यु मदिरा के सेवन से हुई थी। इन आंकड़ो से स्पष्ट है की शराब की वज़ह से लोगों की मृत्यु असमय में हो रही है। साथ ही शराब के सेवन से क्राइम रेट में भी बढ़ोत्तरी हुई है। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार नशीले पदार्थों से जुड़े मामलों में 13.4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है। गौरतलब है कि नशीले पदार्थों के सेवन से कई बीमारियां जुड़ी हैं जैसे हाई ब्लडप्रेसर , मानसिक रोग, टीबी, किडनी फेलियर, लिवर डैमेज आदि। नशीले पदार्थों और ड्रग एब्यूज की इस भयावह बीमारी का निदान समाज की सतर्कता से ही निकाला जा सकता है। अगर वाकई हमारी सरकारें नशाखोरी को लेकर गंभीर हैं तो इस मुगालते से बाहर निकले कि शराब बंदी और फिल्मों का अभिनय दिखाकर नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा सकती है ,इसके लिए समूचे तंत्र को एक साथ आने पड़ेगा समाज को साथ जोड़ना पड़ेगा तथा सभी प्रकार के नशीली पदार्थो का काला कारोबार जहाँ से फल –फूल रहा है उस जड़ तक जाकर उसे खत्म करने की होगा.उसके बाद ही नशे को लेकर एक सार्थक जंग छेड़ी जा सकती है जो लोगो को नशे से दूर करेगी.

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