हर परिवार में वॉटर बजट बने

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हर वर्ष की तरह एक बार फिर हम जल दिवस मनाने जा रहे हैं. निश्चित रूप से ऐसे दिवस हमारे लिए प्रेरणा का काम करते हैं. जल का हमारे जीवन में बहुत महत्व है. जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है और जिस तरह का संकट अब पूरी दुनिया के सामने उपस्थित हो रहा है, वह भयानक है. जल संरक्षण की दिशा में व्यापक जनजागरूकता के प्रयास किए जा रहे हैं. जल है तो कल है कि इस सोच को केवल कागज तक रखने के बजाय जीवन में उतारने का समय आ गया है. यह अच्छी बात है कि प्रतिवर्ष हम जलदिवस मनाकर जल संरक्षण की दिशा में सक्रिय हो जाते हैं लेकिन क्या एक दिन का यह उत्सव हमारे लिए प्रेरणा का काम करता है या आगे पाठ पीछे सपाट की कहावत को सच करता है? निश्चित रूप से 22 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व जल दिवस अर्थपूर्ण है लेकिन यह दिवस ना होकर पूरे 365 दिनों की जागरूकता का हो तो इसके सुपरिणाम हमारे सामने होंगे.
जल संरक्षण की दिशा में समाज के प्रत्येक सदस्य को जागरूक होना जरूरी है. सबसे अहम बात यह है कि हर परिवार में वॉटर बजट का प्रावधान हो. जिस तरह हम घर के खर्च को समायोजित करने के लिए बजट बनाते हैं, वैसा ही पानी के खर्च के लिए बजट का प्रावधान किया जाए. सुबह से लेकर रात तक विभिन्न क्रियाओं में खर्च होने वाले जल का हिसाब रखा जाए. इससे हम स्वयं इस बात का अंदाज लगा लेंगे कि सचमुच में हम पानी का कितना सदुपयोग कर रहे हैं और कितना दुरूपयोग कर रहे हैं. परिवार में बनने वाले जल के बजट की समीक्षा की जाए और लोगों को जागरूक करने के लिए अपने द्वारा बनाये गए जल बजट को सोशल मीडिया में शेयर किया जाए. यह लोगों के लिए नया अनुभव होगा लेकिन यह बात भी निश्चित है कि अनेक लोग आपके इस नए प्रयोग को भली-भांति समझ कर जल के दुरूपयोग को रोकने के लिए आगे आएंगे. जल संरक्षण की दिशा में जनजागृति के लिए यह एक बड़ा अभिव उपाय होगा
विश्व जल दिवस क्यों मनाया जाता है और कब से आरंभ हुआ, यह जानना नई पीढ़ी के लिए अनिवार्य है.  विश्व जल दिवस का उद्देश्य विश्व के सभी विकसित देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है साथ ही यह जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करता है। ब्राजील में रियो डी जेनेरियो में वर्ष 1992 में आयोजित पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई तथा वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने अपने सामान्य सभा के द्वारा निर्णय लेकर इस दिन को वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाने का निर्णय लिया इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों के बीच में जल संरक्षण का महत्व साफ पीने योग्य जल का महत्व आदि बताना था।
यूएन सदस्य राज्य और एजेंसी सहित, जल के सभी जटिल मुद्दों के पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिये स्वच्छ जल संरक्षण के प्रोत्साहन में विभिन्न एनजीओ और गैर-सरकारी संगठन भी शामिल होते हैं। इस कार्यक्रम को मनाने के दौरान, जल से संबंधित सभी मुद्दों को जनता के सामने उजागर किया जाता है जैसे किस तरह से साफ पानी लोगों की पहुँच से दूर हो रहा है आदि। यह अभियान यूएन अनुशंसा को लागू करने के साथ ही वैश्विक जल संरक्षण के वास्तविक क्रियाकलापों को प्रोत्साहन देने के लिये सदस्य राष्ट्र सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाता हैं। इस अभियान को प्रति वर्ष यूएन एजेंसी की एक इकाई के द्वारा विशेष तौर से बढ़ावा दिया जाता है जिसमें लोगों को जल मुद्दों के बारे में सुनने व समझाने के लिये प्रोत्साहित करने के साथ ही विश्व जल दिवस के लिये अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का समायोजन शामिल है। इस कार्यक्रम की शुरुआत से ही विश्व जल दिवस पर वैश्विक संदेश फैलाने के लिये थीम (विषय) का चुनाव करने के साथ ही विश्व जल दिवस को मनाने के लिये यूएन जल उत्तरदायी होता है।
पर्यावरण, स्वास्थ्य, कृषि और व्यापार सहित जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में जल के महत्व की ओर लोगों की जागरुकता बढ़ाने के लिये पूरे विश्व भर में विश्व जल दिवस मनाया जाता है. इसे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम और क्रियाकलापों के आयोजनों के द्वारा मनाया जाता है जैसे दृश्य कला, जल के मंचीय और संगीतात्मक उत्सव, स्थानीय तालाब, झील, नदी और जलाशय की सैर, जल प्रबंधन और सुरक्षा के ऊपर स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परिचर्चा, टीवी और रेडियो चैनल या इंटरनेट के माध्यम से संदेश फैलाना, स्वच्छ जल और संरक्षण उपाय के महत्व पर आधारित शिक्षण कार्यक्रम, प्रतियोगिता तथा ढ़ेर सारी गतिविधियाँ आयोजित की जाती है. विश्व जल दिवस उत्सव के मुख्य चिन्ह नीले रंग की जल की बूँद की आकृति को हम बचा सकें. उसे सुरक्षित कर सकें और लोगों को बता सकें कि नीला रंग आपके जीवन में क्या मायने रखता है.

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मनोज कुमार
सन् उन्नीस सौ पैंसठ के अक्टूबर माह की सात तारीख को छत्तीसगढ़ के रायपुर में जन्म। शिक्षा रायपुर में। वर्ष 1981 में पत्रकारिता का आरंभ देशबन्धु से जहां वर्ष 1994 तक बने रहे। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से प्रकाशित हिन्दी दैनिक समवेत शिखर मंे सहायक संपादक 1996 तक। इसके बाद स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कार्य। वर्ष 2005-06 में मध्यप्रदेश शासन के वन्या प्रकाशन में बच्चों की मासिक पत्रिका समझ झरोखा में मानसेवी संपादक, यहीं देश के पहले जनजातीय समुदाय पर एकाग्र पाक्षिक आलेख सेवा वन्या संदर्भ का संयोजन। माखनलाल पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी पत्रकारिता विवि वर्धा के साथ ही अनेक स्थानों पर लगातार अतिथि व्याख्यान। पत्रकारिता में साक्षात्कार विधा पर साक्षात्कार शीर्षक से पहली किताब मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा वर्ष 1995 में पहला संस्करण एवं 2006 में द्वितीय संस्करण। माखनलाल पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से हिन्दी पत्रकारिता शोध परियोजना के अन्तर्गत फेलोशिप और बाद मे पुस्तकाकार में प्रकाशन। हॉल ही में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संचालित आठ सामुदायिक रेडियो के राज्य समन्यक पद से मुक्त.

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