आर्यसमाज की स्थापना तिथि चैत्र शुक्ल पंचमी है

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मनमोहन कुमार आर्य

आर्यसमाज की स्थापना कब अर्थात् किस दिन हुई थी? इससे सम्बन्धित प्रमाण ऋषि की अपनी लेखनी से लिखा हुआ ही उपलब्ध है। यह प्रमाण ऋषि का वह पत्र है जो उन्होंने 11 अप्रैल, सन् 1875 अर्थात् संवत् 1931 मिती चैत्र शुद्ध 6 रविवार को अपने एक भक्त व अनुयायी श्रीयुत गोपालराव हरि देशमुख जी को लिखा था। इस पत्र में ऋषि ने संवत् 1931 का उल्लेख किया है। यह वर्ष गुजरात पंचांग के अनुसार है। उत्तर भारतीय पंचाग के अनुसार यह वर्ष विक्रमी संवत् 1932 होता है। इस पत्र से स्पष्ट होता है कि ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना मुम्बई में चैत्र शुक्ल पंचमी विक्रमी संवत् 1932, उत्तर भारतीय पंचाग के अनुसार, की थी। यह पंक्तिया इस लिए लिखनी पड़ रही हैं कि आर्यसमाज में आर्यसमाज का स्थापना दिवस इसकी वास्तविक प्रमाणित तिथी चैत्र शुक्ल पंचमी को न मनाकर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। ऋषि दयानन्द का वह पत्र जिसमें आर्यसमाज की स्थापना और स्थापना दिवस पर प्रकाश पड़ता है, हम प्रस्तुत करते हैं।

 

“श्रीरस्तु, स्वस्ति श्रीमच्छ्रेष्ठोपमायुक्तेभ्यः श्रीयुतगोपालरावहरिदेशमुखादिभ्योदयानन्दसरस्वतीस्वामिन आशिषो भूयासुस्तमाम्। शमिहास्ति, तत्राप्यस्तुमाम्। आगे मुम्बई में चैत्र शुद्ध 5 शनिवार के दिन संध्या के साढ़े पांच बजते आर्यसमाज का आनन्दपूर्वक आरम्भ हुआ। ईश्वरानुग्रह से बहुत अच्छा हुआ। आप लोग भी वहां आरम्भ कर दीजिये। विलम्ब मत कीजिये। नासिक में भी होने वाला है। अब आर्यसमाजार्थ (नियम) और संस्कार विधान का पुस्तक वेदमंन्त्रों से बनेगा शीघ्र।

 

इन्दुप्रकाशवाले विष्णुशास्त्री सुधारेवाला तो नहीं, किन्तु कुधारेवाला मालूम पड़ता है। उसको प्रत्युत्तर करके उसके पास भेजा था, परन्तु उसने नहीं छापा। इससे पक्षपात भी दीखता है। अब वह अन्यत्र छपवाया जायेगा। संध्योपासनादि पंचमहायज्ञविधान का भाष्य सहित पुस्तक यहां छपवाया गया है। सो 10 पुस्तक आपके पास भेजा जाता है। यथायोग्य उत्तम पुरुषों को बांट देना। उन नियमों में दो नियम बढ़े हैं। सो एक विवाहादि उत्साह किंवा मृत्यु, अथवा प्रसन्नता समय जो कुछ दान-पुण्य करना उसमें से श्रद्धानुकूल आर्यसमाज के लिये अवश्य देना चाहिये। और दूसरा नियम यह है जब तक नौकरी करनेवाला तथा नौकर रखने वाला आर्यसमाजस्थ मिले तब तक अन्य को (न) रखना और न राखना। और यथायोग्य व्यवहार दोनों रखें। प्रीतिपूर्वक काम करें और करावैं।

 

डाक्टर माणिकजी ने आर्यसमाज होने के लिये स्थान दिया है, परन्तु (उनका दिया स्थान) संकुचित है। सो अब (आर्यसमाज के सदस्य) बहुत बढ़ेंगेख् मिम्बर तब दूसरा नया बनेगा, किंवा कोई ले जायेगा। अत्यन्त आनन्द की बात है कि आप लोगों के ध्यान में स्वदेशहित की बात निश्चित हुई है। परमात्मा के अनुग्रह से उन्नति नित्य इसकी होय। संवत् 1931 मिती चैत्र शुद्ध 6 रविवार।”

 

स्वामी दयानन्द जी के उपर्युक्त पत्र पर पं0 युधिष्ठिर मीमांसक जी ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। वह लिखते हैं ‘मुम्बई आर्यसमाज की स्थापना चैत्र शुक्ला 5 शनिवार सं0 1932 (10 अप्रैल 1875) को हुई थी, यह उपर्युक्त लेख से स्पष्ट है। ऋषि दयानन्द के जीवन चरित्र लेखक पंडित लेखराम जी तथा पंडित देवेन्द्रनाथ जी आदि ने यही तिथि लिखी है। इस तिथि की पुष्टि बम्बई आर्यसमाज की प्रारम्भिक 11 मास की मुद्रित संक्षिप्त कार्यवाही से भी होती है। इस कार्यवाही के तृतीय पृष्ठ पर स्थूलाखरों में ‘‘श्री आर्यसमाज स्थापना सं0 1931 ना चैत्र शुद्ध शनिवार” स्पष्ट लिखा है (यहां संवत् 1931 गुजराती पंचांगानुसार है)। इस कार्यवाही के मुख पृष्ठ पर मुद्रणकाल ‘‘संवत् 1932 ना माहा वद0।।सन् 1876’’ (अर्थात् संवत् 1932 माघ बदी) छपा है। आर्यसमाज स्थापना दिवस के सम्बन्ध में इस समय जितनी भी पुरानी सामग्री मिलती है, उसमें यह सब से पुरानी और विश्वसनीय है। हमें यह कार्यवाही उक्त आर्यसमाज के कार्यकर्ता हमारे मित्र श्री पंडित पद्मदत्त जी की कृपा से 29 अक्टूबर 1952 को बम्बई में देखने को प्राप्त हुई। सन् 1939 के पश्चात् सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा द्वारा ‘‘चैत्र शुक्ला 1’’ की आर्यसमाज स्थापन दिवस मनाने की जो प्रति वर्ष घोषणा होती है, उसका एकमात्र आधार मुम्बई आर्यसमाज मन्दिर पर लगा हुआ जाली शिलालेख है। इस भवन का निर्माण आर्यसमाज स्थापना के 7 वर्ष के अनन्तर हुआ था, यह भी वहीं लगे अन्य शिलालेखों से स्पष्ट है। हमारे विचार में आर्यसमाज स्थापना दिवस वाला शिलालेख और भवन निर्माण काल वाले शिलालेख सर्वथा भ्रान्तिपूर्ण और अशुद्ध हैं। (टिप्पणी पं. युधिष्ठिर मीमांसक जी)।

 

ऋषि दयानन्द के उपर्युक्त पत्र और पं. युधिष्ठिर मीमांसक जी की टिप्पणी से यह स्पष्ट है कि आर्यसमाज की स्थापना तिथि सन् 1875 की चैत्र मास की शुक्ल पंचमी ही है। इस बारे में ऋषि जीवन विषयक सामग्री में यह पढ़ने को मिलता है कि मुम्बई से प्रकाशित टाइम्स आफ इण्डिया के 11 अप्रैल, 1875 के अंक में आर्यसमाज की स्थापना से संबंधित समाचार प्रकाशित हुआ था जिसमें स्थापना की तिथि 10 अप्रैल, 1875 ही दी गई थी। इन तथ्यों के प्रकाश में आर्यसमाज काकड़वाडी में स्थापना के 7 वर्ष बाद लगाया गया शिलालेख प्रमाणित नहीं कहा जा सकता।

 

चैत्र शुक्ल पंचमी आगामी 22 मार्च, 2018 को है। यही तिथि व दिवस आर्यसमाज का स्थापना दिवस है। स्पष्ट तथ्यों के उपलब्ध होने के कारण आर्यसमाज की स्थापना तिथि चैत्र शुक्ल पंचमी को ही स्थापना दिवस मनाया जाना चाहिये। आर्यसमाज की सभी सभा व संस्थाओं के पक्षी व प्रतिपक्षी सभी नेताओं को भी इस यथार्थ तिथि को स्वीकार करना चाहिये, यही उचित प्रतीत होता है। आ३म् शम्।

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