नजर को नजर की नजर ना लगे

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नजर को नजर की नजर ना लगे |
दोनों ही काला टीका लगाने लगे ||
आपको देखा है बस उस नजर से |
इस नजर से आपको नजर ना लगे ||

नजर मिलाते ही उनकी नजर झुक गयी |
झुकते ही नजर बात कुछ आगे बढ गयी ||
बात इतनी बढ़ चुकी थी अब दोनों की |
सबकी नजरे हमारे ऊपर ही उठ गयी ||

नजर ने नजर को इशारा कर दिया |
दोने ने मिलने का वादा कर दिया ||
मिल न सके वे दोनों वादा करने पर ||
किसी ने नजर को था कैद कर दिया ||

जब नजरों से नजरों की बात होने लगी |
दोस्ती दोनों की इस कदर बढ़ने लगी |
चाँद के बहाने दोनों छतो प् मिलने लगे ||
इस तरह प्यार की पींग आगे बढने लगी ||

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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