फूड स्टोरेज से मजबूत होगी हमारी खाद्य सुरक्षा 

अनाज उत्पादन के मामले में भारत विश्व का एक आत्मनिर्भर देश है और आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के किसान अपनी जरूरत से कहीं अधिक अनाज पैदा करते हैं‌। आर्थिक समीक्षा 2022-23 के अनुसार वर्ष  2021-22 में भारत में कुल अनाज उत्पादन रिकॉर्ड 315.7 मिलियन टन हुआ। इसके अलावा जानकारी देना चाहूंगा कि प्रथम अग्रिम अनुमान 2022-23 (केवल खरीद) के अनुसार देश में कुल अनाज उत्पादन का अनुमान 149.9 मिलियन टन है जो पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के औसत खरीद अनाज उत्पादन से बहुत अधिक है। दालों का उत्पादन भी पिछले पांच वर्षों के औसत 23.8 मिलियन टन से बहुत अधिक रहा है। एफएओ के अनुसार भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक देश है। यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि भारत दूध और दालों का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है जबकि चावल, गेहूं, गन्ना, मूंगफली, सब्जियां, फल और मछली उत्पादन के मामले में नंबर दो पर है। यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि भारत में खाद्यान्नों की खरीद, संग्रहण, स्थानांतरण, सार्वजनिक वितरण तथा बफर स्टॉक के रख-रखाव की ज़िम्मेदारी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की है। एफसीआई भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग मंत्रालय के अधीन एक नोडल एजेंसी है। एफसीआई का उद्देश्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा अन्य कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु अनाजों के स्टॉक की संग्रहण आवश्यकताओं को पूरा करना है। एफसीआई  न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से खाद्यान्नों की खरीद करता है, बशर्ते वे अनाज, केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करते हों। हमारे देश में एफसीआई के गोदाम अनाज को सुरक्षित रखते हैं, लेकिन आज हमारे देश में अनाज भंडारण की समस्या बहुत बड़ी समस्या है, वास्तव में फसलों की कटाई के बाद सबसे जरूरी काम अनाज भंडारण का ही होता है। हमारे यहां अनाज भंडारण व्यवस्थाओं हेतु इंफ्रास्ट्रक्चर की बेहद कमी है। वास्तव में, अनाज के सुरक्षित भंडारण के लिए वैज्ञानिक विधियां अपनाने की जरूरत होती है, जिससे अनाज को लंबे समय तक चूहे, कीटों, नमी, फफूंद आदि से बचाया जा सके। हर वर्ष भंडारण व्यवस्थाएं ठीक नहीं होने के कारण हमारे देश का बहुत सा अनाज बर्बाद हो जाता है। अनाज के मामले में आत्मनिर्भर होने के बावजूद भी यदि देश की बहुत बड़ी आबादी को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता है तो इस बात पर चिंतन की आवश्यकता हो जाती है कि आखिर इसके पीछे कारण क्या हैं ? कारण दो ही हैं। एक सार्वजनिक वितरण प्रणाली और दूसरा अनाज का भंडारण। जानकारी देना चाहूंगा कि हमारे देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी कि पीडीएस के जरिए गरीबों तक अनाज पहुंचता है।आज देखने में आता है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार व्याप्त है, जिससे गरीबों को अनाज नहीं मिल पाता है, दूसरा है भंडारण व्यवस्थाएं ठीक नहीं होने से अनाज बर्बाद होता है और गरीबों को नहीं मिलता। यह विडंबना ही है कि आज तक हम अपनी अनाज भंडारण क्षमता को इतना दुरुस्त नहीं कर पाए हैं कि देश में अनाज की बर्बादी को रोका जा सके। यहां मसला सिर्फ अनाज के भंडारण का ही नहीं है। अनाज के अलावा भी जल्दी खराब होने वाले दूसरे खाद्य उत्पादों जैसे कि फल और सब्जियां इत्यादि के सुरक्षित भंडारण की उससे भी ज्यादा जरूरत पड़ती है। हमारे पास कोल्ड स्टोरेज की कमी है। कहीं पर गोदाम हैं तो उन पर छत नहीं है। अनाज को खुले में रखना पड़ता है। आज बहुत से अनाज को खुले आसमान के नीचे चबूतरों पर बोरों के कट्टे लगाकर और उन्हें तिरपाल या पॉलीथिन से ढक कर रखने की हमारी मजबूरी है। सच तो यह है कि हमारी खाद्य भंडारण व्यवस्था निर्धारित मानकों से बहुत निचले स्तर की है। यहां जानकारी देना चाहूंगा कि, ब्रिटेन की आबादी का पेट भरने के लिए जितने अनाज की जरूरत पड़ती है, उतना अनाज तो हमारे देश में बर्बाद चला जाता है। बहरहाल, बताना चाहूंगा कि वर्ष 2022-23 यानी कि वर्तमान कृषि वर्ष में 3235.54 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है, जो कि पिछले वर्ष 2021-22 की तुलना में 79.38 लाख टन अधिक है। जानकारी देना चाहूंगा कि देश में गेहूं का उत्‍पादन (रिकॉर्ड) 1121.82 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 44.40 लाख टन अधिक है। वर्ष 2022-23 के दौरान चावल का कुल उत्‍पादन (रिकॉर्ड) 1308.37 लाख टन अनुमानित है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 13.65 लाख टन अधिक है। वर्ष 2022-23 के दौरान देश में मक्का का उत्‍पादन रिकॉर्ड 346.13 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के 337.30 लाख टन उत्पादन की तुलना में 8.83 लाख टन अधिक है। श्रीअन्न (पोषक-अनाज) का उत्पादन 527.26 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 16.25 लाख टन अधिक है। मूंग का उत्पादन 35.45 लाख टन के नए रिकार्ड पर अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 3.80 लाख टन अधिक है। वर्ष 2022-23 के दौरान कुल दलहन उत्‍पादन 278.10 लाख टन अनुमानित है जो पिछले वर्ष के 273.02 लाख टन उत्पादन की तुलना में 5.08 लाख टन एवं विगत पांच वर्षों के औसत दलहन उत्‍पादन की तुलना में 31.54 लाख टन अधिक है। सोयाबीन तथा रेपसीड एवं सरसो का उत्पादन क्रमश: 139.75 लाख टन एवं 128.18 लाख टन अनुमानित है जो पिछले वर्ष 2021-22 के उत्पादन की तुलना में क्रमश: 9.89 लाख टन और 8.55 लाख टन अधिक है। वर्ष 2022-23 के दौरान देश में कुल तिलहन उत्‍पादन रिकॉर्ड 400.01 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के तिलहन उत्पादन की तुलना में 20.38 लाख टन अधिक है। वर्ष 2022-23 के दौरान देश में गन्‍ने का उत्‍पादन रिकॉर्ड 4687.89 लाख टन अनुमानित है। 2022-23 के दौरान गन्‍ने का उत्‍पादन पिछले वर्ष के उत्‍पादन की तुलना में 293.65 लाख टन अधिक है। कपास का उत्‍पादन 337.23 लाख गांठें (प्रति गांठ 170 किग्रा) तथा पटसन एवं मेस्‍ता का उत्‍पादन 100.49 लाख गांठें (प्रति गांठ 180 किग्रा) अनुमानित है। बहरहाल, भारत अनाज उत्पादन के मामले में रिकार्ड स्थापित कर रहा है लेकिन यह विडंबना ही है कि आजादी के 75 साल गुजर जाने के बाद भी आज किसानों की फसलों के भंडारण के लिए उचित जगह नहीं है। किसानों की विभिन्न आज भी मंडियों में खुले में पड़ी रहती हैं। बहुत बार तो फसलें बरसात के कारण खराब भी हो जाती हैं ‌‌। यह विडंबना ही है कि अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के बावजूद हमारे यहां अनाज के भंडारण के लिए उचित शैड, गोदामों आदि की व्यवस्था नहीं है। सिर्फ भंडारण के कारण हजारों लाखों टन अनाज देश में बर्बाद हो जाता है लेकिन किसी गरीब को खाने को नहीं मिलता ‌‌। उचित भंडारण व्यवस्थाएं न होने के कारण किसानों को बहुत बार ओने पौने दामों में अपनी फसलों को बेचना पड़ता है।आज अनाज के भंडारण के साथ ही अनाज के प्रबंधन की व्यवस्थाओं में काफी खामियां हैं, प्रबंधन की कमी की वजह से भंडारों में अनाज को उसके शेल्फ लाइफ से भी अधिक समय तक रखा जाता है जिससे कीड़े, चूहे, पक्षियों आदि द्वारा नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है। जानकारी मिलती है कि विभिन्न राज्यों में उपलब्ध भंडारण क्षमता 75% से भी कम की है जिसकी वजह से उसमें ताज़े अनाजों को रखने के लिये जगह नहीं होती है। हमारे यहां आज भी अनाज संग्रहण के लिए अधिकतर स्थितियों में अवैज्ञानिक विधियों को ही अपनाया जाता है। जानकारी मिलती है कि देश में मौजूद लगभग 60 से 80% भंडारण सुविधाएँ परंपरागत तरीके से ही संचालित की जाती हैं जिसकी वजह से प्रतिकूल मौसमी दशाओं जैसे- तेज़ बारिश, बाढ़, तूफान आदि की स्थिति में अनाजों के नष्ट होने की संभावना अधिक रहती है। हमारे यहां भंडारण क्षमता में भी कमी है। खाद्यान्नों की मात्रा के अनुरूप भंडारगृहों व गोदामों की संख्या अपर्याप्त है। अनाज की गुणवत्ता जांचने वाले खरीद अधिकारी इस आड़ में भ्रष्टाचार का अवसर भुना लेते हैं। हमारे यहां सप्लाई चैन की भी कमी है और इसके कारण भारत में हर साल 11-15% अनाज नष्ट हो जाते हैं। दरअसल हमारे देश में अनाज भंडारण व्यवस्थाएं ठीक नहीं हैं और फूड ग्रेन स्टोरेज मैनेजमेंट में अनेक तरह की चुनौतियां हैं। वास्तव में आज देश में खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए स्थानीय स्तर पर भंडारण क्षमता विकसित करने की जरूरत है, क्यों कि अनाज को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाकर भंडारण करने पर अनाज की बहुत बर्बादी होती है।इंडियन ग्रेन स्टोरेज मैनेजमेंट एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार अवैज्ञानिक भंडारण, कीटों, चूहों और माइक्रो ऑर्गेनिज्म आदि के कारण कुल उत्पादन का 10% खाद्यान्न नष्ट हो जाता है। इसके मुताबिक “हर साल स्टोरेज नुकसान 1.4 करोड़ टन के आसपास है जिसकी वैल्यू लगभग 7,000 करोड़ रुपये होती है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार यह मात्रा भारत के एक-तिहाई गरीबों को खिलाने के लिए काफी है। कीटों से होने वाला नुकसान 2% से 4.2% है, चूहे 2.5% अनाज नष्ट करते हैं, पक्षी 0.85% अनाज चुग जाते हैं। इसके अलावा 0.68% अनाज नमी के कारण बर्बाद हो जाता है। यहां जानकारी देना चाहूंगा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में प्रतिवर्ष कटाई उपरांत होने वाले अनाज के नुकसान की मात्रा 12 से 16 मिलियन टन है। फसलों की कटाई के उपरांत भारतीय किसानों को प्रतिवर्ष लगभग 92,651 करोड़ रुपए का नुकसान होता है जिसका मुख्य कारण कमज़ोर संग्रहण तथा यातायात व्यवस्था है। यह भी उल्लेखनीय है कि आज भारत में लगभग एक-तिहाई खाद्यान्न तो खेत से बाजार तक  और बाजार से उपभोक्ता लाने में ही बेकार हो जाता है। हमारे पास भंडारण के लिए कोल्ड स्टोरेज की चेन मात्र 10 प्रतिशत तक है जो अनाज के अतिरिक्त फल, सब्जी, दूध और मांस-मछली के भंडारण के लिए भी चाहिए। अगर हम इस भंडारण क्षमता को प्राथमिकता देकर बढ़ा पाने में कामयाब हो जाते  हैं तो इस बर्बादी से हमारे देश के सकल घरेलू उत्पादन का जो एक प्रतिशत बर्बाद हो रहा है, वह नहीं होगा। हाल ही में भारत में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना एक लाख करोड़ रुपये के कार्यक्रम को मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत अब प्रत्येक प्रखंड(प्रत्येक ब्लाक में) में 2000 टन क्षमता का गोदाम स्थापित किया जाएगा।वास्तव में,अनाज भंडारण की दिशा में यह बहुत ही काबिलेतारिफ अहम और अति महत्वपूर्ण कदम कहा जा सकता है। वास्तव में,इस योजना का मकसद देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना, फसल नुकसान को कम करना और किसानों को संकट के समय में की जाने वाली बिक्री पर रोक लगाना है। बहुत अच्छी बात है कि सरकार अगले 5 वर्षों में सहकारी क्षेत्र में 700 लाख टन अनाज भंडारण क्षमता बनाने की योजना बना रही है। जानकारी देना चाहूंगा कि देश का खाद्यान्न उत्पादन लगभग 3,100 लाख टन है, जबकि भंडारण क्षमता कुल उत्पादन का केवल 47 प्रतिशत ही है। वास्तव में, मौजूदा समय में, देश में अनाज भंडारण क्षमता फिलहाल 1,450 लाख टन है।700 लाख टन की भंडारण क्षमता स्थापित होने के साथ ही हमारे देश की कुल भंडारण क्षमता बढ़कर 2,150 लाख टन हो जाएगी और स्थानीय स्तर पर विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता के निर्माण से खाद्यान्न की बर्बादी बहुत ही कम अथवा न के बराबर होगी और इससे निश्चित ही हमारे देश की खाद्य सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी। यहां तक कि इससे खरीद केंद्रों तक अनाज की ढुलाई और फिर गोदामों से राशन की दुकानों तक स्टॉक ले जाने में जो लागत आती है, उसमें भी भारी कमी आएगी। फूड स्टोरेज की पर्याप्त व्यवस्था होने से एक तरफ जहां किसानों की मेहनत को सम्मान मिलेगा, वहीं किसानों के लिए ट्रांसपोर्टेशन का खर्च भी बच सकेगा, इससे उनका मुनाफा बढ़ाने में मदद मिल सकेगी। फूड स्टोरेज की व्यवस्था से हमारे देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी और देश के हर इलाके में अनाज की समुचित आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। भारत वर्तमान समय में विश्व का एक विकासशील देश है लेकिन यहां जानकारी देना चाहूंगा कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में, भंडारण क्षमता उत्पादन की मात्रा से कहीं अधिक होती है। यदि हमें हमारे देश को विकसित देशों की श्रेणी में लाकर खड़ा करना है तो हमें अनाज उत्पादन के साथ ही अपनी भंडारण क्षमताओं को बेहतरीन और दुरस्त बनाना होगा। कहना ग़लत नहीं होगा कि सरकार का अनाज भंडारण के क्षेत्र में वर्तमान कदम निश्चित ही एक मील का पत्थर साबित होगा।

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