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प्रवक्ता डॉट कॉम के चार साल पूरे

आज प्रवक्ता डॉट कॉम के चार साल पूरे हो गए। 16 अक्टूबर 2008 को इसकी शुरूआत हुई थी।

उद्देश्य था-

इंटरनेट पर राष्ट्रभाषा समृद्ध हो, हिंदी में विचार-विमर्श हो।

लगभग पांच सौ लेखक इस मंच से जुड़ चुके हैं, अब तक 6000 से अधिक लेख हम प्रकाशित कर चुके हैं।

hypestat.com के अनुसार-

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गत कुछ वर्षों में कई वेबसाइटें बनीं, उनकी धमाकेदार शुरूआत हुई, उसे जोर-शोर से प्रचारित किया गया, भारतीय धर्म और परंपरा का मजाक उड़ाकर वह चर्चित हुईं लेकिन कुछ ही समय बाद या तो उस वेबसाइट का अस्तित्व खतरे में पड़ गया या फिर वह आगे चलकर प्रभावहीन हो गईं। प्रवक्‍ता ने यह साबित किया है कि स्‍वस्‍थ सामग्री के बूते भी आगे बढ़ सकते हैं।

‘प्रवक्ता’ को पाठकों और लेखकों का अपार सहयोग मिला, यही कारण रहा कि हम निरंतरता कायम रख सकें। विषयवस्तु और गुणवत्ता का हमने हमेशा ख्याल रखा फिर भी ऐसा लग सकता है कि कुछ लेख साधारण स्तर के रहे लेकिन हमारा मानना है कि हर व्यक्ति श्रेष्ठ है और उसके पास कुछ मौलिक है, इसलिए अनेक बार हमने पाठकों के विचार प्रकाशित किए।

दो सूचनाएं हैं: 

(1)

  • प्रवक्ता के संपादकीय कार्यालय का नवीकरण हुआ है। नए उपकरणों से सन्नद्ध हमारे सहयोगी अब प्रवक्ता पर नियमित और बेहतर तरीके से सामग्री को प्रस्तुत करेंगे।

संपादकीय कार्यालय का पता है:

51, रानी झांसी मार्ग, झंडेवाला, पहाड़गंज, नई दिल्ली-110055

दूरभाष:

(2)

  • वेबमीडिया वैकल्पिक मीडिया का सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। लेकिन भारत में अभी इसका समुचित विकास नहीं हुआ है। आर्थिक प्रारूप का अभाव है। गूगल द्वारा भारतीय भाषाओं के साथ भेदभाव जारी है। वेबमीडिया की आचारसंहिता नहीं बनी है। वेब पत्रकारों को सरकारों द्वारा अधिमान्यता नहीं मिल रही है। वेब पत्रकारों पर हमले बढ़ रहे हैं। कोई संगठन या मंच नहीं है।

उपयुक्त बिंदुओं के आलोक में हमने आज नई दिल्ली में ‘वेब संपादक स्नेह मिलन एवं परिचर्चा’ कार्यक्रम का आयोजन किया है।

प्रवक्ता के चार वर्ष पूरे हुए हैं। गत चार वर्षों की निरंतरता के लिए इसके प्रबंधक श्री भारत भूषण, सुधी पाठकों एवं विज्ञ लेखकगण के प्रति आभार।

आप सबसे निर्मम आलोचना की अपेक्षाओं के साथ- 

आपका,

संजीव कुमार सिन्हा

संपादक

प्रवक्ता डॉट कॉम