कविता साहित्‍य

ताजगी

freshnessसुबह की ठंडी हवा

दूर नदी में

निरंतर बहती जलधारा

आकाश में तैरते

छोटे सफ़ेद -काले बादल

उड़ते छोटे- बड़े पक्षी

दूर तक फैली हरियाली

झोला उठाए,

कलरव करते

बच्चों का पाठशाला जाना

गाय- बकरियों का

उनके साथ-साथ

आसपास चलना

युवा किसान का

अपने चौड़े कंधे पर

हल रखकर

बैलों के पीछे-पीछे

खेत की ओर बढ़ना

पीछे से,

घूँघट काढ़े

नई नवेली दुल्हन का

झटकते हुए आना

पास आकर

ठिठकना, फिर शरमाना

भोजन की पोटली थमाना

और

लौटते हुए

मुड़ – मुड़ कर अपने

‘ए जी’ को देखना

शाम को चौपाल में

सबका आपस में

खुल कर बतियाना …

यहाँ का यह सब कुछ

मुझमें ताजगी भरते हैं

शहर से इस और

खीचते हैं हमेशा !