गौतम अडानी : धन कुबेर का सूर्यास्त या केवल ग्रहण

पिछले 2 दशकों में, गौतम अडानी वह नाम है जिसने अपनी संपत्ति में शानदार वृद्धि की है और विशेष रूप से पहली पीढ़ी के उद्यमी होने के नाते। उसने जो साम्राज्‍य सृजित किया है और विशेष रूप से जो स्‍वनिर्मित है और विरासत में नहीं मिला है, वह निश्चित रूप से दुर्लभ है। वर्तमान में उनकी कुल संपत्ति लगभग 150 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक थी, और उन्हें दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में दूसरे स्थान पर रखा गया है।

 समय का पहिया किसी का भी सदैव एक जैसा नहीं रहता, समय बदलता है तो व्यक्ति की जीवन भी बदलता है। इसका वर्तमान में एक अच्छा उदाहरण गौतम अडानी की आर्थिक स्थिति है। अडानी इस समय एक बेहद कठिन दौर से गुजर रहे हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च नामक कम्पनी ने इन पर बड़ी धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। रिपोर्ट के अनुसार यह वित्तीय जगत की सबसे बड़ी धोखाधड़ी में से एक है। जैसे ही यह खबर मीडिया में आई, वैसे ही अडानी ग्रुप के शेयर तेजी से नीचे आ गए। और लगातार गिरावट इनके शेयर में बनी हुई है। कुछ माह पूर्व तक गौतम अडानी धन कुबेरों की सूची में प्र्थम पांच में से एक थे, इस खबर ने इन्हें प्रथम बीस की सूची से भी बाहर कर दिया है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने इनके आर्थिक जीवन को हिला कर रख दिया है।

भारतीय राजनीति में विपक्षी दल को सत्ता पक्ष पर जब कालाबाजारी, रिश्वत खोरी जैसे आरोप लगाने के अवसर नहीं मिल पा रहे हैं तो विरोधी पक्ष इस मामले को भी सत्ता पक्ष से जोड़ कर सवाल उठा रहा है। सत्य जो भी , परन्तु यह वास्तविकता है कि आज गौतम अडानी ग्रुप अर्श से फर्श पर आ गया है। इनके साथ ऐसा क्यों हुआ? आईये इसका विश्लेषण इनकी कुंडली से करते हैं-

 24 जून 1962 को सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर अहमदाबाद गुजरात में पैदा हुए गौतम अडानी का जन्म लग्न वृषभ है तथा चंद्र राशि कुंभ है। जन्म लग्न में बुध की स्थिति, इन्हें बुद्धिमान बना रही है। धन भाव में चतुर्थेश की स्थिति केंद्र को धन भाव से जोड्कर धन आगमन के योगों को बल दे रही है। तॄतीय भाव में राहु के साथ शुक्र की स्थिति ने इन्हें धन कुबेर बनने के लिए शुभता दी। यहां शुक्र भाग्य को बल दे रहा है, साथ ही लग्नेश होने के कारण शुक्र यहां इन्हें पराक्रमी और मेहनती भी बना रहा है। तीसरे भाव में स्थित होकर राहु भाग्य और आय भाव  दोनों पर अपना प्रभाव डाल रहे हैं।  एकाद्श भाव पर राहु का प्रभाव अथाह धन देने के योग्य को मजबूत करता है।  इसके अतिरिक्त भाग्येश शनि भाग्य भाव में स्थित होकर भाग्य को बली और विदेश से लाभ को मजबूती दे रहा है। शनि के साथ केतु भी भाग्य भाव में स्थित है, इससे भी व्यक्ति को धन लाभ अधिक होता है। भाग्येश और कर्मेश शनि मजबूत स्थिति में हैं, शनि के शुभ प्रभाव से ही अडानी ग्रुप को स्टील, पावर माइंस, रेलवे और लोहे से संबंधित अन्य अनेक क्षेत्रों में कारोबार से खूब लाभ हुआ। लाभ के समय में इन्हें लग्नेश बुध की दशा का लाभ मिल रहा था। इनकी कुंडली में सबसे शक्तिशाली ग्रह शनि हैं, इन्हें जब भी शनि की अंतर्द्शा मिली इन्हें लाभ ही लाभ हुआ। शनि के गोचर ने इन्हें विश्व में धन कुबेरों की सूची में उच्च स्थान दिलाया। शनि की साढ़ेसाती इनके लिए सोने पर सुहागा साबित हुई। शनि ने अडानी को फर्श से अर्श पर बिठाने का कार्य किया।

कुम्भ जन्म राशि के व्यक्ति बहुत अधिक संवेदनशील और भावुक नहीं होते है। वर्तमान में शनि इनकी जन्म राशि पर गोचर कर रहे हैं। वैसे तो शनि अप्रैल 2022 में मकर राशि से निकल कर कुम्भ राशि में प्रवेश कर चुके थे, परन्तु उसके कुछ समय बाद ही शनि वक्री होकर वापस मकर राशि में चले गए थे, मकर में ही मार्गी हुए और वापस 17 जनवरी 2023 को शनि ने एक बार फिर से कुम्भ राशि में वापसी की है। अभी अडानी पर शनि की साढेसाती का द्वितीय चरण प्रभावी हुआ है। शनि की एक साढ़ेसाती ने इन्हें फर्श से अर्श पर बिठाया था, वहीं दूसरी साढ़ेसाती ने इन्हें फर्श से अर्श पर लाने का कार्य किया है। परन्तु यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस समय साजिश और राजनीति का कारक ग्रह राहु इस समय इनके द्वादश भाव पर गोचरस्थ है। द्वादश  भाव पर राहु के गोचर की अवधि में जातक पर गलत आरोप लगते है। यहां से राहु शत्रु भाव को अपनी सप्तम दृष्टि से अपना प्रभाव शत्रु, विरोधियों को दे रहा होता है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि इनकी बर्बादी के पीछे साजिश और विरोधियों का भी हाथ है। इस समय आयेश गुरु आय भाव पर ही गोचर कर रहे हैं।, जो जन्म राशि में कर्म भाव, शनि की राशि कुम्भ और राहु के नक्षत्र में हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु जिन्हें मान, सम्मान का कारक ग्रह माना जाता है, इनका राहु के नक्षत्र में जन्म कुंडली में जाना व्यक्ति पर झूठे इल्जाम देता है। गुरु क्योंकि अर्थ और धन के भी कारक ग्रह है, इसलिये जातक पर आर्थिक धोखाधड़ी के भी आरोप लगने के योग बनते हैं, यहीं इनके साथ हुआ है। 1996 में इन्होंने अडानी फ़ांउडेशन की नींव रखी। 27 वर्ष बाद शनि एक बार फिर से कुम्भ राशि में आये और शनि ने भाग्य से जो सफलता और धन इन्हें दिया, वह शनि ने अपने अगले कुम्भ राशि के गोचर में वापस ले लिया है।

शनि ग्रह कुम्भ राशि में गोचर के समय इन्हें जमीं से आसमान पर लेकर गये, और वापस जमीन पर लेकर भी शनि ही आये। शनि क्योंकि भाग्येश है, अत: भाग्य का लाभ और भाग्य की हानि दोनों शनि इन्हें दे रहे हैं। एक बार फिर शनि जब कुम्भ राशि से बाहर निकलेंगे, तब कुछ स्थित बेहतर होगी। शनि की साढ़ेसाती के अंतिम चरण का गोचर भी अडानी जी के लिए बहुत अच्छा नहीं है। फिर भी एक बार फिर जब शनि मकर राशि में २७ साल बाद आयेंगे, अडानी उस समय धन कुबेरों की सूची में सर्वोच्च पहुंच जायेंगे। 

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