वास्तु शास्त्र का हर एक व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान हैं. आज से कुछ वर्षों पहले व्यक्ति वास्तुशास्त्र से तथा उसके प्रभाव से व्यक्ति अनभिज्ञ थे. लेकिन आज के समय में हर व्यक्ति वास्तु शास्त्र के महत्व को जानता हैं और इसीलिए जब भी अपने घर का निर्माण करवाने की योजना बनाता हैं. तो उसमें अधिक से अधिक कार्य वास्तुशास्त्र के अनुरूप ही करने की कोशिश करता हैं| वर्तमान में जब से लोगों ने वास्तु शास्त्र के बारे में जाना है, तब से वास्तु शास्त्र के अनुरूप भवन बनाने का प्रयत्न करने लगे है।
इस बारे में कोई दो राय नहीं है कि यदि भवन निर्माता वास्तुशास्त्र का अध्धयन कर के या किसी वास्तुशास्त्र के मूर्धन्य विद्धवान से परामर्श कर के अपने भूखंड पर भवन का निर्माण कराये, तो वह व्यक्ति अपने जीवन में कहीं अधिक सफलता प्राप्त कर सकता है। वर्ना अशास्त्रीय ढंग से भवन का निर्माण जीवन में संघर्षों का निमंत्रण देता है। हालाकिं कर्म और भाग्य महत्वपूर्ण हैं परन्तु वास्तुशास्त्र की भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है।।।।।।
घर छोटा हो या बड़ा उसमें जल की निकासी की व्यवस्था करना आवश्यक होता है। दैनिक दिनचर्या जैसे नहाने, कपड़े धोने, बर्तन साफ करने इत्यादि कार्यों में पानी के उपयोग के उपरांत निकले व्यर्थ जल की निकासी के लिए नाली अर्थात् ड्रेनेज सिस्टम की व्यवस्था की जाती है। बरसाती पानी के निकासी के लिए भी यह आवश्यक है। जल निकासी की व्यवस्था सामान्यतः घर के फर्श के अनुरूप या सार्वजनिक नाली के अनुरूप की जाती है। यदि आप भी एक नए मकान का निर्माण करवाना चाहते हैं. तो उसमें वास्तुशास्त्र का ध्यान अवश्य रखें. क्योंकि अगर वास्तु के अनुसार भवन का निर्माण न करवाया जाये. तो आपके घर में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. यदि आप वास्तुशास्त्र के नियमों से अनजान हैं तो इसके लिए आप एक ऐसे विद्वान से जरूर परामर्श ले, जिसे वास्तुशास्त्र का पूर्ण ज्ञान हो |
घर में पानी से जुड़ी चीजें जैसे पानी की टंकी और सिंक, ड्रैन सिस्टम अगर वास्तु के मुताबिक सही नहीं है तो घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास हो जाता है। ऐसे घर में अलग-अलग जगह पानी का प्रवाह परिवार के सदस्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अगर पानी का सिस्टम वास्तु के हिसाब से सही है या नहीं है और इनके क्या प्रभाव हो सकते हैं।
अगर आपके घर का बेकार पानी पश्चिम दिशा की तरफ जाता है तो वास्तु के अनुसार कहते हैं कि इससे घर की समृद्धि चली जाती है और घर में दरिद्रता आ जाती है।
अपने घर का निर्माण करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि आपके घर के आस – पास नदी, नाला या कोई नहर आपके घर के समांतर न हो | इसके अलावा अगर वॉटर आउटलेट घर की उत्तर दिशा की तरफ हैं तो कहा जाता है कि इससे परिवार में सुख-समृद्धि, शांति और संपन्नता आती है।
वास्तुशास्त्र के प्राचीन ग्रन्थों में दी गई उपरोक्त जानकारी का आधार घर के फर्श का ढाल है। जिस तरफ घर के फर्श का ढाल होता है, घर के पानी की निकासी उसी तरफ होती है। अतः घर बनाते समय घर के फर्श के ढाल पर विशेष ध्यान दें। वास्तु निरीक्षण के दौरान मुझे ऐसे सैकड़ों घर देखने में आए जिनके यहां पश्चिम नैऋत्य या दक्षिण नैऋत्य में मुख्यद्वार थे और घर के फर्श का ढाल भी नैऋत्य कोण की ओर ही थे। उनमें से एक भी घर ऐसा नहीं था जो सुखी था। दुनिया में जितने भी घरों के फर्श का ढाल दक्षिण, पश्चिम या नैऋत्य कोण की ओर है वहां रहने वाले कभी भी सुखी नहीं रहते वहां रहने वाले परिवार के सदस्यों को आर्थिक, मानसिक, शारीरिक, विवाद इत्यादि समस्याओं के अलावा कभी-कभी अनहोनी का भी सामना करना पड़ जाता है।
बरसात के पानी को निकालने की सही दिशा उत्तर दिशा हैं इस दिशा से वर्ष के पानी को बाहर निकालने से आपके घर में धन की वृद्धि होगी. लेकिन इस कोण से पानी के बहाव को बाहर करने का एक अतिरिक्त प्रभाव यह माना जाता हैं कि आपकी सामने वाले या आपके साथ वाले पड़ोसियों से आपके सम्बन्ध बिगड़ सकते हैं. इसीलिए इस कोण से बारिश के पानी को बाहर जरूर निकालें. लेकिन अपने पड़ोसियों के साथ नम्रता से पेश आयें |
यदि किसी व्यक्ति के घर में बाथरूम का नल या किसी अन्य स्थान का नल लगातार टपकते रहता है तो यह बात छोटी नहीं है, वास्तु में इसे गंभीर दोष माना गया है। ऐसा होने पर घर में नकारात्मक ऊर्जा अधिक प्रभावशाली हो जाती है। ऐसा होने पर धन का अपव्यय होता रहता है और पैसों की तंगी बनी रहती है। अत: नल से पानी टपकना बंद करवाना चाहिए। वास्तु के अनुसार जिस घर में सकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय होगी, वहां रहने वाले लोगों को कभी भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। यदि नकारात्मक शक्तियां अधिक प्रभावी होंगी तो निश्चित ही घर में परेशानियां बनी रहेंगी।
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विभिन्न दिशाओं में घर के पानी की निकासी का प्रभाव इस प्रकार पड़ता है—
— पानी के प्रवेश के लिये अगर घर का फ़ेस साउथ में है तो और भी जटिल समस्या पैदा हो जाती है,
—- नेत्रित्य से आता है तो कीटाणुओं और रसायनिक जांच से उसमे किसी न किसी प्रकार की गंदगी जरूर मिलेगी और अगर वह अग्नि से प्रवेश करता है तो घर के अन्दर पानी की कमी ही रहेगी और जितना पानी घर के अन्दर प्रवेश करेगा उससे कहीं अधिक महिलाओं सम्बन्धी बीमारियां मिलेंगी।
— पानी को उत्तर दिशा वाले मकानों के अन्दर ईशान और वायव्य से घर के अन्दर प्रवेश दिया जा सकता है लेकिन मकान के बनाते समय अगर पानी को ईशान में नैऋत्य से ऊंचाई से घर के अन्दर प्रवेश करवा दिया गया तो भी पानी अपनी वही स्थिति रखेगा जो नैऋत्य से पानी को घर के अन्दर लाने से माना जा सकता है।
—-पूर्व दिशा में पानी का कोई स्रोत नहीं होना चाहिए। वास्तुशास्त्र के अनुसार इस दिशा में पानी रखने से पैसों का भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
—पानी को ईशान से लाते समय जमीनी सतह से नीचे लाकर एक टंकी पानी की अण्डर ग्राउंड बनवानी चाहिए , फ़िर पानी को घर के प्रयोग के लिये लाना चाहिये।।।।
—- जिस घर का पानी आग्नेय से बाहर की ओर से बहकर बाहर जाता तो यह पुत्र संतान के लिए अशुभ होता है।
—- बरसात के पानी को निकालने के लिये जहां तक हो उत्तर दिशा से ही निकालें,फ़िर देखें घर के अन्दर धन की आवक में कितना इजाफ़ा होता है,लेकिन उत्तर से पानी निकालने के बाद आपका मनमुटाव सामने वालेपडौसी से हो सकता है इसके लिये उससे भी मधुर सम्बन्ध बनाने की कोशिश करते रहे।
—- घर का व्यर्थ जल बाहर न जाकर अपने ही वास्तु में रूक जाना एवं कीचड़ हो जाना भी अशुभ होता है।
—– जिस घर से पानी वायव्य की ओर से बाहर बह जाता है तो वह शत्रुता बढ़ाता है एवं शत्रुओं से भय होगा।
—– जिस घर का पानी पश्चिम की ओर से बाहर बह जाता है तो वह परिवार के ऐश्वर्य को नष्ट करता है।
—- ऐसा घर जहां ड्रैन सिस्टम खुला हुआ है और यह दक्षिण और दक्षिणपूर्व दिशा की तरफ बहता है तो कहा जाता है कि यह परिवार और परिवार के सदस्यों की शांति, सुख-समृद्धि और सफलता के लिए बहुत ही अशुभ माना जाता है। वैसे भी धार्मिक ग्रंथों के हिसाब से दक्षिण दिशा को शुभ नहीं माना जाता है।
—- जिस घर का पानी दक्षिण की ओर से बहकर बाहर जाता है तो वह घर की स्त्रियों के लिए अशुभ होता है।
इन वास्तु टिप्स को अपनाने से आपको अपेक्षित परिणाम मिलेगा, यह देश,काल /परिस्थिति अथवा आपके द्वारा इन्हें प्रयोग में लेने के तरीके पर निर्भर होगा ।
कृपया आप इन्हें अपनाने से पहले किसी अनुभवी एवं विद्वान् वास्तु विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।