गजल साहित्य
February 7, 2012 / February 7, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a comment
झुकी तो हया हो गई
उठी तो दुआ हो गई।
बढ़ी इतनी दीवानगी
मुहब्बत सजा हो गई।
तुम्हारे बिना जिंदगी
बड़ी बेमज़ा हो गई।
अजाब मुस्कराहट तेरी
सरापा कज़ा हो गई।
हुई तुमसे क्या दोस्ती
ये दुनिया खफा हो गई।