गजल-भारत मेरा काबुल नहीं बग़दाद नहीं है….-इकबाल हिंदुस्तानी

खुदग़र्जियां तो है मगर जेहाद नहीं है,

सब भूल गये हम हमें कुछ याद नहीं है।

 

बेमेल मुहब्बत का नतीजा ही तो ग़म है,

शीरीं तो हैं कर्इ मगर फ़रहाद नहीं है।

 

नेपाल है प्यारा हमें लंका भी पसंद है,

भारत मेरा काबुल नहीं बग़दाद नहीं है।

 

हम में से कोर्इ कुछ हो मुहाजिर तो नहीं है,

दिलवाली दिल्ली है इस्लामाबाद नहीं है।

 

अपनी बनार्इ जेल में तू भी तो जा के देख,

सेवक ही तो है देश का दामाद नहीं है ।

 

उनको तो छेड़ने की भी क़ीमत अदा हुयी,

हम क़त्ल भी हुए तो इमदाद नहीं है।

 

बर्बाद था बर्बाद है बर्बाद ही रहेगा,

वो शख़्स जिसको इल्मे अजदाद नहीं है।

 

बेटा ना सही बेटी भी है आंख का तारा,

जा पूछ जिसके घर औलाद नहीं है।

 

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इक़बाल हिंदुस्तानी
लेखक 13 वर्षों से हिंदी पाक्षिक पब्लिक ऑब्ज़र्वर का संपादन और प्रकाशन कर रहे हैं। दैनिक बिजनौर टाइम्स ग्रुप में तीन साल संपादन कर चुके हैं। विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में अब तक 1000 से अधिक रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आकाशवाणी नजीबाबाद पर एक दशक से अधिक अस्थायी कम्पेयर और एनाउंसर रह चुके हैं। रेडियो जर्मनी की हिंदी सेवा में इराक युद्ध पर भारत के युवा पत्रकार के रूप में 15 मिनट के विशेष कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ लेखक के रूप में जानेमाने हिंदी साहित्यकार जैनेन्द्र कुमार जी द्वारा सम्मानित हो चुके हैं। हिंदी ग़ज़लकार के रूप में दुष्यंत त्यागी एवार्ड से सम्मानित किये जा चुके हैं। स्थानीय नगरपालिका और विधानसभा चुनाव में 1991 से मतगणना पूर्व चुनावी सर्वे और संभावित परिणाम सटीक साबित होते रहे हैं। साम्प्रदायिक सद्भाव और एकता के लिये होली मिलन और ईद मिलन का 1992 से संयोजन और सफल संचालन कर रहे हैं। मोबाइल न. 09412117990

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