जाने और समझें शयन को ओर शयन कक्ष में किस दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए ?

“वास्तुशास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा में सिर करके सोने से नींद अच्छी आती है”।

शयन अर्थात सोना, नींद लेना। मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सभी शयन करते हैं। शयन किस तरह हमारे स्वास्थ्य और चेतना के लिए लाभदायी हो सकता है, इसके लिए शास्त्रों में निर्देश दिए गए हैं। सोते समय हमारे पैर दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए यानी उत्तर दिशा की ओर सिर रखकर नहीं सोना चाहिए। पूर्व या दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए। इन दिशाओं में सिर रखकर सोने से लंबी आयु प्राप्त होती है और स्वास्थ्य भी उत्तम रहता है। इसके विपरीत उत्तर या पश्चिम दिशा में सिर रखकर सोने से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है। 

वास्तु शास्त्र में शयन कक्ष के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है । शयन कक्ष एक ऐसा स्थान है जहाँ भूस्वामी को आराम मिलता है और दूसरे दिन के लिए तरोताजा हो जाता है ।

निद्रा हर प्राणी और वनस्पति के लिए अत्यंत आवश्यक है। मनुष्य अपने जीवन का एक तिहाई समय सोने में ही व्यतीत करता है। सोने का महत्व तो इसी से प्रमाणित हो जाता है कि यदि किसी दिन मनुष्य को नींद नहीं आए तो अगले दिन वह बेचैन हो जाता है। जब मनुष्य दिन भर श्रम करता है तो उसे स्वस्थ रहने के लिए विश्राम की अत्यंत आवश्यकता होती है। विश्राम के अभाव में वह रुग्ण हो जाएगा। विश्राम के लिए सोना अत्यंत आवश्यक है। विश्राम का भी एक वैज्ञानिक आधार है। 

वास्तुविद पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की वास्तुशास्त्र के अनुसार सोते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए। गलत तरीके से सोने से हमें गलत परिणाम मिलते हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार व्यक्ति को सोते समय अपना सिर पश्चिम दिशा में और पैरों को पूर्व दिशा में रखना चाहिए। ऐसा करने से किस्मत का साथ मिलता है। जानकारों का कहना है कि इस तरीके से सोने से व्यक्ति को समाज में बहुत यश मिलता है। वहीं पैरों के पश्चिम दिशा में होने से व्यक्ति को मानसिक संतुष्टि मिलती है। कहा जाता है कि इस दिशा में पैर होने से धर्म-कर्म और पूजा-पाठ में रुचि बढ़ती है।

 पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि अगर शयन कक्ष वास्तु शास्त्र के नियमों के विपरीत बना होता है तो घर व्यापार व्यवसाय में अनेक कठिनाई का सामना करना पड़ता है । 

गलत स्थान पर बना शयन कक्ष बच्चों के पढ़ाई लिखाई में बाधा उत्पन्न कर देता है । गलत स्थान पर बना शयन कक्ष की वजह से शादी विवाह में बाधा उत्पन्न करता है । गलत स्थान पर बना शयन की वजह से संतान उतपत्ति में अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है ।शयन कक्ष अर्थात बेडरूम हमारे निवास स्थान की सबसे महत्वपूर्ण जगह है. इसका सुकून और शांतिभरा होना जरूरी है।

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि कई बार शयन कक्ष में सभी तरह की सुविधाएं होने के कारण भी चैन की नींद नहीं आती। 

मुख्य शयन कक्ष, जिसे मास्टर बेडरूम भी कहा जाता हें, घर के दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) या उत्तर-पश्चिम (वायव्य) की ओर होना चाहिए।

अगर घर में एक मकान की ऊपरी मंजिल है तो मास्टर बेडरूम ऊपरी मंजिल के दक्षिण-पश्चिम कोने में होना चाहिए  शयन कक्ष में सोते समय हमेशा सिर दीवार से सटाकर सोना चाहिए।

पैर उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर करने सोना चाहिए।

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी से जानिए किस दिशा में शयन कक्ष को बनाने से क्या प्रभाव आता हैं –

पूर्व:- इस दिशा में शयन कक्ष बनाना अच्छा नहीं माना जाता हैं । यदि भवन में पूर्व दिशा में शयन कक्ष बना हुआ हैं तो उसे अविवाहित बच्चों के लिए शयन कक्ष के लिए कार्य में ले सकते हैं। इस कक्ष में नवविवाहित/विवाहित दम्पत्ति को नहंी सोना चाहिए । क्योकिं यह पवित्र (स्थान) दिशा होती हैं । जिसमें सम्भोग वर्जित हैं । पूर्व दिशा देवराज इन्द्र की होती हैं तथा ग्रहों में सूर्य-ग्रह की दिशा होती हैं । अतः पूर्व दिशा में यदि शयन कक्ष बना होतो उसे विवाहित नवयुगलों के लिए शयन कक्ष के लिए प्रयोग में नहीं लेना चाहिए । बुजुर्गो एवं अविवाहित बच्चों के लिए शयन कक्ष के लिए प्रयोग में लाया जा सकता हैं ।

उत्तर पूर्व (ईशान):- इस दिशा में शयन कक्ष का निर्माण न करें तो श्रेष्ठ रहेगा, इस दिशा में स्थित स्थल को अन्य कार्य के लए प्रयोग में ले तो अच्छा रहेगा, यह पवित्र दिशा ईश्वर की होती हैं तथा ग्रहों में बृहस्पति की दिशा मानी जाती हैं । इस स्थल पर पूजा कक्ष या बच्चों के लिए अध्ययन/शयन कक्ष के लिए प्रयोग में ले सकते हेै। बड़ों के लिए यह वर्जित हैं । विवाहित जोड़ो को इस कक्ष में शयन नहीं करना चाहिए । उनके शयन करने पर कन्या संतान अधिक होने की सम्भावना बनी रहती हैं ।

उत्तर दिशा:- इस दिशा में शयन कक्ष का निर्माण किया जा सकता हैं, लेकिन गृहस्वामी को बेडरूम इस कक्ष के लिए उपयुक्त हीं हैं । इस कक्ष का प्रयोग घर के अन्य सदस्यों के लिए शयन कक्ष के लिए श्रेष्ठ रहेगा।

उत्तर पश्चिम:- इस दिशा में शयन कक्ष का निर्माण किया जा सकता हैं, यदि गृहस्वामी का व्यवसाय/सर्विस ऐसी होती हैं जिसमें अक्सर उन्हें टूर पर रहना होता हैं, उनके लिए वायव्य कोण में शयन कक्ष बनाना श्रेष्ठ रहेगा। इसके अतिरिक्त यह कक्ष मेहमानों के लिए ठहरने का सर्वश्रेष्ठ स्थल माना जा सकता हैं । जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रहा हो, उन्हें इस दिशा के कक्ष में शयन करने से विवाह की सम्भावना प्रबल हो जाती हैं ।

पश्चिम दिशा:- इस दिशा में शयन कक्ष का निर्माण किया जा सकता हैं ।

दक्षिण-पश्चिम दिशा:- इस दिशा का कक्ष शयन के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता हैं । गृहस्वामी के लिए इस दिशा में स्थित कक्ष सबसे उपयुक्त माना जाता हैं । नैऋत्य कोण पृथ्वी तत्व हैं अर्थात स्थिरता का प्रतीक हैं । अतः इस कक्ष में गृहस्वामी का शयन कक्ष होने पर वह निरोगी एवं भवन में दीर्घकाल तक निवास करता हैं ।

दक्षिण दिशा:- इस दिशा में शयन कक्ष गृहस्वामी के लिए उपयुक्त माना गया हैं । इस कक्ष का शयन के लिए प्रयोग गृहस्वामी के अतिरिक्त विवाहित दम्पत्तियों (विवाहित बेटों) के लिए भी उपयुक्त कक्ष माना जाता हैं ।

दक्षिण पूर्व:- इस दिशा में शयन कक्ष को बनाना उचित नहीं माना गया हैं । यदि गृहस्वामी ऐसे कक्ष में शयन करता हैं तो वह अनिद्रा से ग्रस्त अथवा क्रोध आना, पूर्ण असन्तुष्टि मस्तिष्क में बनी रहना, जल्दबाजी में निर्णय लेकर, नुकसान उठाने पर पछतावा बना रहना ।

शयन कक्ष के बारे में कुछ सामान्य सवाल जवाब —

अगर आपके शयन कक्ष में बिस्तर का स्थान ऐसी जगह पर है जहाँ से आपको शयन कक्ष का द्वार दिखाई नही पड़ रहा है तो द्वार के ठीक सामने एक दर्पण लगा दें इससे आपके शयन कक्ष में अचानक आने वाले व्यक्ति को सामने लगे हुए दर्पण से आप आसानी से देख सकते हैं।

शयन कक्ष में दर्पण लगते समय यह अवश्य ध्यान रखें किसी भी हालत में दर्पण आपके बिस्तर को रिफ्लेक्ट न करे।

प्रश्न :- क्या दरवाजे के ठीक सामने दर्पण होना वास्तु शास्त्र के अनुसार दोषपूर्ण होता है क्या ???

उत्तर :- वास्तु शास्त्र में आपने जो दरवाजे के बारे में पढ़ा है वो मुख्य प्रवेश द्वार की बात है । वास्तु शास्त्र में मुख्य प्रवेश द्वार के ठीक सामने अंदर की ओर दर्पण लगाने की मनाही है।

प्रश्न :- बिस्तर के ठीक सामने दरवाजा होने से व्यक्ति हमेशा दूसरों के द्वारा धोखा खाता है ।

उत्तर :-कई बार ऐसी स्थिति बनती है जब शयन कक्ष में एक ही दीवार बचती है और उसी दीवार पर बिस्तर लगानी होती है।

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते  हैं  की एक वास्तु सलाहकार एक डॉक्टर के समान होता है जब उसके पास कोई मरीज आता है तो उसका उपचार करना होता है ।

अगर कोई डॉक्टर केवल बीमारी की ही बात करे और कोई उपचार नही बताये तो तो वह अपने व्यवसाय के साथ ठीक से न्याय नही कर रहा है । एक योग्य एवम अनुभवी डॉक्टर को बीमारी के साथ उस बीमारी का उपचार करना भी आना चाहिए।

प्रश्न— यदि आप शयन कक्ष से आगन्तुक को देख सकते हैं तो आगन्तुक भी आपको देख सकता है फिर शयन कक्ष की प्राइवेसी कहाँ रही ??

उत्तर :- जब आपके शयन कक्ष में व्यक्ति अचानक अंदर आ रहा है तो इसका मतलब दरवाजा खुला हुवा है और दरवाजा जब खुला होगा तभी यह दर्पण काम करेगा । जब दरवाजा खुला हुवा है तब प्राईवेसी का प्रश्न ही नही उठता??

अगर हमारा घर वास्तुदोष से भरा पड़ा है तो नींद नही आने की शिकायत आम बात है ।

 अगर आपने ऐसा कोई काम किया है जो आपको नही करना चाहिए था तो भी लोगों की नींद उड़ जाती है ।

जो जिम्मेजारी आपको दी गयी है अगर उसे आप समय पर नही करते हैं तब भी नींद उड़ जाती है ।

अक्सर परीक्षा के समय बच्चों की नींद उड़ जाती है ,नेताओं की नींद चुनाव के समय उड़ जाती है ।

इशान कोण में यदि कोई बड़ा दोष है तो नींद की शिकायत बनी रहती है ।

वास्तुशास्त्र के अनुसार हमारा सिर धनात्मक उर्जा का स्त्रोत है 

जमीन में उत्तर दिशा धनात्मक उर्जा का स्त्रोत है ।

इसलिए अगर सोते समय हमारा सिर उत्तर की ओर तथा पैर दक्षिण में रहता है तो ज्यादातर लोग नींद नही आने की शिकायत करते हैं ।

शयनकक्ष का टूटा-फूटा फर्श एवं ढलान भी पति-पत्नी के विवाद के कारण बनते हैं।

——पलंग के सामने में मुंह देखने वाले शीशे नहीं होने चाहिए। पलंग के सामने टीवी भी नहीं होने चाहिए।

——पलंग पर गद्दे डबल न हों। सिंगल गद्दा हो। पलंग के नीचे बॉक्स नहीं होना स्थानाभाव से बनाना ही पड़े तो बॉक्स में गिफ्ट पैक लोहे का सामान, बर्तन इत्यादि फालतू सामान नहीं रखें।

——मन मोहक पोस्टर्स लगाएं।

——बेडरूम में फर्नीचर बनाते समय ध्यान रखें। ज्यादा से ज्यादा जगह खाली रखें। पूरा कमरा फर्नीचर से न भर जाए।

——कमरे का रंग कराते समय पति-पत्नी के जन्म तारीख के हिसाब से कलर का चयन करें। 

—–रात में सोते समय बेडरूम के ईशान कोण में पानी का जार जरूर रखें।

—–कमरे की फर्श को पत्थर के नमक से साफ करना चाहिए।

—–ताजे फूलों का गुलदस्ता शयनकक्ष में रखना चाहिए। शयनकक्ष के मुख्य द्वार पर्दे का व्यवहार जरूर करें।

——शयनकक्ष में अटैच बाथरूम है तो उसके दरवाजे हमेशा बंद रखें।

——मास्टर बेडरूम की फ्लोरिंग वुडन को होनी चाहिए।

—–इलेक्ट्रिक पॉइन्ट पलंग से 3-से-5 फीट की दूरी पर होना चाहिए।

—–रूम की लंबाई चौड़ाई से आय निकाल लेना चाहिए।

—–शयनकक्ष में पूजा घर न बनाएं। सुबह-शाम कपूर जलाना चाहिए।

 वास्तुशास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा में सिर करके  सोने से गहरी नीद आती है ।

दक्षिण दिशा में सिर करके सोने से धन की प्राप्ति होती है ,इसलिए बड़ों को दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए ।

पूर्व दिशा में सोने से ज्ञान की प्राप्ति होती है इसलिए पढ़ने लिखने वाले बच्चों को पूर्व दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए ।

 अतिथि को घर वापस जाने की चिंता ज्यादा लगी रहती है ।

 पश्चिम दिशा में सोने से चिंता ज्यादा होती है क्योंकि पश्चिम का तत्व वायु है जो की अस्थिर होता है ।

इसलिए अतिथि को पश्चिम दिशा में सिर रखकर सुलाना चाहिए।

कमरे में बहुत ज्यादा प्रकाश का होना भी नींद में बाधा उत्पन्न करता है ।

पलंग की रचना ऐसी होनी चाहिए की सोते समय सिर के पीछे खिड़की ना हो ।

टी वी, मोबाइल एवं कम्प्यूटर जैसे उपकरण पलंग से काफी दूर रखे। ये सभी उपकरणों की तरंगे आपकी निंद की क्षमता पर विपरीत  असर  करते है ।

अपने शयनकक्ष में हल्का ब्राउन , पीला अथवा पिंक रंग का इस्तेमाल करे। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार हल्के या लाइट रंग हमेशा अच्छे परिणाम देते हैं। डार्क रंग जैसे लाल, ब्राउन, ग्रे और काला हर किसी को सूट नहीं आता।लाल एवं ग्रे रंग का प्रयोग शयन कक्ष के लिए नुकसान देय है। ये रंग अग्नि ग्रहों जैसे राहू, शनि, मंगल और सूर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। सेठी के मुताबिक लाल, गहरा पीला और काले रंग से परहेज करना चाहिए। आमतौर पर इन रंगों की तीव्रता काफी ज्यादा होती है। ये रंग आपके घर के एनर्जी पैटर्न को डिस्टर्ब कर सकते हैं।

पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि शयन कक्ष में वास्तु सिध्दांत अनुसार दिशा अनुरूप रंग संयोजन का पालन करना चाहिए।

जैसे —

नॉर्थ-ईस्ट- हल्का नीला।

पूर्व-सफेद या हल्का नीला।

दक्षिण-पूर्व- यह दिशा आग से जुड़ी है। इसलिए संतरी, गुलाबी या सिल्वर रंग ऊर्जा को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

उत्तर: हरा और पिस्ता ग्रीन।

उत्तर-पश्चिम: यह दिशा हवा से जुड़ी है। इसलिए सफेद, हल्का ग्रे और क्रीम रंग इसके लिए परफेक्ट है।

पश्चिम- यह जगह ‘वरुण’ (जल) की है, इसलिए नीला और सफेद सर्वश्रेष्ठ है।

दक्षिण-पश्चिम- आड़ू रंग, गीली मिट्टी का रंग, बिस्किट कलर और लाइट ब्राउन कलर।

दक्षिण-लाल और पीला।

शयनकक्ष में खुशाली एवं ख़ुशी प्रदर्शित करते हुए चित्र लगाए।

 अकेलापन, उदास , रोते हुए चहेरे जैसे चित्र आपके वैवाहिक जीवन को नीरस बनाते है।

 अगर आपका मकान हाइवे के आसपास है और आपके घर के पास दिन भर गाड़िया चलती है तो भी नींद में बाधा आती है ।

अगर आपके घर के आसपास टेलीफोन का टावर है तो  भी नींद में बाधा आती है ।

अगर आपके घर के आसपास हाई टेंशन लाइन का टावर है तो  भी नींद में बाधा आती है ।

 अगर कमरे में ऊंची आवाज में टीवी चलते हों तो भी कमरे का माहौल अशांत बना रहता है ।

 इस अशांति को दूर करने के लिए सोने से ठीक पहले अपने मन को ध्यान के माध्यम से शांत करें ।

रोज ध्यान का अभ्यास करें ये आपके मन को शांत रखेगा और आप रोज चैन की नींद सोएंगे ।

शयन कक्ष में सोते समय हमेशा सिर दीवार से सटाकर सोना चाहिए। 

पैर दक्षिण और पूर्व दिशा में करने नहीं सोना चाहिए। 

उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोने से स्वास्थ्य लाभ तथा आर्थिक लाभ की संभावना रहती है। 

पश्चिम दिशा की ओर पैर करके सोने से शरीर की थकान निकलती है, नींद अच्छी आती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here