कविता

ईश्वर अनेक हैं,सबके सब नेक हैं

–विनय कुमार विनायक
ईश्वर अनेक हैं,सबके सब नेक हैं,
भगवान अनेक हैं,सबके सब एक हैं,
देवी-देवता तैंतीस कोटि;प्रकार के हैं,
प्रथम देवी-देवता,माता-पिता होते हैं!

द्वितीय देवता गुरु हैं, ग्रंथ है!
बिन गुरु, बिना ग्रंथ ज्ञान होता नहीं!
अगले देवी-देवता सभी पराई नारी माता,
नारी का रूप अनेक हैं, मां व मातृवत पर दारेषु,
मासी,काकी, मामी,फूफी
और बहन, बेटी, भगिनी, सुत नारी,
सबके सब परम पूज्य अधिकारी जाति नारी!

ईश्वर, ईश, जगदीश,सबके सब देते आशीष,
ईश्वर,रब,खुदा खुद में ही होते,
सबके सब हमें एक ही सीख देते,
जिओ औ’ जीने दो सबको अपनी उम्र भर तक,
पिओ औ’ पीने दो सबको
आब ए जमजम, पवित्र गंगा का जल,
खाओ औ’ खाने दो सबको धरती का अमृतफल!

ईश्वर सब एक हैं और अनेक भी,
जैसे देव चिकित्सक अश्विनी कुमार द्वय,
धन्वंतरि सागर मंथन के अवसर में निकले
लेकर अमृत कलश देव दानवों को अमृत पिलाने!

या आज के एम बी बी एस,एम एस,एम डी, इंडिया के
या एफ आर सी एस डिग्रीधारी लंदन ब्रिटेन के,

तुम्हें रोग हो चाहे जो भी, पहले जाते हो
किसी सामान्य डॉक्टर एम.बी.बी.एस. डिग्रीधारी
कोई चिकित्सा अधिकारी के पास,
जो तुम्हें रोगमुक्त करने की दवा देते
या विशेषज्ञ डिग्रीधारी चिकित्सक को रेफर करते!

ईश्वर भी ऐसे होते,
जिसे सब अपनी आवश्यकतानुसार पूजते!

तुम्हें चाहिए अगर ज्ञान,
तो मां सरस्वती की अराधना करो!

तुम्हें चाहिए धन धान्य,
तो देवी लक्ष्मी की उपासना करो!

यदि तुम्हें चाहिए शक्ति,
तो जय माता दी दुर्गा की भक्ति करो!

यदि चाहिए तुम्हें साहस या हिम्मत
तो हिम्मते मर्दा मददे खुदा,
भलमनसियत सद कार्य हेतु हिम्मत करो खुदा मदद करते!
ईश्वर, अल्लाह,रब खुदा भगवान सभी एक समान!

अपनी-अपनी भाषा और संस्कृति के हिसाब से,
कहीं राम कहीं रहमान,कहीं कृष्ण, कही क्राइस्ट पूजे जाते!
कहीं बुद्ध, कहीं महावीर अवतार भगवान के होते!
कहीं वाहेगुरु व दशमेश पिता सिमरन किए जाते!
—विनय कुमार विनायक