हे ईश्वर ऐसी ज्यादती मत करो

—विनय कुमार विनायक
हे ईश्वर! ऐसी ज्यादती मत करो,
अगर हमें मनुष्य में जन्म दिए हो,
तो समूची जिंदगीभर जी लेने दो!

अगर हमें मनुज का जीवन दिए हो,
किस्त-किस्तदर में जिंदगी जीने को,
पच्चीस वर्ष ब्रह्मचर्याश्रम पढ़ने दो!

पचास वर्ष तक गृहस्थाश्रम जीने को,
पचहत्तर वर्ष तक वानप्रस्थ आश्रम है,
हमें मनुर्भव:बनने दो, शेष है संन्यास!

वर्ष पचहत्तर के पूर्व,हमें नही बुलाओ,
पचहत्तर वर्ष तक बहुत सी जिम्मेदारी
दी है जो आपने,उसे निर्वाह करने दो!

पचहत्तर वर्ष पूर्व, मृत्यु का हो जाना,
ह्रदय विदारक,जवाबदेही बिना, सबको
रुलाते हुए, बिना बैंड बाजे का जाना!

बहुत पुण्य किया अनेक जन्मों तक,
तब कहीं जाकर मनुष्य जन्म मिला,
इसे यूं ही व्यर्थ में नहीं त्यागने का!

हे प्रभु! इंसान की अनजानी गलती को,
माफ कर दो,अब ना करेंगे क्षति प्रकृति,
वन-पर्यावरण में,हे ईश्वर क्षमा कर दो!
—विनय कुमार विनायक

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here