यह सरकार है या जल्लाद

विपिन किशोर सिन्हा

स्वतंत्र भारत के ६५ वर्षों के इतिहास की यह सबसे असंवेदनशील और भ्रष्ट सरकार है। सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के कुप्रबंधन और अक्षमता का का दुष्परिणाम महंगाई, भ्रष्टाचार, स्वार्थपरता, सत्तालोलुपता और परस्पर अविश्वास के रूप में देश की सारी जनता भुगत रही है। समझ में नहीं आ रहा है कि यह सरकार आखिर किसके हित के लिए काम कर रही है। कारपोरेट घराने, मंत्री, सांसद, विधायक, ब्यूरोक्रैट्स और बढ़ेराओं के अलावे इस देश में कौन खुश है? अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रधान मंत्री कड़े कदम उठाने की बात कर रहे हैं। संवेदनशीलता से दूर प्रधान मंत्री क्या यह बताएंगे कि उनके तथाकथित कड़े कदम के नीचे कितनी करोड़ जनता दम तोड़ेगी?

सरकार ने पेट्रोल की कीमत पहले ही ७५ रुपए प्रति लीटर पहुंचा दी। रातों रात बिना किसी घोषणा के एक्स्ट्रा प्रीमियम पेट्रोल ६.७१ रुपए महंगा कर दिया गया। तेल कंपनियों की टेढ़ी नज़र डीज़ल और रसोई गैस पर थी, सो वह कमी भी पूरी कर दी गई। डीज़ल पर ५ रुपए प्रति लीटर तथा रसोई गैस के सातवें सिलिन्डर पर ३७१ रुपए की एकमुश्त बढ़ोत्तरी सरकार की असंवेदनशीलता का सबसे बड़ा प्रमाण है। सरकार की ओर से पूरे देश को बताया जा रहा है कि बढ़ते राजकोषीय घाटे पर अंकुश लगाने के लिए मूल्यों में यह वृद्धि आवश्यक ही नहीं अपरिहार्य थी। इससे बड़ा झूठ दूसरा हो ही नहीं सकता। बोफ़ोर्स घोटाला, २-जी घोटाला, कोलगेट घोटाला, राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, स्विस बैंक घोटालों पर लगातार झूठ बोलने के कारण सरकार को झूठ बोलने की आदत लग गई है। सच्चाई यह है कि हमारे सकल घरेलू उत्पाद के ६.९% के ऊंचे सतर पर भी राजकोषीय घाटा ५.२२ लाख करोड़ रुपया ही आएगा। पिछले वित्तीय वर्ष में इसी सरकार ने कारपोरेट खिलाड़ियों तथा धनी तबकों को पूरे ५.२८ लाख करोड़ रुपए की प्रत्यक्ष रियायतें दी है। जो पहले से ही संपन्न हैं और देश की संपदा दोनों हाथों से लूट रहे हैं, उनपर यह भारी रकम यदि नहीं लुटाई गई होती, तो सरकारी खजाने पर राजकोषीय घाटे का कोई बोझ होता ही नहीं। लेकि धनी तबकों पर भारी राशि लुटाने के बाद हमारी केन्द्र सरकार अब राजकोषीय घाटे पर अंकुश लगाने के लिए गरीबों और मध्यम वर्ग को जो भी थोड़ी बहुत सबसिडी हासिल थी, उसपर बेरहमी से कैंची चला रही है।

जिन तेल कंपनियों के घाटे की बात कहकर डीज़ल और रसोई गैस की कीमतों में भयानक वृद्धि की गई है, क्या वे वाकई घाटे में हैं? सफ़ेद झूठ बोलते हुए इस असंवेदनशील सरकार को लज्जा भी नहीं आती। अपनी बैलेन्स शीट मे देश की विशालतम तेल तथा प्राकृतिक गैस कंपनी ओएनजीसी ने वर्ष २०११-१२ के लिए २५१२३ करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ की घोषणा की है। इसी प्रकार इंडियन आयल कारपोरेशन ने वर्ष २०११-१२ में ४२६५.२७ करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ की घोषणा की है। हिन्दुस्तान पेट्रोलियम ने भी मुनाफ़े की घोषणा की है। दिलचस्प बात यह है कि इस कंपनी ने पिछले वर्ष की अन्तिम तिमाही में मुनाफ़े में ३१२% की वृद्धि दर्शाई थी।

उपर लिखे गए आंकड़े कल्पना की उड़ान नहीं हैं। ये सभी आंकड़े सरकारी हैं और नेट पर उपलब्ध हैं। तेल कंपनियों ने भारी मुनाफ़ा कमाया है, भारी भ्रष्टाचार के बावजूद। तेल कंपनियों में प्रत्येक स्तर पर भ्रष्टाचार शामिल है। तेल खोजने के नाम पर कंपनियां असंख्य कुंए कागज़ पर खोदती हैं और पाट भी देती हैं। ठेकेदारों को भुगतान के बाद खुदाई और पाटने का कोई प्रमाण ही नहीं बचता। कोई सी.वी.सी. कैग या सी.बी.आई. इन घोटालों को नहीं पकड़ सकती। विदेशों से कच्चा तेल खरीदने में बिचौलियों की भूमिका बहुत बड़ी होती है। हजारों करोड़ के कमीशन की लेन-देन होती है। सरकार यदि इन भ्रष्टाचारों पर अंकुश लगा दे और उत्पाद शुल्क में ५०% तथा अन्य टैक्सों में २५% की कटौती कर दे, तो पेट्रोल २५ रुपए प्रति लीटर, डीज़ल १५ रुपए प्रति लीटर तथा रसोई गैस का एक सिलिंडर १५० रुपए में प्राप्त होगा।

देश की जनता के साथ बहुत बड़ी धोखाधड़ी की जा रही है। महंगाई के बोझ तले पहले ही पिस रही जनता पर और भारी बोझ डाल दिया गया है। बरबस ही मुंह से निकल पड़ता है – यह सरकार है या जल्लाद। अगर किसी तरह सिर्फ़ सोनिया गांधी के विदेशी बैंकों में जमा धन को वापस देश में लाया जा सकता हो, तो पेट्रोलियम उत्पादों में किसी तरह की मूल्यवृद्धि की आवश्यकता नहीं होगी। क्या जनता का इस तरह शोषण करने वाली असंवेदनशील सरकार को सत्ता में रहने का अधिकार है? ज़िन्दा कौमें पांच साल इन्तज़ार नहीं करतीं।

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विपिन किशोर सिन्हा
जन्मस्थान - ग्राम-बाल बंगरा, पो.-महाराज गंज, जिला-सिवान,बिहार. वर्तमान पता - लेन नं. ८सी, प्लाट नं. ७८, महामनापुरी, वाराणसी. शिक्षा - बी.टेक इन मेकेनिकल इंजीनियरिंग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय. व्यवसाय - अधिशासी अभियन्ता, उ.प्र.पावर कारपोरेशन लि., वाराणसी. साहित्यिक कृतियां - कहो कौन्तेय, शेष कथित रामकथा, स्मृति, क्या खोया क्या पाया (सभी उपन्यास), फ़ैसला (कहानी संग्रह), राम ने सीता परित्याग कभी किया ही नहीं (शोध पत्र), संदर्भ, अमराई एवं अभिव्यक्ति (कविता संग्रह)

2 COMMENTS

  1. देश का विनाश करने के लिए चीन और पाकीस्तान ही क्यों यह मूर्ख शिरोमणी, भ्रष्टातिभ्रष्ट शासन ही, पर्याप्त है। अनर्थ शास्त्र में पारंगत पी. एच. डी. प्रधान मन्त्री, और उसकी महा चोर मंडली देश को, बेच बेच कर पैसा कहाँ जमा कर रही है? किस का भला कर रही है?

    सुना भी और पढा भी है, कि राष्ट्र पति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को चीन की गतिविधियाँ जानकर नींद नहीं आती थी। देश की चिन्ता जो करते थे।

    पर जम्हुरे, प्रधान मन्त्री को और उसके ढपोल शंख –वाचाल-मन्त्रियों को, नीन्द कैसे आती है?
    अन्य खुदरा पार्टियाँ भी देशहित-विरोधी कार्यवाहियों में खुल्लम खुल्ला लिप्त है। देश गिर कर भाड में जाए, पर सरकार न गिरे।

    भोली जनता बिना सोचे फिर से ऐसे भ्रष्ट लोगों को ही निर्वाचित करेगी? या मत गणना या वोटींग मशीन की गडबडी की जायगी? पता नहीं?
    विपिन जी लिखते रहिए। अंधेरी रात्रिका अंत सवेरा ही आना है।
    पर इतना घिनौना भ्रष्टतम शासन न कहीं पढा है, न कहीं सुना है।

  2. दुःख की बात तो यही विपिन जी की कौमें जिन्दा कहाँ हैं? बड़ा ही क्षोभकारी माहौल है, सरकार जल्लाद और जनता सोई हुई है. परिवर्तन का रुख नजर ही नहीं आ रहा है. चुनावों में जनता मजा चखा देगी, मजा चखा देगी….. इत्यादि बातें सुनते हैं लेकिन जनता है कहाँ ? बहु संख्यक जनता तो शराब और पैसे पे बिकी हुई है. गाँव गाँव का यही हाल हैं, उंच नीच अगड़े पिछड़े न जाने कितने तबकों में बंटी हुई है ये जनता. और कुम्भकरण की नींद में सोई हुई ये जनता जाने कब जागेगी ?

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