पं. शैलेन्द्र उपाध्याय
आध्यात्मिक उन्नति और धार्मिक प्रगति का प्रभाव पूरे भारतवर्ष में देखने को मिलेगा – पं. शैलेन्द्र उपाध्याय
माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक माघी गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। इस वर्ष गुप्त नवरात्रि 30 जनवरी से 6 फरवरी तक रहेगी। यह नवरात्रि देवी उपासकों और साधकों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दौरान उपासक अपनी साधना और उपासना के अनुसार विभिन्न मंत्रों एवं पाठों का जाप करते हैं। देवी मंदिरों में विशेष अनुष्ठान भी आयोजित किए जाते हैं। इस बार षष्ठी और सप्तमी तिथि एक ही दिन पड़ने के कारण गुप्त नवरात्रि कुल आठ दिनों की होगी। माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक माघी गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। इस बार मां दुर्गा डोली/पालकी पर सवार होकर आएंगी। इसे शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता है कि जब भी मां डोली या पालकी पर सवार होकर आती हैं तब देश में प्राकृतिक आपदा, आसमानी आफत या बीमारी का खतरा होता है। दरअसल, सनातन धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है। सालभर में दो गुप्त नवरात्रि, चैत्र एवं शारदीय नवरात्रि सहित 4 नवरात्रि मनाई जाती है।
इस वर्ष गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ 30 जनवरी, गुरुवार से होगा और पूर्णाहुति 6 फरवरी, गुरुवार को होगी। शुभ दिन पर नवरात्रि का आरंभ और समापन होना सकारात्मक संदेश देता है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति और धार्मिक प्रगति का प्रभाव पूरे भारतवर्ष में देखने को मिलेगा। इसके अलावा, वृद्वजनों को रोग दोष से मुक्ति मिलेगी और उनके सेहत में शीघ्र सुधार होगा।
9 दिवसीय साधना के अंतर्गत गृहस्थ, संन्यासी, योगी, साधक और उपासक अपनी संकल्प सिद्धि के लिए सप्तशती के पाठ, श्रीमद् देवी भागवत महापुराण, तथा दिव्य मंत्रों के अनुष्ठान गुप्त रूप से करते हैं।
15 दिन में प्रमुख तीज-त्योहार भी रहेंगे
माघ मास का शुक्ल पक्ष 15 दिवस का रहेगा। इन 15 दिनों में एक तिथि का क्षय होगा। शुक्ल पक्ष में अलग-अलग प्रकार के तीज त्योहारों का भी संयोग रहेगा। जिसके अंतर्गत 1 फरवरी को वरद तिल कुंद चतुर्थी पर गणपति का पूजन व 3 फरवरी को सरस्वती की प्रसन्नता के लिए माता सरस्वती का पूजन किया जाएगा।
इसी दिन खटवांग जयंती भी रहेगी। वहीं 4 फरवरी को माँ नर्मदा के प्राकट्य उत्सव पर नर्मदा परिक्रमा की जा सकती है। इसी तरह 5 फरवरी को भीष्म अष्टमी व गुप्त नवरात्रि की अष्टमी रहेगी। यह पक्ष काल अनुकूल है और इस पक्ष काल में ग्रहों के योग संयोग भी अनुकूल फल प्रदान करेंगे।
शुक्र और शनि के नक्षत्र परिवर्तन का प्रभाव
नवग्रहों में विशेष महत्व रखने वाले शुक्र और शनि इस दौरान नक्षत्र परिवर्तन करेंगे, जिससे कई क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। शुक्र 1 फरवरी को प्रातः 9 बजे उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करेगा। इसका प्रभाव कृषि, कार्य क्षेत्र और कला जगत में उन्नति के रूप में दिखाई देगा। साथ ही, वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति की प्रतिष्ठा और प्रभाव बढ़ेगा।
शनि 2 फरवरी को सायंकाल पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करेगा। इससे व्यापार-व्यवसाय और कार्य की गति में तेजी आएगी। स्टार्टअप और तकनीकी क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेंगे, जिसका फायदा भारतीय अर्थव्यवस्था को होगा। इन ग्रह परिवर्तनों के कारण व्यवसायिक और आर्थिक दृष्टि से यह समय भारत के लिए अनुकूल रहेगा।
गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक और अघोरी मां दुर्गा की आधी रात में पूजा करते हैं मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी अर्पित की जाती है। इसके बाद मां के चरणों में पूजा सामग्री को अर्पित किया जाता है मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है सरसों के तेल से दीपक जलाकर ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
गृहस्थ लोग इन दिनों में कुछ उपाय कर नकारात्मक ऊर्जा को दूर करे –
गृहस्थ लोग नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान कौन से ऐसे 4 काम कर सकते हैं, जिससे नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा पा सकें।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करें – मां दुर्गा के कवच या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. इससे बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
दान करें – जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र, आभूषण, तिल-गुड़ और कुमकुम का दान करें. यह घर में धन-संपदा और सुख-शांति लाता है।
दीप प्रज्वलन – घी का दीपक जलाकर मां दुर्गा का ध्यान करें. यह गृह दोष और वास्तु दोष को खत्म कर उन्नति के मार्ग खोलता है।
लाल कपड़ा बांधें – घर की पूर्व दिशा में लाल कपड़ा बांधे। इससे आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और पारिवारिक क्लेश खत्म होते हैं।
देवी मां के पूजन से मिलेगी कष्टकारी ग्रहों से मुक्ति
देवी मां की पूजन, हवन, वेद पाठ के उच्चारण से कष्टकारी ग्रह शनि, राहु और केतु से पीड़ित श्रद्धालुओं को लाभ होता है। दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति के लिए साधक महाकाली, तारा, भुवनेश्वरी, त्रिपुरसुंदरी, छिन्मस्तिका, भैरवी, बगलामुखी, माता कमला, मातंगी देवी और धूमावती की साधना करते हैं।