विविधा

हवाईयन-अंग्रेज़ी-हिंदी शब्द सीमा


डॉ. मधुसूदन

ॐ –शब्द किस सामग्री से, और कैसे बनता है?
ॐ–शब्द समृद्धि की चरम सीमा।
ॐ–अंग्रेज़ी की अपेक्षा  हिंदी २१ गुणा समृद्ध?

एक: शब्दों की सामग्री।
शब्द किस सामग्री से, और कैसे बनता है?
उत्तर: शब्द बनता है, भाषा में उपलब्ध उच्चारों की विविध रचना ओं से। कुल उच्चार उसकी सामग्री है, और अलग अलग अनुक्रम की  उसकी विविध रचना है।
एक, दो,  उदाहरणों से यह समझा जा सकता है।
प्रश्न:चिडिया  के पास कितने उच्चार हैं?
उत्तर: चिडिया के पास केवल एक ही उच्चार “चिँ ” ही है।चिडिया की चरम शब्द सीमा इस “चिं” से सीमित होगी। (१) चिं, (२) चिं-चिं, (३) चिं-चिं-चिं; इत्यादि।चिडियों को इन शब्दों के अर्थ या संकेत पता होंगे।
कौए के पास केवल “का” ही है। तो, कौए की भी चरम सीमा उसी प्रकार (१) का, (२) का-का (३) का-का-का, इत्यादि।

दो:  दूसरा उदाहरण
काल्पनिक रूप से ही सोचा जा सकता है। मान लीजिए कि हमारे पास केवल ३ उच्चार है। त, म, और न। और दो दो अक्षरों के शब्द बनाना है। और किसी भी अक्षरका प्रयोग एक ही शब्द में एक बार ही करने की सुविधा है। तो आप सोचकर  निम्न सूची के शब्दों को ही चुनेंगे। क्रम अलग हो सकता है।
(१)तन (२)नत (३)तम (४)मत (५)मन (६)नम
चकित हूँ, कि इन सारे शब्दों का अर्थ भी होता है। पर यह सदा संभव नहीं होगा।
आप त, म, और न के उपयोग से तीन तीन अक्षरों के अलग अलग शब्द बना कर देख सकते हैं।ऐसी रचनात्मक शब्द-क्रीडा से आप अपने बालकों का मनोरंजन और खेल खेल में बुद्धि वर्धन भी कर सकते हैं।

तीन: शब्द समृद्धि की चरम सीमा।
भाषा  की घटक  सामग्री “शब्द” होते हैं। जितने शब्द अधिक होंगे, उतनी भाषा अधिक शब्दों की धनी होगी।  और शब्द  बनते हैं वर्णाक्षरों से। अर्थात जितने अधिक वर्णाक्षर भाषामें होंगे, उतनी उस भाषा की चरम संभाव्य शब्द-संख्या  होगी। संक्षेप में,  केवल तीन भाषाओं का, तुलनात्मक अध्ययन, करने का प्रयास, इस आलेख द्वारा करते हैं।
हवाईयन, अंग्रेज़ी, और हिंदी ऐसी तीन भाषाओं का चुनाव इस आलेख के लिए किया है।

चार: हवाईयन भाषा में कुल वर्णाक्षर।
कुछ वर्ष पहले मैं हवाई गया था। वहाँ पर हवाईयन भाषा बोली जाती थी। हवाईयन भाषा में कुछ विशेष उच्चारों  को बार बार सुनता  रहा। फिर  कुछ हवाईयन भाषियों से वार्तालाप से जाना, और अनुभव भी किया; जो पश्चात कुछ जाँच से भी सुनिश्चित हुआ कि, हवाईयन भाषा में केवल १२ या १३ उच्चारण होते हैं। १२ अक्षर(स्वर और व्यंजन मिला कर) के आधार पर अ, ए, ई, ओ, उ, ह, क~ट,  ल,   म, न, प, व्ह~व, ऐसे १२ अक्षर, और १ चिह्न पूर्ण विराम का, कुल १३  संकेत प्रयोजे जाते हैं।
हो सकता है, कि ऐसा या इसी अर्थका विधान किसी भाषाविज्ञान की पाठ्य पुस्तक में हो। पर विशेष नहीं मिलता। भाषाविज्ञान की भूमिका (देवेन्दनाथ शर्मा) की पुस्तक में १६२-१६४ पृष्ठ पर इस भाषा-परिवार का कुछ वर्णन है।
पर विशेष नहीं।

पाँच: हम कितने भाग्यवान हैं?

दूसरे की थाली में क्या परोसा गया है?यह देखने की उत्सुकता कुछ लोगोंको होती है। मैं तटस्थता से, सच्चाई को ही रखूँगा। इस लिए किसी का उद्धरण दे भी देता हूँ, तो तर्क का प्रमाण भी देना चाहता हूँ। सदिच्छाएं नहीं प्रस्तुत करना चाहता, जिससे विषय सर्वग्राह्य बनें। अपनी थाली में क्या पडा है, उसकी अपेक्षा  दूसरों की थाली में क्या परोसा गया है, इसकी तुलना करने पर कुछ लोगों का विश्वास दृढ हो जाता है; यह मैं जानता हूँ।इसलिए हवाई का अनुभव बताना चाहता हूँ। पर पहले परिपूर्ण भाषा का आदर्श क्या होता है, यह देख लें।

छः येनिश: परिपूर्ण भाषा का आदर्श”

विषय पर लिखे गये निबंध के लिए,१७९४ में बर्लिन अकादमी का पुरस्कार “येनिश” (Jenisch) को दिया गया था। अपने निबंध में येनिश ने भाषा के चार गुण गिनाएँ है।
(क)सम्पन्नता,(ख) ऊर्जा, (ग) स्पष्टता  (घ) सुश्राव्यता
(क) सम्पन्नता को येनिश मौलिक शब्द-भण्डार से जोडता है।
मौलिक शब्द जैसे कि, (१) आध्यात्मिकता को व्यक्त करने वाले शब्द, (२)अमूर्त भावों को व्यक्त करने वाले शब्द  (३) मौलिक शब्द-भण्डार नवीन शब्दों की  निर्मिति क्षमता से भी नापा जाता है।
आगे कहता है, कि, (१)भाषा में, बौद्धिक एवं नैतिक सार अभिव्यक्त हुआ करता है। जंगली भाषाएं स्थूल और रूक्ष, होती है। सभ्य भाषाएँ कोमल, और परिमार्जित होती है।

सात: हवाईयन भाषा
में केवल १३ अक्षर होते हैं। इसके कारण उस भाषा के शब्दों की संख्या सीमित हो जाती है।
निम्न शब्दों का निरिक्षण करने पर,  आपके ध्यान में आएगा, कि इस भाषा में कुछ विशेष स्वर और व्यंजनो का ही प्रयोग हुआ है।
निम्न  शब्दों को ध्यान से देखिए।उसमें जो वर्ण या स्वर प्रयोजे गए हैं, उन्हें देखिए।
अंग्रेज़ी शब्दों के हवाईयन उच्चारण देखिए।
April–>को  एपेलिला,—- January –> ‘ इयान्युआली ,—–February –>पेपेलुआली  —-March –>मालाकि
May –>मेयी  —-June —इयुने  —-July – इयुलाई
कुछ अर्थ सहित भाषा के शब्द
(१)अलोहा।—>प्रेम, नमस्कार,  विदाई, (२) हाओले,—>गोरा परदेशी  (३) लानाय—>, छज्जा, ओसारा, बरामदा
(४) तापा —>वल्कल  (५)माही माही —->एक प्रकार की मछली, (६)युकुलेले —-> एक बाजा (७) माउका  —–>पहाडी की ओर (८) माकाई  —->समुद्र की ओर
कुछ स्थानों के नाम देखिए।
(१)Hilo, हीलो या हैलो  (२)Kailua काइलूआ (३)Kaneohe कानैहो (४)Waipahu, वैपाहू (५)Waimaluवैमालू (६)Mililani, मिलीलानी (७)Kahului, काहुलुई (८)Kihei, किहेइ (९)Waikiki,वाइकीकी (१०)Hawaii हवाई, (११)Honolulu,होनोलूलू (१२) Mauna Kea,मौना की(१३)Molokai मोलोकाय

निम्न हवाइयन  भाषा के शब्द देखकर अपको उसकी मर्यादा का अनुमान हो गया होगा।
ध्यान से देखिए। (१)मालीहीनी (२)अलोहा।(३) हाओले,(४) लानाय, (६)तापा,(७) माही माही,(८)  युकुलेले,(९) माउका,(९) माकाई,(१०)वाइकीकी,,(११) हवाई i,(१२) होनोलुलु (१३) मौना की (१३) मोलोकाय
इन शब्दो में कुल १२ वर्णाक्षरों का ही उपयोग हुआ है। यह हवाईयन भाषा की मर्यादा है।
इसके कारण हवाईयन लोगों को अंग्रेज़ी के महीनों के नाम भी अपनी मर्यादा के अंतर्गत उच्चारण कर के ही बोलना आता है।
अंग्रेज़ भी जब हमारे शब्द उच्चारता है, तो उसे भी इस मर्यादा ने जकडा हुआ है। यह बिंदु बहुत महत्व रखता है।
संस्कृत और उससे प्रभावित हिन्दी में न्यूनमात्र दोष होता है। संदिग्ध उच्चारणों के स्वर और व्यंजन भी संस्कृत में सोच कर स्पष्टता के गुण के कारण ज़ या कॅ कॉ इत्यादि उच्चारों को संस्कृत में अस्वीकार किया गया था।


आँठ: विशेष सिद्धान्त

कुछ विशेष सिद्धान्त प्रस्थापित किए जा सकते हैं।
(१)संसार की सारी भाषाओं के शब्दोच्चार उनकी अपनी भाषा के वर्णाक्षरों के उच्चारणों से मर्यादित होते हैं।
(२) इन उच्चारणों की मर्यादा उनकी शब्द रचना को भी मर्यादित कर देती है।
(३) इस लिए उस भाषा की कुल शब्द रचना की संख्या भी प्रभावित और मर्यादित हो जाती है।

नौ: विश्वविद्यालयीन बीजगणित

कुछ विश्वविद्यालयीन बीजगणित (College Algebra) पर निम्न निष्कर्ष निकाला जा सकता है।
(४) सर्वज्ञानी अंग्रेज़ी के ६ स्वर, और २० व्यंजन  कुल २६=२६ अक्षर जब शब्द रचेंगे, तो उनकी मर्यादा २६ से मर्यादित होगी। (उच्चारण तो वे हिंदी के भी सही नहीं कर सकते )
उदाहरणार्थ:  ५ अलग अलग अक्षरों के अंग्रेज़ी शब्दों की  संख्या २६x२५x२४x२३x२२ = ७८९३६०० होगी (चरम सीमा)होंगी।
(५) हवाईयन शब्द सीमा होगी १३x१२x११x१०x९= १५४४४०
(६) हिंदी की शब्द सीमा होगी ४६x४५x४४x४३x४२=  १६४४९०४८० (अंग्रेज़ी से २१ गुणा) हुयी।

दस: अंग्रेज़ी आल्फाबेट की शब्द मर्यादा

वास्तव में जितनी भाषाएँ अंग्रेज़ी आल्फाबेट का उपयोग करती है, उन सारी भाषाओं की कुल शब्दों की जो चरम सीमा हो सकती है, उसकी अपेक्षा २१ गुणा हमारी देवनागरी (हिन्दी सहित) की शब्द क्षमता है।
और हवाईयन से १०६५ गुणा हुयी।
मेरा पाठकों से अनुरोध है, कि, तनिक हवाईयन भाषा का अवलोकन इस लिए, करे, कि,  जिससे वे  तुलनात्मक दृष्टिसे हिंदी सहित भारतीय भाषाओं का मूल्य समझ पाएंगे। किसी भी भाषा का विरोध अभिप्रेत नहीं है। प्रत्येक भाषी को उसकी भाषा प्रिय होगी यह मानता हूँ। पर इसका अर्थ ऐसा तो नहीं है, कि हमें हमारी भाषाएं प्रिय नहीं होनी चाहिए।
क्या मानते हैं, आप?