संदर्भः- हेलीकॉप्टर घूसकांड में केंद्र सरकार का अहम फैसला-
-प्रमोद भार्गव-
केंद्र की डॉ. मनमोहन सिंह नेतृत्व वाली सरकार ने वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीद सौदा रद्द करके देश की आवाम को संदेश दिया है कि वह अब भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ती दिखना चाहती है। हालांकि रक्षा मंत्री एके एंटानी ने पिछले साल ही इस सौदे को रद्द करने के संकेत दे दिये थे। इस सौदे का रद्द होना इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि घोटाले में पूर्व वायु सेना अध्यक्ष शशींद्र पाल त्यागी का नाम सीबीआई द्वारा एफआईआर में नामजदगी पहले ही हो गई थी। गौरतलब है कि एंग्लो-इतावली कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से वायुसेना ने 12 हेलीकॉप्टर खरीदने का करार 2010 में किया था। इनकी कीमत 3,600 करोड़ रुपये थी। इस करार के दौरान 360 करोड़ रुपये की रिश्वत सेना अधिकारियों एवं बिचौलियों के बीच बांटी गई थी। इसका भंडाफोड़ इटली पुलिस ने किया था। बाद में सीबीआई जांच में पूर्व वायु सेना अध्यक्ष एसपी त्यागी भी इसमें लिप्त पाए गए थे।
सीबीआई ने हेलीकॉप्टर घूसकांड में पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी सहित 13 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। त्यागी भारतीय वायुसेना के ऐसे पहले प्रमुख थे, जिनका नाम भ्रष्टाचार से जुड़े घोटाले में आपराधिक भूमिका की कूट रचना करने में सामने आया था। सतीष बगरोडिया और उनकी कंपनी आईडीएस इन्फोटेक के प्रबंध निदेशक प्रताप अग्रवाल के नाम भी आपराधिक सूची में दर्ज हैं। सतीश पूर्व केंद्रीय कोयला राज्यमंत्री संतोष बगरोडिया के भाई हैं। सीबीआई ने चार कंपनियों के नाम भी एफआईआर में दर्ज किए थे, जिनके नाम हैं, इटली की फिनमैकेनिका, उसकी सहयोगी ब्रिटिश कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड और चंडीगढ़ स्थित आईडीएस इन्फोटेक तथा एयरोमैटिक्स। दरअसल, सॉफ्टवेयर कंपनियों पर घूसकांड की आंच इसलिए आई है, क्योंकि इन्हीं कंपनियों के माध्यम से रिश्वत का पैसा भारत लाया गया।
भारत में हेलीकॉप्टर घोटाले के संकेत तीन साल पहले ही मिल गए थे, लेकिन केंद्र सरकार लंबी चुप्पी साधे रही थी। क्योंकि वह लगातार घोटालों का सामना करने से बचना चाहती थी, वरना इटली की सबसे बड़ी औद्योगिक कंपनी फिनमैकनिका के सीईओ गुइसेपे ओरसी को तो इटली पुलिस ने इसी हेलीकॉप्टर सौदे में 12 फरवरी 2010 में ही हिरासत में ले लिया था। इसी समय यह सौदा मंजूर हुआ था और इस मंजूरी के साथ ही पूर्व वायुसेना अध्यक्ष एसपी त्यागी का नाम गड़बड़ घोटाले में उछलने लगा था। सौदे में कुल 5.1 करोड़ यूरो, मसलन 360 करोड़ रुपए की राशि इटली और भारत के लोगों को बतौर रिश्वत दी गई थी। यह राशि कुल कीमत की 10 फीसदी है। जांच में सीबीआई को इटली में मौजूद बिचौलियों से जो दस्तावेज हाथ लगे हैं, माना जा रहा है कि उन्हीं के आधार पर हेलीकॉप्टर खरीद अनुबंध रद्द किया गया है। हालांकि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी अपनी अंकेक्षण रिपोर्ट में इस सौदे में नियमों की अनदेखी करने की टीप लगाई थी। इस सौदे में वास्तविक मूल से कहीं ज्यादा का भुगतान किया गया जिसमें 900 करोड़ रुपये की धांधली का अंदाजा कैग ने लगाया था।
इटली पुलिस ने भारत की सीबीआई को जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक अगस्तावेस्टलैंड से हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए 3546 करोड़ रुपये के सौदे में 2004 से 2007 के बीच कार्रवाई आगे बढ़ाने की प्रक्रिया के दौरान एसपी त्यागी को रिश्वत दी गई। इस रिश्वत की सौदेवाजी त्यागी के चचेरे भाई संजीव कुमार त्यागी उर्फ जूली, संदीप त्यागी और डोक्सा त्यागी के माध्यम से हुई। ये सभी नाम इटली पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में शामिल हैं। त्यागी इन्हीं सालों में भारतीय वायुसेना के अध्यक्ष थे। हालांकि त्यागी ने इन आरोपों का खंडन इस आधार पर किया था कि ‘मैं सेनाध्यक्ष के पद से 2007 में सेवानिवृत्त हो गया था, जबकि सौदे के अनुबंध पर हस्ताक्षर 2010 में हुए हैं। लेकिन यहां गौरतलब है कि उन्हें कंपनी की मंशानुसार हेलीकॉप्टर खरीद प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में दोषी पाया गया है। यदि उनकी भूमिका निष्पक्ष व निर्लिप्त होती तो खरीद प्रक्रिया कंपनी की इच्छानुसार आगे बढ़ती ही नहीं ?
दरअसल, हेलीकॉप्टर के तकनीकी चयन में फेरबदल करने के लिए रिश्वत दी गई। इटली पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक हेलीकॉप्टर उड़ान की अधिकतम उंचाई क्षमता को बदलवाने के लिए कथित रिश्वत दी गई। अगस्तावेस्टलैंड द्वारा निर्मित हेलिकॉप्टरों की उड़ान क्षमता 15,000 फीट की उंचाई तक उड़ान भरने की है। जबकि भारत 18,000 फीट की उंचाई तक उड़ान भरने वाले हेलीकॉप्टर खरीदना चाहता था जिससे हिमालय की कारगिल जैसी दुर्लभ पहाड़ियों पर पहुंचने में सुविधा हो। चूंकि अगस्तावेस्टलैंड से कथित रुप से रिश्वत लेना तय हो गया था, इसलिए हेलीकॉप्टर द्वारा उंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता को घटा दिया गया। निविदा की शर्तों में पहले दो इंजन वाले हेलीकॉप्टर खरीदे जाने का प्रस्ताव था। चूंकि अगस्ता के तीन इंजन वाले हेलीकॉप्टर थे, इसलिए शर्तों में बदलाव करते हुए तीन इंजन के हेलीकॉप्टर खरीदे जाने का प्रस्ताव रखा गया।
जब हेलीकॉप्टर खरीद का मसला उछला तो केंद्र सरकार के इशारे पर रक्षा मंत्रालय ने इस घोटाले के तार पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्वर्गीय बृजेश मिश्र से भी जोड़ दिए थे। दावा किया गया कि निविदा की शर्तों में बदलाव की पहल 2003 में बृजेश मिश्र ने की थी। मिश्र, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निकटतम थे। लेकिन बृजेश मिश्र की प्रक्रिया को न तो इटली पुलिस ने संदेह के घेरे में लिया है और न ही सीबीआई ने ? जाहिर है, सरकार की मंशा पाप का ठीकरा वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार पर फोड़ने का रहा होगा ? हालांकि यहां मौजूदा मनमोहन सरकार का दायित्व बनता था कि यदि बृजेश मिश्र ने गलत मंशा के चलते खरीद प्रक्रिया आगे बढ़ाई थी, तो वे इसे तत्काल निरस्त करते हुए नई व पारदर्शी प्रक्रिया को अंजाम देते ? ऐसा कुछ करने की बजाय, मनमोहन सरकार दोषारोपण तक सिमट कर रह गई। अब तो बृजेश मिश्र का निधन भी हो गया है।
चूंकि भारत हथियार खरीदने वाले देशों में अव्वल है, इसलिए हथियार बेचने वाले दलालों का सेना अधिकारियों को प्रलोभन देना लाजिमी है। 2007 से 2011 के बीच भारत ने 11 अरब डॉलर के हथियार खरीदे हैं, जो दुनिया भर में हुई हथियारों की बिक्री का 10 फीसदी हैं। अंदाजा है कि अगले 10 साल में भारत 100 अरब डॉलर की कीमत के लड़ाकू विमान, युद्धपोत और पनडुब्बियां खरीदेगा। 10 अरब डॉलर के हेलीकॉप्टर भी खरीदे जाने हैं। जाहिर है, दलाल सेना अधिकारियों को पटाने की कोशिश में लगे रहते हैं। पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने 2012 में सेवानिवृत्त होने से पहले आरोप लगाया था कि उन्हें 600 टैटा टक खरीदने के लिए 14 करोड़ रुपए की रिश्वत देने की पेशकश की गई। यदि त्यागी दलालों के प्रलोभन में न आकर वीके सिंह की तरह लालच दिए जाने का पर्दाफाश करते तो आज वे भी वीके सिंह की तरह देश के आदर्श नायकों की श्रेणी में शामिल हो गए होते ? लेकिन यह देश और खुद त्यागी व उनके परिजनों के लिए शर्मनाक है कि उनका नाम राष्ट्रघातियों की आपराधिक सूची में सीबीआई ने दर्ज किया है। ऐसे हालात सेना का मनोबल गिराने का काम करते हैं। हालांकि रक्षा मंत्री एके एंटानी रिश्वत-खोरी की जानकारी मिलने पर दो अन्य सौदे भी रद्द कर चुके हैं। इन सौदों में बीईएमएल का 3000 करोड़ रुपये का टैटा टक सौदा और यूरोकॉप्टर से हलके हेलीकॉप्टर खरीद सौदा शामिल हैं। 6190 करोड़ रुपये के इस करार के तहत 197 हेलीकॉप्टर खरीदे जाने थे। बहरहाल, यह अच्छा संकेत है कि अब केंद्र सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूती से खड़ी दिखाई दे रही है।
जहाँ जहाँ जिनकी जेबों में पैसा पहुंचना था , जो भागीदार थे वे सब लाभान्वित हो गए अब जांच का नाटक और सौदा रद्द हों मात्र एक ओपचारिकता थी .कालिख का प्रयास मात्र , जो अब दिखाने के लिए जरूरी था ताकि दस साल के कारनामों से एक तो कम किया जा सके. पर विपक्ष कितना भूलता है और कितना भूलने देता है यह समय ही बतायेगा.