जागो हे! मतदाता – आशीष कुमार ‘अंशु’

indiaelection‘अक्सर देखा जाता है कि बहुसंख्यक लोग मतदान को बड़े हल्के ढंग से लेते हैं। लोग बड़े अनमने ढंग से वोट देने चले जाते हैं। उन्हें ना प्रत्याशियों के बारे में अधिक पता होता है और ना वोट देते समय वे प्रत्याशियों के नामों पर विचार करने के लिए कुछ समय लेते हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी कम नही है जो सगे संबंधियों और इष्ट मित्रों से पूछकर वोट देते हैं। मेरा ऐसे लोगों से अनुरोध है कि वोट आपका है, इसका मौका पांच साल में एक बार मिलता है (अगर उपचुनाव ना हुए तो)। इसका उपयोग बहूत सुझबूझ के साथ करें।’

आगामी लोक सभा चुनाव में मतदाताओं को जागरुक करने के उद्देश्य से प्रख्यात साहित्यकार-सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी  ,द्वारा लिखे गए एक लेख का यह संक्षिप्त अंश है। इस लेख में उन्होंने मतदाताओं से मतदान करने से पहले पूरी तरह सोच-विचार करने का अनुरोध किया है। क्योंकि सही प्रत्याशी ही स्वस्थ लोकतंत्र को बहाल करने में मददगार हो सकता है। इस लिए अपने मत का सही प्रयोग करना, एक प्रकार की राष्ट्रभक्ति ही है।

जिस प्रकार आमिर खान अपनी लगान, तारे जमीन पर सरीखी अलग हटकर बनाई गई फिल्मों के लिए रील लाइफ में चर्चित रहे हैं। उसी प्रकार वे अपने रीयल लाइफ में भी ‘नेशनल इलेक्शन वाच’ नामक एक गैर सरकारी संस्था के साथ मिलकर इस चुनाव में ईमानदार प्रत्याशी को मत देने के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं। इस विज्ञापन में आमिर खान टेलीविजन चैनल पर आते हैं और मतदाताओं से इस चुनाव में अपना मत ना बेचने का अनुरोध करते हैं। वे कहते हैं- इस वक्त आप एक बार अपना वोट बेचेंगे और उसके बाद पांच साल तक ये नेता आपको बेचेंगे। वोट इस देश में बिकता है, इस में किसी को कोई संदेह नहीं लेकिन इसकी वजह क्या है? इसके पीछे बड़ी वजह है गरीबी। जिसकी वजह से लोग चंद रुपयों,या फिर कुछ इसी तरह के छोटे-मोटे प्रलोभनों के हाथों अपना मत बेच देते हैं। दूसरी बड़ी वजह है, अशिक्षा और अज्ञानता जिसकी वजह से गरीब लोग नहीं समझ पाते कि वे मत नहीं अपना भविष्य चंद रुपयों में गिरवी रख रहे हैं।  इस बार आचार संहिता लागू होने के बाद नोट बांटते की वजह से जसवंत सिंह, वरुण गांधी, अभिनेता से राजनेता बने गोविन्दा सरीखे लोगों पर चुनाव आयोग अपने स्तर पर कार्यवाही कर रही है। लेकिन इस तरह की कार्यवाहियों से कुछ खास लाभ नहीं दिखता। ये कार्यवाही आम तौर पर सिर्फ खानापूर्ति के लिए की जा रही प्रतित होती हैं।

खैर, बात इस चुनाव की करें तो इसमें कई सारे ऐसे गैर सरकारी प्रयास देश भर में छोटे-बड़े स्तर पर चलाए जा रहे हैं जो सीधे-सीधे मतदाताओं को जागरुक करने के लिए हैं। उन्हें उनके अधिकारों से परिचित कराने के लिए हैं। इस बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, फिल्म स्टार, मीडिया मतदाताओं को जगाने का अभियान चला रहे हैं।

इस बार देश भर में अलग-अलग जगहों पर एक तरफ बड़े-छोटे नेता चुनाव प्रचार में लगे हैं, वहीं दूसरी तरफ गैर सरकारी संस्थाएं इस प्रयास में लगी हैं कि अधिक से अधिक मतदान हो और मत सही आदमी को मिले। इसके लिए गैर सरकारी संस्था ‘जागोरे’ का देशव्यापी अभियान काबिले गौर ही नहीं, काबिले तारिफ भी है। संस्था के कार्यकर्ता दफ्तर, घर, कॉलेज हर जगह जा रहे हैं और मतदान के महत्व को समझा रहे हैं। उम्मीद है, इस तरह के प्रयासों से निश्चित तौर पर फर्क आएगा। दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दू कॉलेज के प्राध्यापक रतनलाल अपनी संस्था ईएफजी के बैनर के नीचे नुक्कड़-नाटकों और सेमिनारों के माध्यम से एक-एक मत का महत्व समझा रहे हैं। इससे पहले विधान सभा के चुनावों में नगर पालिका चुनावों के मुकाबले पड़े कैम्पस में लगभग 30 प्रतिशत से अधिक वोट इस बात की तरफ साफ संकेत करते हैं कि श्री लाल के अभियान में दम है। उनकी बातों का असर कॉलेज में पढ़ने और पढ़ाने वालों पर गहरा हो रहा है।

उत्तार प्रदेश के डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक चार्टर एकांउटेंट और व्यावसायियों ने मिलकर मतदाताओं को उनके अधिकारों के संबंध में जागरूक करने के लिए डा. पीके गुप्ता के नेतृत्व में एक फोरम का निर्माण किया है। फोरम का मानना है कि गलत लोगों को संसद से बाहर करने के लिए समझदार लोगों को मतदान बुथ तक आना होगा। जो आम तौर पर होता नहीं है। जो पढ़े लिखे लोग हैं, वे आमतौर पर चुनाव की तारीख को पिकनिक मनाने के लिए निकल जाते हैं। जबकि ऐसे लोगों को मतदान स्थल तक जरुर आना चाहिए। कहते हैं ना कि आपका एक वोट किसी की जिन्दगी बदल सकता है। किसी के हार-जीत का फैसला कर सकता है। इसलिए अच्छे लोग संसद तक जाएं इसके लिए पहले जरुरत इस बात की है कि आप मतदान स्थल तक पहुंचे।लखनऊ की ‘सामाजिक सरोकार मंच’ नामक संस्था आम नागरिकों को एसएमएस, ई-मेल और सभाओं के जरिए जागरूक करने का काम कर रही है।

दुधी (स्वर्णभद्र) में मिले महिषानन्द जी। वे ‘ग्राम स्वराज’ के नाम से आदिवासियों के बीच जल-जंगल-जमीन के मुद्दे पर अभियान चला रहे हैं। वे आदिवासियों के हक की बात करते हैं। आदिवासियों के बीच उनकी संस्था उत्तार प्रदेश की  कुछ साथी संस्थाओं के साथ मिलकर मत का महत्व समझाने का काम कर रही है। महिषानन्द कहते हैं- ‘आदिवासी समाज के लोगों के बीच हम मतदान को लेकर अभियान चला रहे हैं। हम चाहते हैं, वे मतदान स्थल तक भारी संख्या में आए और उस उम्मीदवार को मत दें, जो उनके हक की बात करता है। उन्हें किसी प्रकार के भूलावे में नहीं रखता।’

बांदा (बुंदेलखंड) के कृषि एवं पर्यावरण विकास संस्थान के सुरेश रायकवार अपने साथियों के साथ बांदा और उसके आस-पास के क्षेत्रों में जा रहे हैं और मतदाताओं को समझा रहे हैं कि जो नेता पानी उपलब्ध कराने की बात नहीं करता उससे बात भी मत करों। इस बार बुंदेलखंड में पानी का मुद्दा महत्वपूर्ण है। जो नेता पानी की बात करेगा, वह ही इस बार बुंदेलखंड पर राज करेगा। पानी का मुद्दा बिहार के कोसी क्षेत्र में भी बड़ा मुद्दा बना हुआ है लेकिन बुंदेलखंड में जहां बात सूखे को लेकर हो रही है, वहीं बिहार का कोसी क्षेत्र बाढ़ से परेशान है। बिहार के ‘कोसी मुक्ति संघर्ष समिति’ के सचिव सुशील कुमार यादव कहते हैं- ‘इस बार जो वोट मांगने आएंगे उन्हें पहले क्षेत्र में बार-बार आने वाली बाढ़ के निदान के संबंध में बात करनी होगी। कोसी की जनता बार-बार ठगी जाती रही है। इस बार हम ठगे नहीं जाएंगे।’ इस बार कोसी क्षेत्र की एक बड़ी पीड़ित आबादी विरोध करने का भी मन बना रही है। उनका मानना है कि केन्द्र राज्य की सरकार और तमाम गैर सरकारी संगठन बाढ़ के स्थायी निदान पर चर्चा ना करके हर साल आने वाली बाढ़ में रीलीफ बांटकर उन्हें खैरात पर जीने की आदि बनाने की साजिश कर रही है।
इस देश भर में जनता और नेता दोनों तैयार हैं, चुनाव के लिए एक-दूसरे से सामना करने के लिए। पूरे देश में जिस तरह की हवा है, उसे देखकर यही लगता है कि इस बार देश की जनता को मूर्ख बनाना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि यह पब्लिक अब सब जान चुकी है।


आशीष कुमार ‘अंशु’
संपर्क: इंडिया फाउंडेशन फॉर रुरल डेवलपमेन्ट स्टडि्ज
406, 49/50, रेड रोज बिल्डिंग, नेहरु प्लेस, न.दि.- 110019
09868419453

1 COMMENT

  1. काश!!! आप सही हों कि देश की जनता को मूर्ख बनाना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि यह पब्लिक अब सब जान चुकी है….कब से यह सुनते आ रहे हैं.

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