हिमाचल के विकास में जियो स्पेशियल तकनीक का प्रयोग

हिमाचल के मुख्यमंत्री ने अपने शासन काल में हिमाचल प्रदेश की कायाकल्प करने के लिए हर संभव प्रयास किए है और उनके इन प्रयासों का ही प्रतिफल है कि हिमाचल आज अपने आप मे इतना विकसित है। प्रो. प्रेम कुमार धूमल हिमाचल के विकास के लिए नई नई तकनीकों का प्रयोग कर रहे हैं। इसी क्रम में उन्होने जियो स्पेशियल तकनीक को प्रयोग करने का भी ऐलान किया है।

मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल द्वारा की गई बजट घोषणा के अनुसार प्रदेश में भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशन एण्ड जियो-इन्फॉर्मेटिक्स (बीआईएसएजी), गांधी नगर गुजरात के सहयोग से आर्यभट्ट जियो-इन्फॉर्मेटिक्स एण्ड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (एजीआईएसएसी) स्थापित किया जाएगा। इस केन्द्र का उपयोग राज्य की विकासात्मक गतिविधियों एवं योजना के निर्णय लेने में जियो स्पेशियल तकनीक की सुविधा लेने के लिए किया जाएगा। केन्द्र की स्थापना के लिए हिमाचल प्रदेश एवं गुजरात सरकारों के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने से हिमाचल प्रदेश तथा गुजरात के मध्य तकनीक समन्वय के नए द्वार खुल गये हैं। गुजरात सरकार के तकनीक एवं प्रौद्योगिकी विभाग के बीआईएसएजी की तकनीकी कुशलता से हिमाचल प्रदेश विशेष रूप से लाभान्वित होगा। यह केन्द्र स्पेस एप्लीकेशन तथा जियो इन्फॉर्मेटिक्स सेवाएं प्रदान करने की विशेषता रखता है तथा रिमोट सेंसिंग के सभी बड़े क्षेत्रों में यह सेवाएं प्रदान कर रहा है।

यह केन्द्र सैटकॉम नेटवर्क के माध्यम से विकेन्द्रीकृत योजना, जागरुकता, क्षमता निर्माण और सूचना के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के बीआईएसएजी से हिमाचल प्रदेश में स्थापित होने वाले एजीआईएसएसी को राज्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद के माध्यम से ‘न लाभ न हानि के’ आधार पर तकनीकी लिंक प्राप्त होगा। यह केन्द्र सटीक वैज्ञानिक डाटा बेस प्रदान करने में स्टेट सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज के लिए विशेष रूप से लाभदायक सिद्ध होगा। इसकी सहायता से कृषि, बागवानी, वानिकी, बर्फ एवं ग्लेशियर, जल संसाधन, जल विद्युत और पर्यटन इत्यादि महत्वपूर्ण क्षेत्रों के विषय में सही वैज्ञानिक जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।

सेटेलाईट से प्राप्त तस्वीरों को ओर्थों तस्वीरों में बदलना, सेटेलाईट से प्राप्त चित्रों पर डाटा उपलब्ध करवाना, बीआईएसएजी के साथ सम्पर्क स्थापित करना, सॉफ्टवेयर आउटपुट का प्रणाली विकास, हिमसैट का विकास, अन्य तकनीकी मार्गदर्शन और जियो इन्फोर्मेशन तथा रिमोट सेंसिंग के क्षेत्र में बीआईएसएजी हिमाचल प्रदेश को विशेषज्ञ सुविधाएं उपलब्ध करवाएगा। बीआईएसएजी हिमाचल प्रदेश के वैज्ञानिक एवं तकनीकी विशेषज्ञों को प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा।

पर्यावरण, विज्ञान एवं तकनीक विभाग तथा एजीआईएसएसी को यू.एस. क्लब के समीप ‘प्रेस विला’ उपलब्ध करवाया गया है, ताकि केन्द्र शीघ्र सुचारु बन सके। हिमाचल प्रदेश में 26 यूजर्स विभाग चिन्हित किये गए हैं, जो जियो-स्पेशियल डाटा बेस का उपयोग करेंगे। यह कार्यक्रमों के अनुश्रवण और मूल्यांकन में लाभदायक सिद्ध होगा।

इस कार्य के लिए व्यवसायियों की विभिन्न श्रेणियों के 63 पद सृजित किए गए हैं, मुख्य सरकारी विभागों ने एजीआईएसएसी के साथ विचार विमर्श करने के लिए नोडल अधिकारी तथा नोडल दल चिन्हित किए हैं, ताकि उचित डॉटा बेस सृजित किया जा सके। मुख्य विभाग योजना तथा निर्णय क्षमता युक्त जियो-स्पेशियल इन्फर्मेशन एप्लीकेशन चिन्हित करने की प्रक्रिया में है तथा इन विभागों ने जीआईएस डोमेन को वैलिडेटिड इन्फोर्मेशन (डाटा बेस) उपलब्ध करवाना आरंभ कर दिया है।

2 COMMENTS

  1. वैसे तो ये प्रयास सभी राज्यों के लिए अनुकरणीय है फिर भी कम से कम पहाड़ी प्रदेशों में इसे विशेस तौर पर अपनाया जा सकता है. उत्तराखंड इसे अपने पडोसी राज्य हिमाचल से शेयर कर सकता है. इससे स नए राज्य का विकास तेज हो सकेगा.

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