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हिन्दी एग्रिगेटर ‘ब्लागवाणी’ का बाय-बाय

blogvani1हिन्दी में जाने माने ब्लाग एग्रिगेटर ‘ब्लागवाणी’ ने अपने ब्लाग एग्रिगेटिंग को बाय- बाय कह दिया है। “अब ब्लागवाणी को पीछे छोडकर आगे जाने का समय आ गया है” जी हां इसी शब्द के साथ ब्लागवाणी के मैथली जी और ब्लागवाणी टीम ने हिन्दी एग्रिगेटिंग से आगे बढने की बात कही। आइये पढते हैं उनके पत्र के कुछ अंश्…

“इसलिये आज जरूरी है कि ब्लागवाणी पसंद और उसमें बनाये गयी सुरक्षा तकनीकों के बारे में बताया जाये क्योंकि इसकी क्रेडिबिलिटी से उन सब ब्लागों की क्रेडिबिलिटी जुड़ी है जिन्हें पसंद किया गया है, और उन सब ब्लागरों की भी जो पसंद करते हैं.
अगर आपने ब्लागवाणी पसंद का उपयोग किया हो तो यह देखा होगा कि एक पसंद देकर दोबारा दूसरी पसंद देने से नहीं होती. ऐसा सुनिश्चित करने के लिये कई मिली-जुली तकनीकों का इस्तेमाल किया गया था जिसमें IP Address, Cookies, Sessions आदी का इस्तेमाल होता है. इसलिये ब्लागवाणी की पसंद का दुरुपयोग साधारण प्रयोक्ता के लिये आसान नहीं था.
ब्लागवाणी को सुचारू रूप से चलाना के लिये कई तकनीके और सिस्टम बनाये गये थे जिनसे उसके कामकाज में विराम न हो और वह निर्बाध रूप से चलती रहे. ब्लागवाणी का हर हिस्सा कई तरीके की सुरक्षा तकनीकों का इस्तेमाल करता है, ब्लागवाणी पर आने वाली हर पसंद का पूरा हिसाब रखा जाता है. ब्लागवाणी पर आने वाली हर पोस्ट पर आने वाली हर पसंद का समय एवं IP address ब्लागवाणी के डाटाबेस में मौजूद है.
पिछले कुछ समय में एसी ब्लाग पोस्ट आयीं जिनमें ब्लागवाणी की पसंद का दुरुपयोग करके बेबात बढती पसंद पर चिंता जताई गई थी. अपने इन्टरनेट कनेक्शन को बार-बार डिसकनेक्ट करके फिर से कनेक्ट कर IP बदल कर और ब्राउज़र में कैश मिटाकर या IP बदलने वाले औजरों का प्रयोग करके पसंद बढाने के बारे में बताया गया था.
इन पसंदो का अध्ययन कर पाया गया कि नकली पसंद की IP में पैटर्न थे (जैसे सिर्फ आखिरी अंको का बदलना, आदि). एक सुरक्षा प्रोग्राम बनाया गया जो समय-समय पर चलकर इस पैटर्न को डिटेक्ट करके नकली पसंद निकालता है. अगर किसी ब्लाग पर निश्चित प्रतिशत से अधिक नकली पसंदे आयीं हों तो वह प्रोग्राम उस ब्लाग पर आने वाली पसंदे कुछ समय के लिये रोक देता है.
सुरक्षा उपाय तभी ज्यादा कारगर होते हैं जब हैकरों को उनके बारे में पता न हो. इसलिये सुरक्षा उपाय हमेशा गुप्त रखे जाते हैं जिनके बारे में कोई पब्लिक अनाउंसमेंट नहीं की जाती. जानकारी सार्वजनिक करने का अर्थ है कि इनका तोड़ निकालने का साधन दे देना. दूसरे क्या ब्लागवाणी हर सवाल उठाने वाले ब्लागर की बढ़ी हुई पसंद की ip सार्वजनिक करती रहती ? यह अपमानजनक होता या सम्मानजनक? यह नकली पसंद किसी अन्य द्वारा भी तो की जा रही हो सकती थी. ब्लागवाणी के पास इन पसंदों की आईपी पता और समय मौजूद है.
अंतत:
ऐसा नहीं है कि हम सोचते नहीं हैं, या हमारी विचारधारा नहीं है. हमने कभी भी उनको अपने काम पर हावी नहीं होने दिया. ब्लागवाणी इसका सबूत कैसे दे? क्यों दे?
ब्लागवाणी चलाना हमारी मजबूरी कभी न थी बल्कि इस पर कार्य करना नित्य एक खुशी थी. पिछले दो सालों में बहुत से नये अनुभव हुए, मित्र भी मिले. उन सबको सहेज लिया है, लेकिन अब शायद आगे चलने का वक्त है. तो फिर अब हम कुछ ऐसा करना चाहेंगे जिससे फिर से हमें मानसिक और आत्मिक शांति मिले.
इन दो सालों में आप सबके हार्दिक सहयोग मिला इसके लिये बहुत आभार. अब ब्लागवाणी को पीछे छोडकर आगे जाने का समय आ गया है.”


विदा दीजिये ब्लागवाणी को
टीम ब्लागवाणी

पिछले कई महिने से भड़ास और भड़ास निकालने वाले, भड़ास लिखने वाले ही कई ब्लागरों ने मैथली जी को ब्लागवाणी को ही लेकर काफ़ी छेछालेदर कर दिया।

जैसे कि  ब्लागवाणी के प्रविष्टियों के मेनुपुलेशन और ब्लाग के शामिल होने और ब्लाग के बाहर होने को मुद्दा बना दिया।

इसी कारण से ब्लागवाणी टीम ने ब्लागवाणी के वर्किंग पर टिप्पणी कर सफ़ाई देते हुये बाई कहा है। साथ ही ब्लागवाणी के कान्सेप्ट से आगे बढने कि भी बात कहि है।

भाई ये तो मैथली जी है, जो इस छेछालेदर मे पडना भी नहीं चाहते, और बंद करने का ही एलान कर दिया। लेकिन मैं तो मैथली जी के क्षमता से अच्छी तरह अवगत हुं, ये जरुर कोइ और बड़ी बात होगी, यानि कोई और बड़ी हिन्दी की सेवा का प्रोग्राम। बस कुछ इन्तजार कि बात भर होगी।