हिंदी गजल

हवा बहुत बदगोई है।
रात कलप कर रोई है।।

उनने अपने जीवन में,
केवल कटुता बोई है।

गर तुम हो जर्किन पहने,
वह भी ओढ़े लोई है।

साला हूं मै भी गर तो,
वह मेरा बहनोई है।

जब जब आड़ा वक्त पड़ा,
यहाँ न मिलता कोई है।

हमनें बस उम्मीदें की,
उसने इज्जत धोई है।

अविनाश ब्यौहार
रायल एस्टेट कटंगी रोड
जबलपुर मो: 9826795372

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