हिन्दू संस्कृति का विशाल वट वृक्ष

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विजय कुमार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में एक गीत प्रायः बोला जाता है –

हिन्दू संस्कृति के वट विशाल

तेरी चोटी नभ छूती है, तेरी जड़ पहुंच रही पाताल।।

इस गीत की भावना के अनुरूप आज संघ एक विराट वट वृक्ष बन गया है। संघ के स्वयंसेवकों ने अपनी रुचि, प्रवृत्ति एवं आवश्यकता के अनुरूप समाज जीवन के हर क्षेत्र में संस्थाएं तथा संगठन बनाये हैं, जिनसे पूरी दुनिया में हिन्दुत्व का विचार क्रमशः तेजी पकड़ रहा है। अरबों-खरबों रुपये और सत्ता की शक्ति झोंकने के बावजूद देशी-विदेशी षड्यन्त्रकारी मुंह की खा रहे हैं। इसका एकमात्र कारण है संघ का शास्त्रशुद्ध विचार तथा वटवृक्ष की गहरी जड़ों की तरह फैले उसके सैकड़ों समविचारी संगठन।

प्रतिवर्ष मार्च मास में होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में इन संगठनों के प्रतिनिधि अपने कार्य की जानकारी सबको देते हैं। इस वर्ष भी 11 से 13 मार्च, 2011 को पुत्तूर (कर्नाटक) में ऐसे सब कार्यकर्ता आये। वहां संघ शाखाओं की जानकारी देते हुए सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने बताया कि इस समय देश भर के 27,078 स्थानों पर 39,908 दैनिक शाखाएं, 7,990 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन तथा 6,431 स्थानों पर मासिक संघमंडली चल रही हैं।

गत वर्ष में देश भर में कुछ विशिष्ट कार्यक्रम भी सम्पन्न हुए। संघ के कुछ कार्यकर्ता घोष (बैंड) बजाना सीखते हैं। नगर, जिला, प्रांत आदि के अनुसार इनके शिविर समय-समय पर होते रहते हैं। इस वर्ष घोष का केन्द्रीय शिविर लखनऊ में हुआ, जिसमें 298 कार्यकर्ता उपस्थित हुए। मेरठ में डिग्री तथा उससे आगे पढ़ने वाले 2,247 छात्रों का एक तीन दिवसीय शिविर भी उल्लेखनीय है। ये छात्र मेरठ और उसके निकटवर्ती 15 जिलों के ही थे। पंजाब में महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालयों के अध्यापकों के सम्मेलन में 248 लोग सहभागी हुए। इनमें अनेक विभागाध्यक्ष, डीन तथा उपकुलपति भी थे।

मध्य प्रदेश में इंदौर के आसपास मालवा प्रांत में पांच स्थानों पर हुए पथसंचलन में 43,600 पूर्ण गणवेशधारी स्वयंसेवक तथा वहां के 20 जिलों में हुए शीत शिविरों में 10,387 स्वयंसेवक सहभागी हुए। भारत में गंगा की तरह नर्मदा नदी के प्रति भी बहुत आदर व श्रद्धा का भाव है। फरवरी मास में नर्मदा जयंती पर हुए तीन दिवसीय मां नर्मदा सामाजिक कुंभ में हजारों प्रतिष्ठित संत, धर्माचार्य तथा 30 लाख लोग आये। स्वयंसेवकों ने पांच लाख से भी अधिक परिवारों से सम्पर्क कर कुंभ के लिए 386 टन अनाज एकत्र किया।

कर्नाटक के उत्तरी भाग में आई बाढ़ के कारण विस्थापित हुए 180 गांवों में स्वयंसेवकों ने सहायता सामग्री पहुंचाई। सेवाभारती ने वहां नौ ग्रामों में 1,680 मकान बनाने का निर्णय लिया है। हिन्दू समाज के सभी मत, पंथ, सम्प्रदाय व समुदायों में परस्पर सामंजस्य बना रहे, इस नाते देश भर में प्रयास चल रहे हैं। महाराष्ट्र में इन प्रयासों मंे विशेष सफलता मिली है। मिशनरियों द्वारा किये जा रहे धर्मान्तरण के षड्यन्त्रों को विफल करने के लिए अनेक साधु संत प्रवास करते हैं। देवगिरी में करवीरपीठ के पूज्य शंकराचार्य की पदयात्रा से इस क्षेत्र में भरपूर लाभ हुआ। प्रायः सभी प्रांतों में इस प्रकार के कुछ विशेष कार्यक्रम सम्पन्न हुए।

कश्मीर की स्थिति लगातार चिंताजनक बनी है। इस बारे में देश को जागरूक करने के लिए कश्मीर विलय दिवस (26 अक्तूबर) को शाखाओं पर तथा सार्वजनिक रूप से लगभग 10,000 कार्यक्रम हुए। ग्राम्य विकास में लगे कार्यकर्ताओं का सम्मेलन कन्याकुमारी तथा मथुरा में हुआ। हिन्दू आतंकवाद के नाम पर किये जा रहे षड्यन्त्र के विरोध में 10 नवम्बर, 2010 को देश भर में 750 स्थानों पर हुए धरनों में 11 लाख लोगों ने भाग लिया।

30 सितम्बर, 2010 को न्यायालय ने श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में निर्णय दिया। अब विश्व भर के हिन्दुओं की इच्छा है कि अयोध्या में शीघ्र ही भव्य श्रीराम मंदिर बने। इस निर्णय से पूर्व पूज्य साधु-संतों के नेतृत्व में 11, 467 स्थानों पर हनुमत शक्ति जागरण यज्ञ सम्पन्न हुए, जिनमें 64 लाख लोग सहभागी हुए।

संस्कृत भाषा के प्रति जागृति लाने हेतु विभिन्न संस्थाएं प्रयासरत हैं। इनके साथ मिलकर सात से दस जनवरी, 2011 को बंगलौर में विश्व संस्कृत पुस्तक मेला सम्पन्न हुआ। इसमें 14 संस्कृत वि0वि0, 128 प्रकाशकों तथा चार लाख लोगों ने भाग लिया। इसमें 12 अन्य देशों के प्रतिनिधि भी आये। अपनी आजीविका के लिए विदेश में रहने वाले स्वयंसेवकों के लिए 29 दिसम्बर, 2010 से तीन जनवरी, 2011 तक पुणे में विश्व संघ शिविर सम्पन्न हुआ। इसमें 35 देशों के 330 स्वयंसेवक सपरिवार आये। पूरी दुनिया को पांच क्षेत्रों (अमरीका, यूरोप, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका तथा एशिया) में बांटकर, जिन देशों में हिन्दू हैं, वहां साप्ताहिक, मासिक या उत्सवों में मिलन के माध्यम से काम हो रहा है।

स्वयंसेवक शाखा के अतिरिक्त अनेक सामाजिक क्षेत्रों में भी काम कर रहे हैं। निस्वार्थ भाव एवं लगन के कारण ऐसे सब कार्यां ने उस क्षेत्र में अपनी एक अलग व अग्रणी पहचान बनाई है।

भारत के वनों व पर्वतों में रहने वाले हिन्दुओं को अंग्रेजों ने आदिवासी कहकर शेष हिन्दू समाज से अलग करने का षड्यन्त्र किया। दुर्भाग्य से आजादी के बाद भी यही गलत शब्द प्रयोग जारी है। ये वही वीर लोग हैं, जिन्होंने विदेशी मुगलों तथा अंग्रेजों से टक्कर ली है; पर वन-पर्वतों में रहने के कारण वे विकास की धारा से दूर रहे गये। इनके बीच स्वयंसेवक ‘वनवासी कल्याण आश्रम’ नामक संस्था बनाकर काम करते हैं। इसकी 29 प्रान्तों में 214 इकाइयां हैं। इनके द्वारा शिक्षा, चिकित्सा, खेलकूद और हस्तशिल्प प्रशिक्षण आदि के काम चलाये जाते हैं।

संघ का कार्य केवल पुरुष वर्ग के बीच चलता है; पर उसकी प्रेरणा से महिला वर्ग में ‘राष्ट्र सेविका समिति’ काम करती है। इस समय देश में उसकी 5,000 शाखाएं हैं। इसके साथ ही समिति 750 सेवाकार्य भी चलाती है। ‘क्रीड़ा भारती’ निर्धन, वनवासी व ग्रामीण क्षेत्र में छिपी हुई प्रतिभाओं को सामने लाने का प्रयास कर रही है। यह विद्यालयों में सूर्यनमस्कार को भी लोकप्रिय कर रही है। इस वर्ष सूर्य सप्तमी पर करोड़ों छात्रों ने सूर्यनमस्कार किये। संस्था खिलाड़ियों के माता-पिता को भी सम्मानित करती है।

धर्मान्तरण के षड्यन्त्रों को विफल करने के लिए धर्म जागरण के प्रयासों के अन्तर्गत 110 जाति समूहों में सेवा कार्य प्रारम्भ करने की योजना बनी है। इसमें से 70 जाति समूहों में यह कार्य प्रारम्भ हो गया है। इसके साथ ही वंशावली संरक्षण एवं संवर्धन संस्थान भी काम कर रहा है। सेवा के कार्य में ‘दीनदयाल शोध संस्थान’ भी लगा है। गोंडा एवं चित्रकूट का प्रकल्प इस नाते उल्लेखनीय है।

राजनीतिक क्षेत्र में ‘भारतीय जनता पार्टी’ की छह राज्यों में अपनी तथा तीन में गठबंधन सरकार है। पिछले कुछ समय से कार्यकर्ता प्रशिक्षण तथा बूथ समिति बनाने पर आग्रह किया जा रहा है।

समाज के प्रबुद्ध तथा सम्पन्न वर्ग की शक्ति को आरोग्य सम्पन्न, आर्थिक रूप से स्वावलम्बी तथा समर्थ भारत के निर्माण में लगाने के लिए ‘भारत विकास परिषद’ काम करती है। परिषद द्वारा संचालित देशभक्ति समूह गान प्रतियोगिता तथा विकलांग सहायता योजना ने पूरे देश में एक विशेष पहचान बनायी है। इसके अतिरिक्त परिषद 1545 सेवा कार्य भी चला रही है।

1975 के बाद से संघ प्रेरित संगठनों ने सेवा कार्य को प्रमुखता से अपनाया है। ‘राष्ट्रीय सेवा भारती’ के बैनर के नीचे इस समय लगभग 400 संस्थाएं काम कर रही हैं। सेवा कार्य करने वाली अन्य संस्थाओं को भी प्रशिक्षण दिया जाता है। विकलांगों में कार्यरत ‘सक्षम’ नामक संस्था की 102 नगरों में इकाई गठित हो चुकी है। नेत्र सेवा के क्षेत्र में इसका कार्य उल्लेखनीय है।

आयुर्वेद तथा अन्य विधाओं के चिकित्सकों को ‘आरोग्य भारती’ के माध्यम से संगठित किया जा रहा है। इनके द्वारा आरोग्य मित्रों को प्रशिक्षित कर सस्ती और घरेलू चिकित्सा का प्रचार करने का प्रयास जारी है। जहां एक ओर विद्यालयों में स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है, वहां स्वास्थ्य ज्ञान परीक्षा द्वारा छात्रों को स्वास्थ्य संबंधी सामान्य जानकारी दी जाती है। इस वर्ष 45,000 छात्रों ने इस परीक्षा में भाग लिया। ‘नैशनल मैडिकोज आर्गनाइजेशन’ द्वारा ऐसे ही प्रयास एलोपैथी चिकित्सकों को संगठित कर किये जा रहे हैं।

‘चाहे जो मजबूरी हो, मांग हमारी पूरी हो’ के स्थान पर ‘देश के हित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरे दाम’ की अलख जगाने वाले ‘भारतीय मजदूर संघ’ का देश के सभी राज्यों के 550 जिलों में काम है। अब धीरे-धीरे असंगठित मजदूरों के क्षेत्र में भी कदम बढ़ रहे हैं। ‘भारतीय किसान संघ’ ने बी.टी बैंगन के विरुद्ध हुई लड़ाई में सफलता पाई। ‘स्वदेशी जागरण मंच’ का विचार केवल भारत में ही नहीं, तो विश्व भर में स्वीकार्य होने से विश्व व्यापार संगठन मृत्यु की ओर अग्रसर है। मंच के प्रयास से खुदरा व्यापार में एक अमरीकी कंपनी का प्रवेश को रोका गया तथा जगन्नाथ मंदिर की भूमि वेदांता वि0वि0 को देने का षड्यन्त्र विफल किया गया।

ग्राहक जागरण को समर्पित ‘ग्राहक पंचायत’ का काम भी 135 जिलों में पहुंच गया है। 24 दिसम्बर को ग्राहक दिवस तथा 15 मार्च को क्रय निषेध दिवस के आयोजन को अनेक स्थानों पर अच्छा प्रतिसाद मिला। ‘सहकार भारती’ के 680 तहसीलों में 20 लाख सदस्य हैं। इसके माध्यम से मांस उद्योग को 30 प्रतिशत सरकारी सहायता बंद करायी गयी। अब सहकारी क्षेत्र को करमुक्त कराने के प्रयास जारी हैं। ‘लघु उद्योग भारती’ मध्यम श्रेणी के उद्योगों का संगठन है। इसकी 26 प्रांतों में 100 इकाइयां हैं।

शिक्षा क्षेत्र में ‘विद्या भारती’ द्वारा 15,000 विद्यालय चलाये जा रहे हैं, जिनमें एक लाख आचार्य 33 लाख शिक्षार्थियों को पढ़ा रहे हैं। इनके माध्यम से 25 लाख परिवार सम्पर्क में हैं। इसके अतिरिक्त 10,000 अन्य विद्यालय भी विद्या भारती के पाठ्यक्रम का प्रयोग करते हैं। बाल पत्रिका देवपुत्र के इस समय 3,68,000 पाठक हैं। शिक्षा बचाओ आंदोलन द्वारा पाठ्य पुस्तकों में से वे अंश निकलवाये गये, जिनमें देश एवं धर्म के लिए बलिदान हुए हुतात्माओं के लिए अभद्र विशेषण प्रयोग किये गये थे।

‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद’ का 5,604 महाविद्यालयों में काम है। इसके माध्यम से शिक्षा के व्यापारीकरण के विरुद्ध व्यापक जागरण किया जा रहा है। सांसदों से सम्पर्क कर इस बारे में कानून बनवाने का प्रयास भी हो रहा है। ‘भारतीय शिक्षण मंडल’ शिक्षा में भारतीयता संबंधी विषयों को लाने के लिए प्रयासरत है। सभी स्तर के 7.5 लाख अध्यापकों की सदस्यता वाले‘शैक्षिक महासंघ’ में 23 राज्यों के 37 विश्वविद्यालयों के शिक्षक जुड़े हैं।

स्वामी विवेकानंद के विचारों के प्रसार के लिए कार्यरत ‘विवेकानंद केन्द्र, कन्याकुमारी’ ने स्वामी जी की 150 वीं जयन्ती 12 जनवरी, 2013 से एक वर्ष तक भारत जागो, विश्व जगाओ अभियान चलाने का निश्चय किया है। पूर्वोत्तर भारत में इस संस्था के माध्यम से शिक्षा एवं सेवा के विविध प्रकल्प चलाये जा रहे हैं।

‘विश्व हिन्दू परिषद’ जहां एक ओर श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के माध्यम से देश में हिन्दू जागरण की लहर उत्पन्न करने में सफल हुआ है, वहां 36,609 सेवा कार्यों के माध्यम से निर्धन एवं निर्बल वर्ग के बीच भी पहुंचा है। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वालम्बन तथा सामाजिक समरसता की वृद्धि के कार्य प्रमुख रूप से चलाये जाते हैं। एकल विद्यालय योजना द्वारा साक्षरता के लिए हो रहे प्रयास उल्लेखनीय हैं। बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी, गोसेवा, धर्म प्रसार, संस्कृत प्रचार, सत्संग, वेद शिक्षा, मठ-मंदिर सुरक्षा आदि विविध आयामों के माध्यम से परिषद विश्व में हिन्दुओं का अग्रणी संगठन बन गया है।

पूर्व सैनिकों की क्षमता का समाज की सेवा में उपयोग हो, इसके लिए ‘पूर्व सैनिक सेवा परिषद’ तथा सीमाओं के निकटवर्ती क्षेत्रों में सजगता बढ़ाने के लिए ‘सीमा जागरण मंच’ सक्रिय है। कलाकारों को संगठित करने वाली ‘संस्कार भारती’ का 50 प्रतिशत जिलों में गठन हो चुका है। अपने गौरवशाली इतिहास को सम्मुख लाने का प्रयास ‘भारतीय इतिहास संकलन समिति’ कर रही है। इसी प्रकार विज्ञान भारती, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, राष्ट्रीय सिख संगत, अधिवक्ता परिषद, प्रज्ञा प्रवाह आदि अनेक संगठन अपने-अपने क्षेत्र में राष्ट्रीयता के भाव को पुष्ट करने में लगे हैं।

इस प्रकार स्वयंसेवकों द्वारा चलाये जा रहे सैकड़ों छोटे-बड़े संगठन और संस्थाओं द्वारा देश में हिन्दू जागरण का वातावरण बना है। 1925 में डा0 केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा संघ रूपी जो बीज बोया गया था, वह अब एक विराट वृक्ष बन चुका है। अब न उसकी उपेक्षा संभव है और न दमन। हिन्दू शक्ति को विश्व शक्ति बनने से अब कोई रोक नहीं सकता।

4 COMMENTS

  1. संघ को घेरने की कोशिश करने इस पर आरोप लगाने या टिप्पणी करने वालों को विजय कुमार जी ने सारी गतिविधियों का व्यौरा बहुत ही अच्छे ढंग से दिया है ,इसके लिए लेखक जी को बधाई ,साथ ही एक निवेदन की इस सन्दर्भ में एक लेख “ज़रूर पढ़ें ” दुनिया में सबसे ज्यादा सहनशील धर्मपंथ हिंदुत्व -एक पुस्तक समीक्षा जो व्हाट इज इंडिया किताब पर है ,दुनिया भर के जानेमाने फिलासफर और विश्व प्रसिद्ध हस्तीया हिंदुत्व के बारे में क्या कहते हैं .

  2. is sangdan ke karyo or logo par garv hota he apne bahut achcha lekh likha vo asliye bhi ki sangh ka dus prachar karne walo ki kami nahi he or me sangh ki tarif isliye nahi kar raha hu ki me is se juda hu balki sangh ke karyo ke karan or bharat vapas aya to avsya juduga

  3. रगड़ के गांठ का चंदन,
    महक फैलाएंगे चहुं ओर।
    हमारा छंद कुछ ऐसा,
    हर्ष रैलाएंगे चहुं ओर ॥ १॥
    हम तो चाहते, दुनिया,
    मज़ा ले, आनंद मनाएं।
    लगा आनंद के मेले,
    फैलाते आनंद चारों ओर॥२॥

  4. प्रतिनिधि सभा के सार को कम शब्दो में पर विस्तार से बताने के लिये आपका साधुवाद…………….

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