हिंदुओं ! मेवात दिखा रहा है तुम्हें आईना

इस देश के तथाकथित सनातनी हिंदू ने अभी अपनी परंपरागत नींद को त्यागा नहीं है । इसने सोते-सोते अफगानिस्तान , पाकिस्तान , बांग्लादेश , ईरान , इराक , अरब और कभी के जंबूद्वीप कहे जाने वाले आज के यूरेशिया के उन अनेक देशों , भौगोलिक स्थानों , भूखंडों को पानी के भाव बहा दिया जो कभी अखंड भारत वर्ष का या आर्यवर्त का एक भाग हुआ करते थे ।
हिन्दू की यह ‘कुंभकर्णी नींद’ आज भी टूटी नहीं है । आजादी मिलने के बाद बहुत सारे हिंदू धर्मनिरपेक्षता की भांग पीकर सो गए । देश के नेतृत्व ने उस समय देश की शासन व्यवस्था को चलाने के लिए जिस संविधान का निर्माण किया , उसी ने धर्मनिरपेक्षता को इस हिंदू राष्ट्र का जीवन आदर्श स्थापित करके हिन्दू के मरने का रास्ता प्रशस्त कर दिया और हिंदू ने उस पवित्र पुस्तक को अपनी ‘गीता’ मानकर पूजना आरंभ कर दिया । हिंदू के बारे में यह एक कुख्यात सत्य है कि यह पूजा में अंधा होकर उतरता है। जैसे मुसलमान अंधा होकर भक्ति करता है वैसे ही हिंदू भी अंधा होकर ही भक्ति करता है। यह नहीं देखता कि आगे गुरु खड़ा है या ‘गुरु घंटाल’ खड़ा है ? आगे दीवार खड़ी है या कि यह दीवार ईश्वर के निराकार स्वरूप को ही उसकी आंखों से ओझल कर रही है ?
अपनी इसी परंपरागत भूल के परिणाम स्वरूप कश्मीर के विस्थापित पंडितों का दर्द हिन्दू ने अनुभव नहीं किया । उधर धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कश्मीर से हिंदू कटता गया , मिटता गया, लुटता गया, घटता गया और इधर हिंदू ‘धर्मनिरपेक्षता जिंदाबाद’ के नारे लगाकर उन्हीं लोगों को सत्ता सौंपता रहा जो हिंदू विनाश की नीतियों में विश्वास रखते थे।
जब यह सब कुछ हो रहा था तभी देश की राजधानी से मात्र 130 किलोमीटर दूर मेवात के भीतर भी हिंदू विनाश की योजनाएं बन रही थीं । इन योजनाओं का एक ही उद्देश्य था कि मेवात को सोते हुए हिंदू के जागने से पहले कैसे एक मिनी पाकिस्तान बना दिया जाए ? अपनी इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए जिन्नाभक्तों ने इस क्षेत्र से हिन्दू को समाप्त करने के लिए उन्हें चुपचाप सांप्रदायिकता के कड़ाह में चढ़ा लिया । इस कथा में उन्होंने पानी भरा और नीचे से आग जलानी आरंभ कर दी । कुछ देर में पानी उबलने लगा और धीरे-धीरे ‘हिंदू विनाश’ की योजना फलीभूत होती गई ।मेवात का असहाय हिंदू कड़ाह के भीतर कराहता रहा और देश का हिंदू उधर से आंखें बंद किए धर्मनिरपेक्षतावादियों की सरकार बना बनाकर अपना ‘भविष्य सुरक्षित’ समझता रहा ,अर्थात यह उधर से भी आंख बंद कर गफलत की नींद सोता रहा ।
उसी का परिणाम यह हुआ कि जहाँ मेवात में कभी 50% हिंदू 1947 में देश की आजादी के समय हुआ करते थे वहीं अब घटकर मात्र 10% रह गए हैं । जबकि मुसलमान 90% हो गया है । अब हिंदुओं के अस्तित्व का प्रश्न वहाँ पर उभर कर सामने आ रहा है । देश के हिंदुओं के लिए चौकाने वाले और आँख खोलने वाले तथ्य हैं कि 130 गांवों से 100% हिंदुओं को खदेड़ दिया गया है । उनकी मकानों और जमीनों पर कब्जा कर लिया गया है । हिंदू राष्ट्र का सपना देखने वाले तथाकथित हिंदूवादी संगठनों की नाक तले और कानून के समक्ष सबको समानता की गारंटी देने वाले सेकुलरिस्टों की मूर्खताओं के चलते देश के भीतर देश की राजधानी के इतने निकट इतना बड़ा अमानवीय अपराध एक समाज या समुदाय के विरुद्ध होता रहा और किसी को भी पता नहीं चली , इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य और कोई हो नहीं सकता।
अब पिछले लगभग 6 वर्ष से हरियाणा में भाजपा के मनोहर लाल खट्टर की सरकार है , परंतु इसके उपरांत भी मेवात में चल रहे हिंदू विनाश के क्रम में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आई है। खट्टर भी नौकरशाही के दबाव में हैं या कहिए कि उनका शासन प्रशासन कांग्रेस की उसी नीति का पालन करते हुए परंपरागत ढंग से चल रहा है , जिसमें प्रशासन के अंतिम हाथ अर्थात लेखपाल द्वारा जो कुछ कह दिया जाता है उसी को डीएम अपने सीएम के लिए भेज देता है । निकम्मे और निष्क्रिय अधिकारी कभी मौके पर जाकर लोगों के दर्द को सुनने का समय नहीं निकालते । वह अपने एक महाभ्रष्ट और निकृष्ट लेखपाल या कानूनगो नाम के कर्मचारी पर विश्वास करते हैं और अपनी अकर्मण्यता और सरकारी कार्यों के प्रति लापरवाही का प्रमाण देते हुए उसी निकृष्ट और भ्रष्ट कर्मचारी की रिपोर्ट को अपने आका के लिए भेज देते हैं । वर्तमान भारत की दुर्दशा का एक कारण यह भी है कि यहां पर सारी की सारी नौकरशाही इसी निष्क्रियता पूर्ण सक्रियता के साथ आगे बढ़ रही है।
इसी ढर्रे के शिकार मनोहरलाल खट्टर हो चुके हैं, जिन्होंने कभी व्यक्तिगत रूप से जाकर मेवात के हिंदुओं के दर्द को सुनने का साहस नहीं किया।
वैसे इन भाजपा और आरएसएस वालों की एक विशेषता यह भी है कि यह सत्ता में आते ही कांग्रेस की ‘बी टीम’ के रूप में काम करने के लिए जाने जाते हैं । सत्ता से बाहर रहकर यह हिंदूवादी होते हैं और सत्ता में पहुंचते ही ये अहंकारी और कांग्रेसवादी हो जाते हैं । सत्ता प्राप्त करते ही ये अत्याचारी वर्ग को भी यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि हम तुम्हारा भी पक्ष पोषण उतना ही करते हैं जितना हमसे पूर्व के शासक अर्थात कांग्रेसी करते रहे थे । हिंदुओं के साथ छल करने की इन ”खतरों” या खट्टरों की इस प्रकार की हिंदू विरोधी नीतियों को भी देश के हिंदू समाज को समझना होगा।
खट्टर साहब को एक स्थान के बारे में बता दिया गया कि वहां पर हिंदुओं का कोई धार्मिक स्थल ना होकर मुसलमानों का धर्म स्थल है । जबकि सच यह था कि वहां पर हिंदुओं के धर्म स्थल को मुसलमानों ने समाप्त कर अपना धर्म स्थल बना दिया था । खट्टर साहब को अपने लोगों की अर्थात प्रशासन के लोगों की बातों पर ही विश्वास हो रहा था। भला हो विश्व हिंदू परिषद का जिसने ‘खतरा साहब’ बने खट्टर जी को अपने स्तर से नक्शा और पटवारी के दस्तावेज दिखाए जिन्हें देखकर खट्टर साहब को विश्वास हुआ कि वहां मंदिर था ।
बाल्मीकि समाज के एक सेवानिवृत्त जज ने एक चैनल को बताया कि हमारे समाज अर्थात बाल्मीकि समाज की दो लड़कियों को विवाह के समय मंडप से उठाकर उनका धर्म परिवर्तन करवा दिया गया । 40 से अधिक बाल्मीकि समाज की महिलाओं का जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन करवा दिया गया । ध्यान रहे कि मेवात वही स्थान है जहां पर तबलीगी जमात की स्थापना की गई थी ।इसे तबलीगी जमात ने एक प्रयोगशाला के रूप में प्रयोग किया और सबसे पहले डेमोग्राफी बदलकर इस्लामिक शासन लाने का शरिया नियम लागू करने का एक सफल प्रयास किया।
मेवात में हर वर्ष तबलीगी जमात का सम्मेलन तो होता ही है तबलीगी जमात से जुड़ी महिलाओं का भी सम्मेलन होता है और वह महिलाएं मेवात की मुस्लिम महिलाओं को खूब भड़काती हैं कि तुम हिंदुओं को मारो उनकी संपत्ति पर कब्जा करो। मेवात में सरकारी दस्तावेज के अनुसार पिछले 10 सालों में अट्ठारह सौ हिंदुओं ने धर्म परिवर्तन किया। सबसे दुखद खुलासा यह हुआ कि मेवात में सीआरपीएफ का बहुत बड़ा कैंप बनाने का प्रस्ताव स्वीकृत हो चुका था लेकिन तबलीगी जमात के लोग और मुस्लिम समाज के स्थानीय लोग खट्टर से मिले और उनसे अपील की कि सीआरपीएफ का कैंप नहीं बनने दिया जाए और भाजपा के ‘खतरा साहब’ ने उनके दबाव में आकर सीआरपीएफ कैंप बनाने का प्रस्ताव रद्द कर दिया।
प्रदेश की जनता ने खट्टर साहब को हिंदू समाज के लिए ‘खतरा साहब’ समझ कर उन्हें इस बार सत्ता से हटा दिया था परंतु लोकतंत्र की ‘तिकड़म बाज राजनीति’ जीत गई और वह सिर्फ इस प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने में सफल हो गए । अब इससे पहले कि वह भाजपा और भाजपा की नीतियों के लिए प्रकट रूप में ‘खतरा साहब’ के रूप में अवतरित हों भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को उन्हें स्पष्ट निर्देश देने चाहिए कि वह ‘हिंदू विनाश’ की नीति को छोड़कर ‘राजधर्म निभाने’ के अपने पवित्र दायित्व के प्रति समर्पित हों , अन्यथा देश की जनता पूरे देश से सफाया करने के लिए भी खड़ी हो सकती है। खट्टर साहब को यह समझ लेना चाहिए कि प्रदेश के लोग उन्हें कांग्रेस की ‘बी टीम’ के रूप में काम करते हुए देखने के लिए तैयार नहीं हैं , उन्हें कुछ बेहतर करके दिखाना होगा । जिससे इस देश की मूल चेतना की सुरक्षा हो सके और देश के संविधान के मौलिक उद्देश्य को स्थापित करने में भी हमें सफलता प्राप्त हो सके।
सारे देश के हिंदू के जागने का समय आ गया है । याद रखना यदि भारत से भी आप मिट गए तो फिर संसार के किसी अन्य देश में तुम्हें शरण भी नहीं मिलेगी। इसलिए मेवात के हिंदू के दर्द को अपना दर्द समझ लो और सोते हुए ‘खट्टरों’ को ‘खतरों’ में परिवर्तित होने से पहले जगा दो , देश की आत्मा की यही पुकार है। मेवात के आईने में अपना चेहरा देख लो, यह बहुत कुछ बता रहा है ।
प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को मेवात का दौरा करना चाहिए और यहां पर एक ऐसी पारदर्शी व्यवस्था स्थापित करनी चाहिए जिसके माध्यम से यह जानकारी मिल सके कि पिछले 30 – 40 वर्ष में जिन लोगों को जबरन हिंदू से मुसलमान बनाया गया है उनकी ‘घर वापसी’ सुनिश्चित की जा सके।

1 COMMENT

Leave a Reply to Kripa Shankar Bawalia Mudgal Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here