मोदी जी आपसे कुछ उम्मीदें हैं…

-लक्ष्मी जायसवाल-
modi

जनता ने एक बार फिर अपनी ताकत दिखा दी और बरसों से सत्ता पर काबिज पार्टी कांग्रेस को एक झटके में सिरे से नकार दिया। बीते दिनों जो नमो नमो लहर पूरे हिंदुस्तान में उठ रही थी, उस लहर को लोकसभा जैसे विशाल समुद्र का स्थायित्व मिल गया। यह जीत मोदी लहर का परिणाम थी या इसके पीछे कोई और वजह थी ये तो सियासी लोग ही समझें। लेकिन लोकसभा चुनाव 2014 के परिणामों ने साबित कर दिया कि चाहे शाषक कितना ही ताकतवर क्यों न हो, जनता में आज भी उसकी जड़ें हिलाने की सामर्थ्य है। खैर, हार-जीत की बातें तो अब पुरानी हो गयीं है इसलिए ‘बीती ताहि बिसारी दे’ की नीति का अनुसरण करते हुए आगे वाले कल के सपने बुनते हैं। और आने वाले कल में सबसे ज्यादा उम्मीदें हमें मोदी जी से है। कांग्रेस के दस साल के लगातार शासन के बाद देश की अर्थव्यवस्था में आये उतार-चढ़ाव, महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अव्यवस्था जैसी स्थितियों से उबारने का जिम्मा अब नरेंद्र मोदी का ही है। जो बड़े-बड़े सपने उन्होंने देश की जनता को दिखाए हैं, उन्हें हक़ीक़त बनाने का कारवां भी अब मोदी के ही कांधों पर है।

मोदी जी से सबसे ज्यादा उम्मीदें युवा वर्ग को ही है। गुजरात के जिस विकास को आधार बनाकर मोदी जी चुनाव में उतरे थे उस विकास की पूरे देश के युवाओं को दरकार है। विकास चाहिए रोजगारपरक व्यवस्था का, विकास चाहिए चरमराती शिक्षा व्यवस्था का, विकास चाहिए मूलभूत व ढांचागत सुविधाओं का, विकास की दरकार है गरीबी में अपनी प्रतिभा को दम तोड़ते हुए देखने को विवश होती भारत की अनेक प्रतिभाओं को, विकास चाहिए संसाधनों के अभाव में अपनी दक्षता से दूसरे देशों को उन्नत करते भारत के प्रतिभावान युवाओं को, विकास चाहिए देश के गांवों को जहां आज भी बिजली, सड़क, शिक्षण संस्थान और अस्पतालों के अभाव में लाखों लोग अपने सपने और ज़िन्दगी से हार रहे हैं, नौजवानों के साथ-साथ विकास चाहिए उन नौनिहालों को भी जिनका बचपन भी उनका अपना नहीं रह गया, विकास चाहिए उन मांओं को भी जो उचित सुविधाओं के अभाव में कुपोषित बच्चों को जन्म देने के लिए मजबूर हैं। इन उम्मीदों के अलावा भी मोदी जी हमें आपसे कुछ उम्मीदें हैं।

उम्मीदों की इस फेहरिस्त में अगली उम्मीद है, देश के मुस्लिम व अल्पसंख्यक वर्ग को, जिन्हें डर सता रहा हैं कि कहीं मोदी सरकार में उनकी उपेक्षा तो नहीं हो जाएगी। कहीं चुनाव जीतते ही मोदी कट्टर हिन्दू तो नहीं हो जाएंगे। इसलिए मोदी जी आपको इस वर्ग के डर को दूर कर इनके हित के बारे में भी सोचना होगा। सबसे जरूरी और अहम काम जो आपको करना है वो ये कि देश को दीमक की तरह खोखला करने वाली महामारी भ्रष्टाचार से आपको देश को मुक्त कराना होगा, भ्रष्ट लोगों को सजा दिलाकर विदेशी बैंकों में जमा कला धन वापस लाना होगा और ये सारा धन आपको देश के समग्र विकास में लगाना होगा। इन सबसे भी पहले आपको ये सुनिश्चित करना होगा कि देश के हर गरीब को कम से कम दो वक़्त की रोटी जरूर मिल जाए, इतनी कोशिश तो मोदी जी को करनी होगी कि पेट भरने के लिए किसी गरीब का बचपन न झुलसने पाए।

माना मोदी जी हमें आपसे उम्मीदें बहुत हैं। लेकिन इन उम्मीदों का दामन थामना भी हमें आपने ही सिखाया है। चुनावों से पहले किये गए आपके वादों ने ही हमारी उम्मीदों में रंग भरा है। मोदी जी हमें आपसे जो भी उम्मीदें हैं, आप कोशिश करिएगा कि आप उन्हें पूरी कर पाएं। कहीं ऐसा न हो कि ये उम्मीदें वक़्त के तूफानों से टकराकर बिखर जाएं और हम हमेशा की तरह खाली हाथ ही रह जाएं। उम्मीदों के टूटने का दर्द बहुत भयंकर होता है। यह तो आप अपनी जीत के बाद जान ही चुके होंगे। यह जनता के उम्मीदों के टूटने की सिहरन ही थी जिसने देश की सबसे बड़ी पार्टी को विपक्ष में बिठाने के काबिल भी नहीं समझा। मोदी जी हमें आपसे उम्मीद है कि आप हमारी हर उम्मीद पर खरे उतरेंगे और अगले लोकसभा चुनावों में भी डंके की चोट पर जनता से मांगेंगे।

1 COMMENT

  1. जनतंत्र , जनताका राज, जनतापर, और जनता द्वारा ही माना और जाना जाता है। जनतंत्र एक प्रणाली (सिस्टम) है।
    जनता की भागीदारी भी चाहिए ही। यह सामूहिक उत्तरदायित्व ही है।
    क्या भ्रष्टाचार भी लेना और देना, दोनोंपर टिका नहीं है? क्या गंगा के पानी को जनता बिगाडते चले, और किसी वरदान से वह शुद्ध होती ही रहेगी? ऐसा है?
    हमें भी अपना योगदान देना ही होगा।
    इस कोण को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।
    धन्यवाद।

    • बिलकुल सर आपकी बात पूरी तरह तर्कसंगत हैं। किसी राष्ट्र के सम्पूर्ण विकास के लिए सरकार के साथ साथ जनता की सशक्त व प्रभावशाली भागीदारी आवश्यक है इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता। आपने मेरा ध्यान इस ओर आकर्षित किया इसके लिए तहे दिल से धन्यवाद।

  2. मेरा नाम लक्ष्मी जयसवाल की जगह नरेंद्र देवांगन प्रकाशित कर दिया गया है। कृपया इसे ठीक कर दें।

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