कैसे कह दू मै ईद मुबारक

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कैसे कह दू मै ईद मुबारक,
जब चारो तरफ आफत आईं।
हर तरफ मौत का मातम पसरा,
हर कोने में अब मौत छाई।।

कैसे पहनूं मै नई नई पोशाकें,
जब मौत कफन ले आई है।
कंधे भी अब कम पड़ गए हैं
ये कैसी अब मुसीबत आई है।।

कैसे पहनूं नए जूते चप्पल,
जब मजदूर नंगा डोल रहा।
पावों में उसके छाले पड़े हैं,
हर शख्स यहां पर रो रहा।।

ईद मै अब कैसे मनाऊ ?
जब घर में मातम छाया है।
हर जगह मौत के ढेर लगे हैं,
कोई घर न खाली पाया है।।

कैसा छाया है मौत का खौफ,
कोई गले नहीं मिल रहा।
कर रहे है दूर से सलाम सभी,
कोई किसी के पास न आ रहा।।

हर तरफ गम का माहौल है,
ऐसे में कैसे ईद मनाउ मै।
घर घर मौत का मातम है,
कैसे ईद मुबारक दे आऊ मै।।

मुल्क में लॉक डाउन के कारण,
घर में सब लोग बन्द पड़े है।
बाहर कैसे निकले वे अब,
पुलिस के लोग बाहर खड़े है।।

चारो तरफ हाहाकार मचा है,
घर में इबादत मै कर रहा हूं।
मुल्क में हो अब जल्द सकून,
ऐसी दुआ मै अब कर रहा हूं।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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