अगर आपके भी पैरों की बनावट हैं कुछ ऐसी तो आप भी हो सकते हैं भाग्यशाली

भविष्यफल जानने की अनेक विद्याओं का वर्णन ज्योतिष शास्त्र और सामुद्रिक शास्त्र के ग्रंथों में किया गया है। सामुद्रिक शास्त्र अपने आप में एक बहुत बड़ा और उपयोगी शास्त्र है। यह शास्त्र स्वयं में फलादेश की अनेक विद्याएं समाहित किए हुए हैं। इस शास्त्र के माध्यम से शरीर के अंगों के आधार, रुप-रंग, आकार और भाव भंगिमाओं को देख कर फलादेश किया जाता है। शकुन-अपशकुन और स्वप्न शास्त्र भी इसके अंतर्गत आता है। इनमें से कुछ का वर्णन हम आज इस आलेख के माध्यम से करने जा रहे हैं-   

  • सबसे पहले हम हथेली की बनावट को ध्यान में रखते हुए व्यक्ति के व्यवहार और स्वभाव के बारें में बात करेंगे-
  • जिन व्यक्तियों की हथेली सामान्य से अधिक मोटी और वजन में भारी होती हैं ऐसे जातक लालची ह सकते हैं।
  • हथेली का संकरा होना व्यक्ति को स्वार्थी और संकीर्ण प्रवृत्ति का बनाता है। ऐसे व्यक्ति सिर्फ अपने स्वार्थ को महत्व देते हैं। 
  • जिन जातकों की हथेली पतली और बहुत कमजोर होती हैं उनका जीवन गरीबी का होता है।
  • ऐसे जातक जिनकी हथेली सामान्य से अधिक लम्बी होती हैं वो बहुत स्पष्टवादी और अपनी बात को मुंह पर बोलने की क्षमता रखते हैं।
  • इसके विपरीत जिन व्यक्तियों की हथेली लम्बी और गोल होती हैं ऐसे व्यक्ति मौकापरस्त तथा हंसमुख होते हैं। इनका आर्थिक पक्ष बहुत मजबूत होता है।  
  • समचौरस हथेली अर्थात ऐसे हाथ जिनकी हथेली आकार में वर्ग के समान होती हैं। मतलब लंबाई और चौड़ाई एक समान हों तो ऐसी हथेली को समचौरस हथेली का नाम दिया जाता है। ऐसी हथेली के विषय में सामुद्रिक शास्त्र यह कहता है कि जातक शांत, स्थिर स्वभाव, दृढ़ निश्चयी वाला होता हैं। स्वप्रयास से जीवन में उन्नति करने वाला, कार्यों को अधूरा ना छोड़ने वाला, स्वनियंत्रित होता है।

हथेली से फलादेश करने के बाद अब हम बात करेंगे पैरों की बनावट और फल की। सामुद्रिक शास्त्र कहता है कि पैरों के तलवें में कोई रेखा एड़ी से लेकर अंगूलियों तक जा रही हों तो व्यक्ति को वाहन का सुख मिलता है। ऐसा जातक सुविधा संपन्न होता है। सेवकों की भरमार होती हैं। इसके अतिरिक्त यदि किसी व्यक्ति का बायां पैर दायें पैर से बड़ा हो तो व्यक्ति अस्थिर स्वभाव का होता हैं। एक स्थान पर स्थिर रहकर वह नहीं रह पाएगा। जिसके फलस्वरुप वह समय पर साथ नहीं देता है। इसके अतिरिक्त अंगूठे की अपेक्षा यदि तर्जनी अंगूली छोटी हों तो व्यक्ति को अपनी प्रथम संतान का सुख कम ही मिल पाता है। अंगूठे और तर्जनी दोनों के मध्य स्थान कम हों, दोनों मिलें हुए हों तो भाग्य में कमी रहती हैं। पैर का अंगूठा और तर्जनी दोनों की लम्बाई एक समान हों तो व्यक्ति का जीवन सभी सुविधाओं से युक्त होता है। जिन व्यक्तियों के पैर का अंगूठा बड़ा और तर्जनी अंगूली छोटी हों तो व्यक्ति सेवक का कार्य करता है अर्थात उसे जीवन में उच्च पद प्राप्त नहीं हो पाता है। पैर की अनामिका अंगूली मध्यमा अंगूली से ज्यादा छोटी हों तो व्यक्ति् का जीवन साथी का सुख कम ही प्राप्त होता है। कनिष्का अंगूली अनामिका अंगूली से बड़ी होने पर व्यक्ति का भाग्य मजबूत होता है। कनिष्का अंगूली और अनामिका अंगूली दोनों का बराबर होना व्यक्ति को संतान सुख दिलाता है ऐसे व्यक्ति के विषय में कहा जाता है कि ऐसे व्यक्ति की आयु लम्बी नहीं होती है। जिन व्यक्ति के पैरों की सभी अंगूलियां बराबर हों तो व्यक्ति को या तो अत्यधिक सफलता मिलती है या फिर व्यक्ति धन अभाव में जीवन व्यतीत करता है। जिस पैर में सभी अंगूलियां एक के बाद एक सभी अंगूलियां एक दूसरे से लंबी हों तो व्यक्ति को संतान सुख और सहयोग दोनों प्राप्त होते हैं। 

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