असलियत “आप” की

-आलोक कुमार-  aap

‘कांग्रेस-भाजपा से समर्थन न लेंगे, न देंगे’ का ताल ठोंककर नेतागिरी करने आए और फिर कांग्रेस की गोद में जा बैठे। राजनीति की इस नयी ‘सर्कस -मण्डली”आप’ ने जबरदस्त नौटंकी का जाल बिछा रखा है। जिसमें बेचारी जनता ठगी जा रही है। मीडिया इस नाटक का लुत्फ़ उठा अपनी टीआरपी बढ़ा रही है। लेकिन दिल्ली की जनता भी इस ड्रामे को देखकर शायद समझ ही रही होगी कि ‘ये ‘आप और हाथ ‘ का हनीमून ज्यादा दिनों तक चलने वाला नहीं है। वस्तुतः ये ‘ मैरिज ऑफ कन्वेनिएन्स ‘ है। ‘कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ ‘ के स्लोगन की आड़ में कांग्रेस ने आम आदमी की उम्दा मार्केटिंग करने वाली पार्टी के साथ गठजोड़ तो कर लिया लेकिन इसके निहित राजनैतिक उद्देश्य एकदम भिन्न है इस स्लोगन के सरल अर्थ से।

जिन्होंने ‘आप’ वोट दिया था उनकी मंशा तो ‘झाड़ूराज’ की थी फिर नित्य नए बहाने क्यूं ? जन – आकांक्षाओं पर खरा उतरना ट्विटर -फेसबुक पर खेला जानेवाला खेल नहीं है। ये पूरी तिकड़म मोदी की काट के रूप केजरीवाल को हीरो बनाने की कांग्रेस की चेष्टा है। सारी रीढ़-विहीन व् पेड मीडिया जिनको विवशता में नरेंद्र मोदी का ही नाम लेना पडता था , वो अब केजरीवाल को मोदी की तुलना में खडा करेंगे। भारतीय राजनीति में आदर्शवादी ढोंगी राजनीति का अवतरण हो चुका है।’आप और कांग्रेस ‘ का बेमेल गठजोड़ इसी राजनीति का हिस्सा है। कांग्रेस केजरीवाल का उपयोग मोदी की आंधी को रोकने के लिए एक मोहरे के रुप में करेगी। अरविंद केजरीवाल आदर्शवादी मुख्यमंत्री की नौंटकी करेंगे और पूरे देश का ध्यान अपनी और आकृष्ट करना चाहेंगे । ऐसे-ऐसे उपक्रम करेंगे जिससे वो रीढ़-विहीन भारतीय मीडिया की खबरों में बने रहें और इसी बहाने टेलीविजन के माध्यम से लोगों के घरों में घुस कर उन्हें भ्रमित कर सकें। इनका ( आप और कांग्रेस ) इरादा लोकसभा की सौ-डेढ़ सौ सीटों पर ‘आप’ के उम्मीदवार खड़े कर भाजपा के एक से पांच प्रतिशत वोट कम करने का है , ताकि कांग्रेस और भाजपा के वोट प्रतिशत अंतर कम हो सके और भाजपा को भारी नुकसान हो सके। सोची समझी रणनीति के तहत उन्हीं लोकसभा सीटों पर आप पार्टी अपने कांग्रेस प्रायोजित प्रत्याशी उतारेगी, जहां भाजपा का व्यापक प्रभाव है। अजीब विडम्बना है हिंदुस्तान में कोई भी व्यक्ति जो केजरीवाल के साथ नहीं है वो भ्रष्ट है और जो कांग्रेस के साथ नहीं है वो सांप्रदायिक है।

समझ में नहीं आता कि केजरीवाल केवल खुलासे ही करते हैं कोर्ट क्यूं नहीं जाते हैं ? कारवाई क्यूँ नहीं करते ? अब तो उनके पास भ्रष्टाचारियों को उनके अंजाम तक पहुँचाने के लिए सब कुछ है। जिस सरकार की बुनियाद में बेईमान हों, उससे बहुत ज्यादा ईमानदारी की उम्मीद रखना, बेईमानी ही होगी। कॉमन्वेल्थ – खेल घोटालों में शीला दीक्षित को ‘क्लिन-चिट’ देने से पहले ‘आप’ ने जनता से पूछा क्या ? शीला दीक्षित के भ्रष्ट कारनामे चुनावी -मुद्दा और अब ये क्लीन -चिट अजीब विरोधाभास है ये !

अब बात की जाए ‘आप ‘ के द्वारा जनता को दिखाए गए ‘सतरंगी सपनों की।’ अग्रणी वित्तीय सूचना कंपनी जायफिन के वरिष्ठ सलाहकार सुरजीत एस. भल्ला ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) के चुनावी वादों का बेहतरीन पोस्टमॉर्टम किया है। श्री भल्ला ने जो पोस्टपार्टम किया था वह सही साबित हुआ। अरविन्द केजरीवाल की घोषणा के अनुसार ‘आप’ पार्टी दिल्ली के हर परिवार को प्रति दिन करीब पौने सात सौ लीटर पानी मुफ्त देगी। इस तरह हर परिवार को 22 किलोलीटर पानी प्रति माह मुफ्त प्राप्त होगा। परंतु कोई परिवार यदि 22 हजार लीटर से एक भी लीटर पानी अतिरिक्त उपभोग करता है तो उसे पूरे 22 हजार लीटर पानी का बिल अदा करना पड़ेगा। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार प्रति व्यक्ति प्रति दिन लगभग 150 लीटर पानी उपभोग करता है। दिल्ली में हर परिवार के सदस्यों की औसत संख्या 4 है। ‘आप’ मुफ्त में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 175 लीटर पानी का वादा कर चुकी है। पानी के उपभोग का यह परिमाण उन्नत देशों जर्मनी और डेनमार्क के औसत से कहीं ज्यादा है। रहस्य इस बात का भी है कि ‘आप’ ने यह सूत्र कहाँ से हासिल किया? एक दशक पहले दक्षिण अफ्रीका में थाबो मबेकी ने गरीब अफ्रीकियों के लिए प्रति माह ६ हजार लीटर पानी मुफ्त उपलब्ध कराने का वादा कर चुनाव जीता था। इससे अधिक मासिक पानी उपभोग करने पर दक्षिण अफ्रीका में भी पूरा बिल वसूलने का प्रावधान था। दक्षिण अफ्रीका में पाया गया कि मुफ्त पानी योजना का लाभ गरीबों की बजाय पानी के बिल का भुगतान करने में समर्थ और मध्यमवर्गीयों को मिला। दिल्ली में भी मुफ्त जल योजना का यही हाल होना है।’ भल्ला के शोधपूर्ण दावे का जवाब शायद ही ‘आप’ के किसी नीतिकार के पास हो। हवा पानी मुफ्त होना चाहिए इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती लेकिन वहाँ -जहाँ हवा और पानी प्राकृतिक रूप से उपलब्ध हो। जब पानी कहीं और से ढोकर कहीं और लाया जाएगा तब वह मुफ्त कैसे रह पायेगा ?

झुग्गी-झोपड़ियों में रहनेवालों को पक्के मकान और सस्ती बिजली का वादा भी कुछ इसी तरह का है। तमाम विद्युत-विशेषज्ञ ‘आप’ के दावों को ‘मुंगरी लाल के हसीन सपने ‘करार देते हैं। यदि जिदवश ‘आप’ इन वादों को पूरा भी कर दे तो इस के लिए राजस्व कहाँ से आएगा ? इस सवाल का जवाब अब तक किसी के पास नहीं है। यदि खैराततंत्र ही लोकतंत्र का उत्तम तंत्र मान लिया जाए तो फिर केजरीवाल के वैचारिक आका तमिलनाडु के एम. करुणानिधि को मानना पड़ेगा। उन्होंने तो तमाम घरों में रंगीन टेलीविजन पहुंचा दिया। अखिलेश सिंह यादव आज भी मुफ्त के लैपटॉप बांट रहे हैं। केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे २००४ में जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो चुनाव जीतने के लिए उन्होंने किसानों को मुफ्त में बिजली देने का वादा किया। चुनाव कांग्रेस जीत गई। पर साल भर बीतते-बीतते मुफ्त की बिजली तो दूर बिल भुगतान करने की तैयारी दिखाने पर भी बिजली अनुपलब्ध हो गई। कांग्रेसी खैरात तंत्र ने सरप्लस बिजलीवाले महाराष्ट्र को आज दिन तक लोडशेडिंग के लिए मजबूर कर रखा है। दिल्ली जल-बोर्ड को वित्त वर्ष 2012-13 में 466 करोड़ रुपयों का मुनाफा हुआ। ‘आप’ का दावा है कि हम यह मुनाफा जनता में बांट देंगे। योगेंद्र यादव और अरविंद केजरीवाल के फौरी दावे इस आधार पर विश्वसनीय लगते हैं। दिल्ली में 7 लाख घरों को अब तक पाइप लाइन से पानी उपलब्ध कराना बाकी है। 7 लाख घरों को पाइपलाइन से जोड़ने के खर्च का जुगाड़ ‘आप’ वाले कहां से करेंगे ? शायद यह आंकड़ा अभी तक उनके विश्व बैंक के ‘हैंडलर्स’ ने उपलब्ध नहीं कराया है !

3 COMMENTS

  1. पल्टू उस्ताद के बारे में कुछ लिखने बोलने कि जरूरत ही नहीं है, पूत के पाँव पालने में ही नजर आ रहे हैं. तथा कथित हरिश्चंदों कि कारगुजारियां धीरे धीरे सामने आ ही रही हैं. दिन प्रति दिन नए नए कारनामे सोशल मीडिया में आ ही रहे हैं, बिकाऊ मीडिया तो ये सब दिखने से रहा. अब कोई आँखे बंद कर ले तो उसको क्या कहा जाए?

    ढपोरशंखी केवल गाल ही बजा सकते हैं और दूसरे लोगों भरमा सकते हैं. अन्यथा सबूत कि बिना पर कोर्ट भी जा सकते थे. लेकिन नहीं…. भाड़े के टट्टू को पता होता है कि मुझे क्या करना है और क्या नहीं.

    जब देश अपने दम पर खड़ा होने कि कोशिश करता है तब तब कुछ कायर, देश द्रोही भितरघात कर जाते हैं, और पुनः एक लम्बा अरसा उस घाव को भरने में लग जाता है. आज पुनः देश के सम्मुख अपने दम पर उठ खड़ा होने कि वही घड़ी आई है लेकिन फिर वही कायरों और भीतरघातिओं कि जमात सामने आ खड़ी हुई है. सिंहों का बाना ओढ़े कुछ सियार फिर देश से गद्दारी कर रहे हैं.

    सच्चाई को प्रस्तुत करता बहुत सुंदर लेख.

    सादर

  2. आप बहुत कुछ लिख गए.या इसको यों समझा जाए कि आप लिखते हीं गए. मुफ्त पानी का आंकड़ा आपके बी.आई.एस. से लिया गया है,जहां प्रत्येक व्यक्ति के लिए १५० लीटर पानी ठीक माना गया है.२० किलो लीटर प्रति माह इसी पर आधारित है(२२ किलो लीटर या २२००० लीटर नहीं).जब तक आप पानी का अपव्यय न करे,इससे ज्यादा एक परिवार नहीं खर्च कर सकेगा.पानी का अपव्यय रोकने के लिए उससे ज्यादा खर्च पर पूरे पानी के खर्च के बिल का प्रावधान किया गया है. गणना के अनुसार जल बोर्ड आज भी इस खर्च को वहन करने में सक्षम है.अभी ४० से पचास प्रतिशत पानी बर्बाद होता है.वह या तो पाइप लाइनों में खराबी या चोरी के चलते बर्बाद होता है.अगर इस पर रोक लगाया जाये तो मुनाफा भी बढ़ेगा और पानी मुफ्त भी मिलेगा. बिजली के बिल के बारे में जो निर्णय लिया गया है ,वह अस्थाई है.जब तक बिजली कंपनियों के बही खाते की जांच नहीं हो जाती तब तक इसके लिए स्थाई निर्णय नहीं लिया जा सकता.
    आपलोग आम आदमी पार्टी के कांग्रेस की गोद में बैठने के लिए जो हल्ला करते हैं,वह बीजेपी के चित भी मेरी पट्ट भी मेरी के नीति के अंतर्गत है. सरकार न बनाओ ,तो जिम्मेदारी से भाग रहे हैं.सरकार बनाओ तो गोद में जा बैठे.कांग्रेस की कौन सी बात मानी गयी है और किसने शीला दीक्षित को क्लीन चिट दिया है.क्लीन चिट तो प्रचार के समय ही हर्षवर्द्धन ने दिया था,जब उन्होंने कहा था कि वे विच हंटिंग नहीं करेंगे. आम आदमी पार्टी की सरकार तो जल्द ही जनलोकायुक्त लाने जा रही है .इसके बाद आगे आगे देखते जाइये कौन फंसता है,कौन बचता है?
    रही बात आम आदमी पार्टी के नरेंद्र मोदी का रथ रोकने की तो आम आदमी पार्टी३०० से ४०० सीटों के लिए उम्मीदवार खड़ा करेगी .इसे आप मोदी का रथ रोकने की तैयारी कहिये या कांग्रेस के सफाया का अभियान.दिल्ली में तो कांग्रेस साफ़ हो ही गयी.आपलोगों को लगता है कि कांग्रेस पिछले दरवाजे से शासन में है तो यह आपलोगों का मतिभ्रम है और इसका कोई इलाज नहीं. आप लोग जिसे नाटक कह रहे हैं,उसके बारे में जाकर उन लोगों से पूछिए जो पुलिस के निकम्मेपन से त्राहि त्राहि कर रहे थे. और आआप को उद्धार कर्ता मान रहे हैं.

  3. Kejariwal and AAP have proved that they are corrupt because they have joined the hands of Sonia’s congress and we all know that congress = corruption so AAP is corrupt too.
    Now we have only alternative is BJP so let us dump AAP and Congress for a healthy change to end the chaos and corruption in the country.

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