मेरे पहले प्यार की याद मे

तारीख़ों के पन्नों मे गुजरे वो ख्वाब
आंखो की गहराई में महसूस करता हूँ
दिन के उजलों मे अन्धेरों के बीच
खुद को दफ़न सा मह्सूस करता हूँ
माथे पर उभरती लकीरें शिकन की
कुछ कुछ तुम सी लगतीं हैं
पिघलती ये तहरीरें मन की
कुछ कुछ तुम सि लगतीं हैं

परत दर परत बिछी उम्मीदें
झुठलातीं हैं हर शिकन माथें पर
देखों न, ये किस्मत की लकीरों ने
तेरी तस्वीर रची हैं हाथों पर
हर आती-जाती सासें मेरी
कुछ-कुछ तुम सी लगती हैं
पिघलती ये तहरीरें मन की
कुछ-कुछ तुम सि लगती हैं

मेरे पहले प्यार की याद मे. यह कविता मैनें 10वीं में लिखी थी।

they say you were mine....................
they say you were mine....................

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