आजादी के अमृत महोत्सवी अवधि के पिछले 8 वर्षों में भारत ने कई क्षेत्रों में बनाया है एक नया मुकाम

पिछले 75 वर्षों के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में यदि भारत के विकास की बात करें तो ध्यान में आता है कि भारत ने पूरे विश्व में अपने लिए विशेष रूप से आर्थिक, अंतरिक्ष, विज्ञान, रक्षा-सुरक्षा, योग एवं आध्यात्म जैसे क्षेत्रों में अपना एक अलग मुकाम बनाया है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में आज भारत एक वैश्विक ताकत बनाकर उभरा है। भारत आज न केवल अपने लिए सेटेलाईट अंतरिक्ष में भेज रहा है बल्कि विश्व के कई अन्य देशों के लिए भी सेटेलाईट अंतरिक्ष में स्थापित करने में सक्षम हो गया है। योग एवं आध्यात्म के क्षेत्र में तो भारत अनादि काल से विश्व गुरु रहा ही है, परंतु हाल ही के समय में भारत एक बार पुनः योग एवं आध्यात्म के क्षेत्र में विश्व का मार्गदर्शन करने की ओर अग्रसर है। योग को सिखाने के लिए तो यूनाइटेड नेशन्स ने प्रति वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाने का निर्णय लिया है और इसे पूरे विश्व में लगभग सभी देशों द्वारा बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है। इसी प्रकार विज्ञान के क्षेत्र में भी भारत ने पूरे विश्व में अपना एक अलग मुकाम बना लिया है। विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी, तकनीकी, डिजिटल एवं ड्रोन तकनीकी में तो भारत ने अपना लोहा पूरे विश्व में ही मनवा लिया है। इन विभिन्न क्षेत्रों में विकास करते हुए भारत ने किस प्रकार आर्थिक, रक्षा, डिजिटल, आदि क्षेत्रों में हाल ही के समय में एक नया मुकाम हासिल किया है, इसे समझने का प्रयास इस लेख में किया गया है।        

भारत ने 15 अगस्त 1947 को राजनैतिक आजादी प्राप्त की थी और 15 अगस्त 2023 को हम आजादी का अमृत महोत्सव मनाने की ओर अग्रसर हैं। इस दौरान भारत की आर्थिक प्रगति पर यदि नजर दौड़ाएं तो ध्यान में आता है कि कुछ देशों यथा, चीन, ब्रिटेन, इजराईल, जापान, जर्मनी आदि जिन्होंने अपनी आर्थिक प्रगति की यात्रा वर्ष द्वितीय विश्व युद्ध समाप्ति के पश्चात वर्ष 1945 अथवा इसके पश्चात भारत के साथ ही प्रारम्भ की थी, आज इन सभी देशों ने आर्थिक क्षेत्र में एक अलग मुकाम हासिल कर लिया है एवं ये समस्त देश आज विकसित देशों की श्रेणी में आ गए हैं जबकि भारत अभी भी एक विकासशील देश के रूप में आर्थिक प्रगति बढ़ाने के प्रयास कर रहा है। हालांकि पिछले 8 वर्षों के दौरान विशेष रूप से केंद्र में श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार के आने के बाद से स्थिति में तेजी से बदलाव दृष्टिगोचर है। वैसे तो इस दौरान अर्थ के कई क्षेत्रों में नए नए रिकार्ड बनाए गए हैं परंतु विशेष रूप से गरीबी एवं आय की असमानता को कम करने में भारत ने विशेष सफलता पाई है। जिसकी अंतरराष्ट्रीय मुद्रकोष एवं विश्व बैंक ने भी जमकर सराहना की है।   

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के अनुसार भारत में अत्यंत गरीबी में बहुत तेजी से गिरावट दर्ज की गई है एवं यह अब 0.8 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई है।  वहीं विश्व बैंक के अनुसार वर्ष 2011 से 2019 के बीच भारत में गरीबों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2011 में भारत में गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे व्यक्तियों की संख्या 22.5 प्रतिशत थी जो वर्ष 2019 में घटकर 10.2 प्रतिशत पर नीचे आ गई है। भारत के शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों की संख्या बहुत तेज गति से कम हुई है। जहां ग्रामीण इलाकों में गरीबों की संख्या  वर्ष 2011 के 26.3 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2019 में 11.6 प्रतिशत पर आ गई है तो शहरी क्षेत्रों में यह संख्या 7.9 प्रतिशत से कम हुई है। विशेष रूप से वर्ष 2015 से वर्ष 2019 के बीच गरीबों की संख्या अधिक तेजी से घटी है। वर्ष 2011 से वर्ष 2015 के दौरान गरीबों की संख्या 3.4 प्रतिशत से घटी है वहीं वर्ष 2015 से 2019 के दौरान यह 9.1 प्रतिशत से कम हुई है और यह वर्ष 2015 के 19.1 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2019 में 10 प्रतिशत पर नीचे आ गई है। वर्ष 2017 एवं वर्ष 2018 के दौरान तो गरीबी 3.2 प्रतिशत से कम हुई है यह कमी पिछले दो दशकों के दौरान सबसे तेज गति से गिरने की दर है। ग्रामीण इलाकों में छोटे जोत वाले किसानों की आय में वृद्धि तुलनात्मक रूप से अधिक अच्छी रही है जिसके कारण ग्रामीण इलाकों में गरीबों की संख्या वर्ष 2015 के 21.9 प्रतिशत से वर्ष 2019 में घटकर 11.6 प्रतिशत पर नीचे आ गई है। बहुत छोटी जोत वाले किसानों की वास्तविक आय में 2013 और 2019 के बीच वार्षिक 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है वहीं अधिक बड़ी जोत वाले किसानों की वास्तविक आय में केवल 2 प्रतिशत की वृद्धि प्रतिवर्ष दर्ज हुई है। भारत में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों की संख्या में आ रही भारी कमी दरअसल केंद्र सरकार द्वारा समय समय उठाए जा रहे कई उपायों के चलते सम्भव हो पाई है। भारत में वर्ष 1947 में 70 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे थे, जबकि अब वर्ष 2020 में देश की कुल आबादी का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा है। जबकि 1947 में देश की आबादी 35 करोड़ थी जो आज बढ़कर लगभग 136 करोड़ हो गई है।

डिजिटल इंडिया के माध्यम से क्रांतिकारी परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है भारत – पिछले7-8 वर्षों के दौरान भारत ने डिजिटलीकरण के क्षेत्र में अतुलनीय प्रगति की है एवं आज भारत में 83 करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट एवं स्मार्ट फोन से जुड़े हुए हैं। इस प्रकार भारत ने एक नए डिजिटल युग में प्रवेश कर लिया है। भारत में सार्वजनिक अधोसंरचना विकसित कर ली गई है ताकि देश के सभी नागरिक इन सुविधाओं का लाभ ले सकें। यूनीफाईड पेमेंट इंटरफेस (UPI) इसका सबसे अच्छा उदाहरण है, जिसके माध्यम से आज प्रतिदिन 100 करोड़ से अधिक बैंकिंग व्यवहार करने की ओर भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। आधार कार्यक्रम की सफलता के बाद तो डिजिटल इंडिया एक नए दौर में चला गया है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी डिजिटल इंडिया ने कमाल ही कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से एक ऐप बनाए जाने पर विचार किया जा रहा है ताकि कोई भी व्यक्ति कहीं भी अपना इलाज आसानी से करा सके। इसके लिए भी तेजी से कार्य किया जा रहा है। गावों में भी डिजिटल इंडिया पर कार्य किया जा रहा है।  अब तो ड्रोन के लिए नए डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग हो रहा है एवं ड्रोन के माध्यम से कृषि को किस प्रकार सहयोग किया जा सकता है इस पर भी कार्य हो रहा है। ड्रोन के माध्यम से बीजों का छिड़काव आदि कार्य किए जाने पर भी विचार किया जा रहा है।

भारत बन रहा है दुनिया का फार्मेसी हब – पिछले 8 वर्षों के दौरान भारत के ड्रग्स एवं फार्मा उत्पाद के निर्यात में 103 प्रतिशत की आकर्षक वृद्धि दर अर्जित की गई है। ड्रग्स एवं फार्मा उत्पाद के निर्यात वर्ष 2013-14 में 90,414 करोड़ रुपए के रहे थे जो 2021-22 में बढ़कर 1.83 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गए हैं। भारत अब औषधियों के उत्पादन के क्षेत्र में विश्व में प्रमुख भूमिका निभा रहा है और इस क्षेत्र में विश्व का लीडर बनने की राह पर चल पड़ा है। आकार के मामले में भारतीय दवा उद्योग विश्व स्तर पर आज तीसरे स्थान पर है। भारत में वर्ष 2019-2020 में औषधियों का कुल वार्षिक कारोबार 289,998 करोड़ रुपये का रहा था। विश्व में उपयोग होने वाली जेनेरिक दवाईयों का 20 प्रतिशत भाग भारत निर्यात करता है। भारत में औषधि निर्माण के लिए 10,500 से अधिक औद्योगिक केंद्रों का मजबूत नेटवर्क है तथा 3,000 से अधिक फार्मा कम्पनियां भारत में औषधियों का निर्माण कर रही हैं। पूरे विश्व में सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक देश भी भारत ही है। भारतीय औषधि उद्योग की आज पूरे विश्व में धमक दिखाई दे रही है एवं भारत दुनिया का फार्मेसी हब बनने की अपने कदम बढ़ा चुका है।

भारत ने पिछले 8 वर्षों के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भी सबसे तेज वृद्धि दर्ज की है। वर्ष 2014 से भारत ने सौर ऊर्जा में 18 गुना से अधिक वृद्धि दर्ज की है, जबकि नवीकरणीय ऊर्जा में 1.97 गुना वृद्धि दर्ज की है। वर्ष 2013 में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता 27,542 मेगावाट थी जो 8 वर्षों में 156,608 मेगावाट हो गई है। भारत ने अपने लिए वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पन्न करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसी प्रकार भारत ने आगामी 8 वर्षों में अपनी स्थापित बिजली का 40 प्रतिशत हिस्सा गैर-जीवाश्म ईंधन से प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, आगामी 8 वर्षों में भारत में सौर और पावन ऊर्जा की संयुक्त स्थापित क्षमता 51 प्रतिशत हो जाएगी, जो अभी 23 प्रतिशत है।

भारत ने रक्षा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता हासिल करने की ओर अपने कदम बढ़ा लिए हैं एवं कई रक्षा उत्पादों का तो निर्यात भी किया जा रहा है। अभी हाल ही में भारत का स्वदेशी निर्मित तेजस हल्का लड़ाकू विमान मलेशिया की पहली पसंद बनाकर उभरा है। मलेशिया ने अपने पुराने लड़ाकू विमानों के बेड़े को बदलने के लिए प्रतिस्पर्धा की थी। जिसमें चीन के जेएफ-17, दक्षिण कोरिया के एफए-50 और रूस के मिग-35 के साथ साथ याक-130 से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद मलेशिया ने भारतीय विमान तेजस को पसंद किया है। आकाश मिसाइल भी भारत की पहचान है एवं यह एक स्वदेशी (96 प्रतिशत) मिसाइल है। दक्षिणपूर्व एशियाई देश वियतनाम, इंडोनेशिया, और फिलिपींस के अलावा बहरीन, केन्या, सउदी अरब, मिस्र, अल्जीरिया और संयुक्त अरब अमीरात ने आकाश मिसाइल को खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है। आकाश मिसाइल के साथ ही कई अन्य देशों ने तटीय निगरानी प्रणाली, राडार और एयर प्लेटफार्मों को खरीदने में भी अपनी रुचि दिखाई है। भारत जल्द ही दुनिया के कई देशों यथा फिलीपींस, वियतनाम एवं इंडोनेशिया आदि को ब्रह्मोस मिसाइल भी निर्यात करने की तैयारी कर रहा है। कुछ अन्य देशों जैसे सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात एवं दक्षिण अफ्रीका आदि ने भी भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है। आज भारत से 84 से अधिक देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात किया जा रहा है।  इस सूची में कतर, लेबनान, इराक, इक्वाडोर और जापान जैसे देश भी शामिल हैं जिन्हें भारत द्वारा बॉडी प्रोटेक्टिंग उपकरण, आदि निर्यात किए जा रहे हैं।

कृषि क्षेत्र, रक्षा उत्पादों, फार्मा, नवीकरण ऊर्जा, डिजिटल व्यवस्था के साथ ही प्रौद्योगिकी, सूचना तकनीकी, आटोमोबाईल, मोबाइल उत्पादन, बुनियादी क्षेत्रों का विकास, स्टार्ट अप्स, ड्रोन, हरित ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में भी  भारत अपने आप को तेजी से वैश्विक स्तर पर एक लीडर के रूप में स्थापित करने की ओर अग्रसर हो गया है। इस प्रकार आर्थिक प्रगति के बल पर भारत एक बार पुनः अपने आप को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने जा रहा है।

प्रहलाद सबनानी

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