आर्थिकी

रोटी से हारा प्रगतिशील भारत

शादाब जफर ”शादाब”

 

आज देश में महंगाई किस चरम पर पहुंच चुकी है इस का उदाहरण मूल रूप से बिहार निवासी मेरठ उत्तर प्रदेश में रह रही सुनयना से बेहतर शायद कोई नहीं दे सकता। गरीबी और फाकाकशी से निजात पाने को 30 साल की इस महिला ने वो रास्ता चुना जिसे देख और सुन कर लोगो के रोंगटे खडे हो गये। बेरोजगार पति के घर छोड कर चले जाने के बाद तीन छोटे छोटे बच्चो के लिये दो वक्त की रोटी, स्कूल फीस और मकान का किराया जब जुटाया नहीं पाई तो हर तरफ से मजबूर होकर एटमी डील, रोज नित नई उपलब्धिया अर्जित कर रहे हिदुस्तान की इस बेबस बेसहारा नारी ने अपने तीनों बच्चों को साड़ी के पल्लू में लपेट कर एक पैसेंजर ट्रेन के आगे छलांग लगा दी। इस हादसे में एक बच्चा बच गया किन्तु अभागन सुनयना और उस के दो बच्चो के चीथडे उड़ गये। आज हम दुकानो़ की रेट लिस्ट देखकर जान सकते है कि हमारी सरकार इस मुद्दे पर बिल्कुल भी गम्भीर नहीं है आज आम आदमी का जीना दुश्‍वार हो रहा है भ्रष्टाचार और मंहगाई के कारण देश में त्राहि-त्राहि मची है। पिछले दो साल से खाद्यान्न की कीमतों में रिकार्ड उछाल है। शेयर बाजार, सोना और भ्रष्टाचार आसमान छू रहे है।

आज आदमी हर रोज सुबह शाम बढती महंगाई से परेशान है। ऐसा नहीं कि इस महंगाई की जद में सिर्फ गरीब ही आया है इस महंगाई रूपी ज्वालामुखी की तपिश में हर कोई झुलस रहा है छटपटा रहा है खाद्यान्न, सब्जी, फल, व तेलों के दाम इस एक साल में लगभग पचास प्रतिशत बढे हैं। खाने पीने की चीजों के दाम बेतहाशा बढ रहे हैं। पिछले साल की तुलना में इन की कीमतों में 13.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आज सब्जी और दालों की कीमतें बढ़कर सैकडे के जादुई आकडे को छूने लगी है। प्याज की कीमतों में भी 50 प्रतिशत की वृद्वि हुई है। इस महंगाई से देश में बेरोजगारी के साथ साथ 50 प्रतिषत जुर्म जैसे लूट, राहजनी, छीना झपटी, मर्डर, अपहरण डकैती में बढोतरी हुई है वही नौकरी पेशा लोगों की तन्ख्वाहे जहां की तहां रह गई है ऐसी स्थिति में सरकार का दो टूक ब्यान आम आदमी को निराश कर रहा है। सरकारी सब्सिडी से हमारे सांसद संसद भवन की कैंटीन में खूब मौज मस्ती कर रहे है। अगर देखा जाये तो लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाली इस इमारत को अपने पद और देश के गौरव और सम्मान से अपरिचित कुछ सांसदों ने पिकनिक स्‍पॉट बना कर रख दिया है। आज आम आदमी की परेशानियों की किसी को कोई चिन्ता नहीं। उस की अपनी चुनी हुई सरकार ने ही महंगाई के मामले में पल्ला झाड लिया। सरकार सीधे तौर पर बयान दे रही है कि फिलहाल महंगाई घटने के आसार नहीं है। रोजमर्रा की चीजों के बढते दामों से हैरान परेशान आम लोगों को राहत दिलाने के बजाये केन्द्र व प्रदेश सरकार ने मुनाफाखोरी और जमाखोरी का रास्ता अख्तियार कर लिया है।

देश में फैले भ्रष्टाचार के कारण सरकार को विकास के साथ-साथ आम आदमी और कमर तोड मंहगाई पर नियंत्रण का कोई ख्याल नहीं रहा। उसे ख्याल है अपने सहयोगी दलों के भ्रष्ट नेताओं को कानूनी शिकंजे से बचाने का क्योंकि अगर ये देश के कुछ भ्रष्ट राजनेता जेल जाते है तो यकीनन सरकार हिल जायेगी और कांग्रेस ऐसा कभी नहीं चाहेगी क्योंकि कांग्रेसी लीडर आज सत्ता सुख में कुछ इस तरह से रच बस गये है कि वो बिना लाल बत्ती की गाड़ी और राजसी सुख सुविधाओं के बगैर जी ही नहीं सकते। ये ही वजह है की कांग्रेस का पुराने से पुराना लीडर किसी न किसी प्रदेश का राज्यपाल बन जाता है। दरअसल उसे शुरू से राजसी जीवन जीने की आदत होती है जिसे वो मरते दम तक नहीं छोडना चाहता है। आज जरूरी है कि हमारी सरकार घोटालों के मायाजाल से बाहर निकल कर उस गरीब के लिये भी सोचे, जिन गरीब लोगों ने अपनी रहनुमाई के लिये संसद भवन में उसे कुर्सी दी, मान सम्मान दिया।

सरकार ने फिर से पेट्रोल के दामो में वृद्वि कर बढती हुई मंहगाई में और आग लगा दी। जब की अभी पिछले दिनों ही 2 से तीन रूपये पेट्रोलियम कम्पनियों ने पेट्रोल के दाम बढाये थे। अभी तक जिस महंगाई का अहसास आप और हम कर रहे थे सरकारी आंकडे भी अब उस महंगाई का अहसास कर उसे साबित करने लगे है। पिछले वर्ष वाणिज्य मंत्रालय की और से 14 दिसम्बर को जारी मासिक आकडों के मुताबिक देश के थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति पॉच प्रतिशत के करीब पहुंच गई थी जो अक्तूबर 2009 में 1.34 प्रतिशत थी। जिस रफ्तार से मुद्रास्फीति बढ रही है वो यकीनन देशवासियों व देश की अर्थव्यवस्था के हित में कतई नहीं है। पिछले वर्ष छठे वेतन आयोग की सिफारिश लागू हुई तो सरकारी कर्मचारियों को 40 प्रतिशत का लाभ हुआ। संडे के दिन परिवार को होटल या रेस्टोरेन्ट में लंच या डीनर या फिर चाईनीज फूड का स्वाद चखवाने वाले अब कम ही दिखाई दे रहे है। दूध की कीमतों में 60 से 80 प्रतिशत की बढोतरी हुई तो बडी तादाद में लोगों ने रात में दूध पीना की आदत ही छोड दी।

हकीकत यह है कि चुनाव के महीनों में यह महंगाई इन राजनेताओं का हाल बिगाड़ सकती है किन्तु खूब खाने पीने के इस मौसम में अगर गरीब मजदूर को ठीक से दाल रोटी और सब्जी भी मय्यसर नहीं हुई तो देर सबेर उस के स्वास्थ्य पर किस कदर असर पडे़गा आज गम्भीरता से सोचने वाला प्रश्‍न है लेकिन सरकार और देश के अर्थशास्‍त्री खामोश है। शायद वो ये जानते है कि आने वाले चुनाव में गरीब के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य पर भी इस महंगाई का असर जरूर पड़ना है। जरूरी है कि सरकार को वक्त रहते चेतना चाहिये और महंगाई की इस रफ्तार को यही रोक दे ये सरकार हित में भी है और देश हित में भी और गरीबों के हित में भी।