भारतीय मुस्लिमों के कारनामें देशभक्ति पूर्ण हैं ?

azam khanआजम खान जी क्या  भारतीय मुस्लिमों के कारनामें देशभक्ति पूर्ण हैं ?

उत्तर प्रदेश के शहरी विकास मंत्री व अखिलेश सरकार में नम्बर दो की हैसियत रखने वाले आजम खां ने इलाहाबाद स्थित मठ बाघंबरी गद्दी में 27 मई, 2013 को आयोजित एक सम्मान समारोह में कहा कि ‘‘भारत के मुसलमानों की देशभक्ति पर संदेह करने की जरुरत नहीं है। देश के लिए वे जान देने में जरा भी गुरेज नहीं करेगा, जरुरत है उस पर विश्वास करने की।’’ समझ में नहीं आता कि आजम खां को यह बात कहने की आवश्यकता क्यों महसूस हुई। लगता है कि वह जानते है कि मुसलमानों के कारनामों से देश की जनता अच्छी तरह से परिचित है।
कहां से, कैसे और क्यों यह प्रश्न पैदा होता है कि इस देश के प्रति देश के मुसलमान वफादार है या नहीं? क्यों बार-बार मुसलमानों की वफादारी का प्रमाण पत्र उनसे मांगा जाता है! उनकी राष्ट्रीयता का प्रमाण पत्र मांगने की जरूरत क्यों पडी!
आजम खां मुसलमानों की देशभक्ति की बात करते हैं। क्या वह भूल गए है उन्होंने खुद भारत माता को डायन कहा था, तथा सन् 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए हुए चुनावों में एक चुनावी सभा में आजम खां ने मुसलमानों से कहा था ‘‘याद करो सपा सरकार का पिछला कार्यकाल जब पुलिस वाले दाढ़ी वालों (मुसलमानों) पर हाथ धरने से डरते थे।’’ क्या वह मुसलमानों को बताना चाहते थे कि सपा की सरकार में मुसलमान खुलकर जो चाहे वह कर सकते है!
शायद आजम खां ने ठीक ही कहा तभी तो उत्तर प्रदेश में लगभग 1 वर्ष के दौरान मुसलमानों ने कई साम्प्रदायिक दंगे किसी न किसी बहाने को लेकर किए परन्तु किसी भी दंगे में किसी मुसलमान को कोई सजा नहीं हुई बल्कि उन्हें मुआवजे के तौर पर भारी धनराशि देकर ही सम्मानित किया गया।
असम में घुसपैठ कर वहां के निर्दोष हिन्दुओं को मारने वाले बंगलादेशी मुसलमानों व म्यांमार में निर्दोष बौद्धो को मारने वाले रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में भारत का मुसलमान मुम्बई के आजाद मैदान में उग्र प्रर्दशन करता है, महिला पुलिस कर्मियों को बेइज्जत किया जाता है, अमर जवान ज्योति को मुस्लिम युवक लात मारकर अपमानित करते है क्या यही मुस्लिमों की देश के प्रति निष्ठा है!
कश्मीर जहां के मुसलमानों के लिये केन्द्र सरकार अरबों रूपये देती है वहां भारत का झंडा जलाया जाता है, सुरक्षा बलों पर मुसलमान पत्थर बाजी करते हैं, भारत को काफिर कहा जाता है, ‘हिन्दुस्तान मुर्दाबाद, पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाये जाते है। कश्मीर घाटी से लाखों हिन्दुओं को मार-मार भगाया दिया गया, वहां की दिवारों पर लिखा गया था कि ‘हिन्दुओं घाटी छोडो और अपनी बहू-बेटियों को हमारे लिये छोड जाओं।’
कश्मीर का अफजल गुरु देश की संसद पर हमला करता है और जब उसे उसके इस देशद्रोह के लिए सजा देने की बात की जाती है तो मुस्लिम समाज के कुछ नेता कहते हैं कि अगर अफजल को फांसी दी गई तो देश में दंगे हो जाऐंगें।
हैदराबाद में एक विधायक अकबरुद्दीन औवेसी खुलेआम भरी सभा में घोषणा करता है कि अगर पुलिस 15 मिनट के लिए हट जाये तो हम 100 करोड़ हिन्दुओं को बता देगें की मुसलमान क्या कर सकता है!
क्या आजम खां यह भूल गए कि 1947 में लाखों देशवासियों की लाशों पर भारत के टुकडे करके मुसलमानों के लिये अलग इस्लामी देश पाकिस्तान नहीं बनाया गया? जिसको बनाने में सबसे अधिक योगदान उत्तर प्रदेश के मुस्लिम नेताओं और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का था। कहा तो यहां तक जाता है जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण किया था तो महाराजा हरिसिंह की सेना में जितने भी मुस्लिम सिपाही थे वो सब अपने हिन्दू कमांडर को मारकर हथियारों सहित ‘अल्लाहो अकबर’ कहते हुए पाकिस्तानियों से जा मिले थे।
आजम खां जी आप यह बताने की कृपा करें कि देश किस प्रकार आप की बातों पर विश्वास करें! आप पहले अपने मुसलमान भाईयों से कहे तथा खुद भी यह माने की पहले देश उसके बाद और कुछ। शायद फिर देश की जनता मुसलमानों पर विश्वास करने लगेगी।

आर. के. गुप्ता

29 COMMENTS

  1. आर सिंह साहब का प्रश्न:

    हिन्दू मुसलमान के पचड़े में न पड़ कर,अगर देश भक्ति की बात की जाये तो भारत बनाम इंडिया में शायद ही कोई देशभक्त मिले.भ्रष्ट और बेईमान देशभक्त नहीं होता. देशभक्ति के लिए पहली शर्त है इमानदारी और सत्यता .

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    {उसका उत्तर आर सिंह साहब ही दे रहे हैं। इस निम्न उत्तर का अंतवाला भाग पढिएगा।}

    “हैदराबाद में एक विधायक अकबरुद्दीन औवेसी खुलेआम भरी सभा में घोषणा करता है कि अगर पुलिस 15 मिनट के लिए हट जाये तो हम 100 करोड़ हिन्दुओं को बता देगें की मुसलमान क्या कर सकता है!”

    किसी सरफिरे के इस वक्तव्य पर मैं टिप्पणी तो नही करना चाहता था, क्योंकि ऐसी चुनौती देने वालों के लिए पागल खाने के सिवा अन्य कोई जगह नहीं है,”
    “पर हक़ीकत यहीं है कि भारत के हिंदुओं में अभी इतनी ताक़त अवश्य है कि ऐसे सरफिरों के हर हमले का सामना कर सके और उसका मुँह तोड़ उत्‍तर दे सके. उसके लिए उन्ही किसी पुलिस या मिलिट्री की आवश्यकता नहीं है,पर ऐसी स्थिति आए ही क्यों?

    पर हक़ीकत यहीं है कि भारत के हिंदुओं में अभी इतनी ताक़त अवश्य है कि ऐसे सरफिरों के हर हमले का सामना कर सके और उसका मुँह तोड़ उत्‍तर दे सके. उसके लिए उन्ही किसी पुलिस या मिलिट्री की आवश्यकता नहीं है,पर ऐसी स्थिति आए ही क्यों?
    {यह आप ही के प्रश्नका उत्तर आप ही ने दिया है।}
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    • डाक्टर साहब,आपने सही लिखा,पर मेरा असल प्रश्न तो देशभक्ति का है और आज के भ्रष्ट भारत में यह एक बुनियादी प्रश्न बन गया है. क्या भ्रष्ट देशभक्त माना जा सकता है? अगर इसका उत्तर हां है,तो मैं अपने को आगे के किसी विवाद में भाग लेने के अयोग्य समझता हूँ और अगर इसका उत्तर नहीं में है,तो मेरा बुनियादी प्रश्न उत्तर की प्रतीक्षा कर रहा है.

      • बुनियादी प्रश्न का उत्तर टिपण्णी में नहीं आलेख से दिया जाए.
        क्या आपसे ऐसा आलेख लिखने का अनुरोध मैं कर सकता हूँ?
        यह चर्चा को जन्म देगा. पर चर्चा आवश्यक है.

        • डाक्टर साहब, आपका अनुरोध शिरोधार्य. प्रयत्न करता हूँ,

          • डाक्टर मधुसुदन जी,मैं आपको आगे यह सूचित करना चाहता हूँ कि मैंने इस सन्दर्भ में एक आलेख प्रवक्ता में भेज दिया है.

  2. हीन्दी की एक कहावत है यथा द्रष्टी तथा सृष्टी मतलब जैसी नजर है दुनीया वैसी ही नजर आती है अब आगे कुछ बताने की आवश्यकता नही है आप खुद समइदार हैं

  3. मैथलीशरण गुप्त की यह पंक्तिया याद आ रही है :–
    जिसको न निज गौरव न निज देश का अभिमान है ।
    वह नर नही नर पशु निरा है और मृतक समान है ॥

  4. R K Singh jee ne theek jvaab de diya hai, lekin muslmaano ke khilaaf itna zehr uglne ke bad bhi koee singh sahib ke svaalo ka jvaab nhi de ska hai.

  5. “हैदराबाद में एक विधायक अकबरुद्दीन औवेसी खुलेआम भरी सभा में घोषणा करता है कि अगर पुलिस 15 मिनट के लिए हट जाये तो हम 100 करोड़ हिन्दुओं को बता देगें की मुसलमान क्या कर सकता है!”

    किसी सरफिरे के इस वक्तव्य पर मैं टिप्पणी तो नही करना चाहता था, क्योंकि ऐसी चुनौती देने वालों के लिए पागल खाने के सिवा अन्य कोई जगह नहीं है,पर हक़ीकत यहीं है कि भारत के हिंदुओं में अभी इतनी ताक़त अवश्य है कि ऐसे सरफिरों के हर हमले का सामना कर सके और उसका मुँह तोड़ उत्‍तर दे सके. उसके लिए उन्ही किसी पुलिस या मिलिट्री की आवश्यकता नहीं है,पर ऐसी स्थिति आए ही क्यों?

  6. जैसे प्रश्न पूछना, या ना पूछना एक पाठक का अधिकार है।
    उतना ही दूसरे पाठक का, अधिकार उत्तर देना, या ना देना भी है।
    “मौन” भी तो किसी प्रश्न का उत्तर हो सकता है।

  7. ऐसे अवसरों पर मुझे कबीर दास अक्सर याद आ जाते हैं.
    बुरा जो देखन मैं चला,बुरा न मिला कोय.
    जो दिल ढूँढा आपना,मुझ सा बुरा न कोय.

  8. कई पीढीओं से देश द्रोही होने की परम्परा है कुछ लोगो में । जिनको भारत द्रोही मुसलमानों से अति प्रेम है उन्हे पेंटर हुसेन की तरह मुस्लिम बहुल राष्ट्रों मे जाकर शरण ले लेनी चाहिए । Democracy की स्वतन्त्रता उनसे ज्यादा कौन practice करता है । भारत तो भारत वासियों का देश है । सर्व प्रथम हम भारतीय है। पूजा पाठ की पद्धति अलग हो सकती है लेकिन देश की अखण्डता और सार्वभौमिकता से छेड छाड़ करने वाला कोइ भी हो वह व्यक्ति सनातन संस्कृति वाला नहीं है । वह बाहर से आया है और उसे बाहर ही जाना पडेगा । आर सिंह जैसे लोग कभी नहीं सुधरेगे क्योकि खून मे देश के प्रति गद्दारी करके ही प्रतिष्टा प्राप्त करने वाली परम्परा को आगे बढाने वाले है इ लोग ।
    क्षमा कीजियेगा आर सिंह जी मै पृथ्वी राज चौहान की वंशज हूँ और उस भारत की मिट्टी इतनी पवित्र है जहा लक्ष्मी बाई ,झलकारी बाई जैसो ने अंग्रजों को लोहे के चने चबवा दिए थे । जीजा बाई जैसी माँ ने छत्रपति शिवा जी को वह संस्कार दिए और आप जैसे लोग देश द्रोह की बात करते है । शिवा जी जब मुगलों से युद्ध करते थे तो कुरान का अपमान नहीं करते थे यदि वह रास्ते मे मिल गया तो उसे एक तरफ रखकर आगे बढ जाते थे । मुसल्मानो ने हमारे पिता , भाई , बेटो को मारकर हमारी माँ , बहन , बेटियो के प्रति जो अत्याचार किया वह भुलाने योग्य नहीं और उस भारत मे आप जैसे नाम से हिन्दू कहे जाने वाले लोग हमे इतिहास पढाएगे । आज भी पकिस्तान , बंगलादेश जैसे देसों मे आज भी हमारी कौम किस पीड़ा और अपमान से गुजर रही है की उन बहन , बेटिओं को जबरदस्ती ब्याभिचार करके धर्म परिवर्तन किया जा रहा है और अपमानित किया जा रहा है । बिचारे कितने हिन्दू बचे है वहा और कितने मुसलमान है यहाँ भारत मे और गैर कानूनी तरीके से भारत मे घुसते ही चले जा रहे है भारत मे क्यों । आप , मुलायम सिंह , मनमोहन सिंह , दिग्विजय सिंह आदि आदि लोगो के देश के प्रति गद्दारी के कारण । पृथ्वी राज चौहान के खिलाफ देश द्रोह करने वाले भी सिंह ही थे उन्ही के परिवार से ।

    • रेखा जी,आपने मुझे बहुत बड़ी गाली दी है,पर मैं ऐसे तथाकथित देशभक्तों की बात का बुरा नहीं मानता,जो स्वयं नहीं जानते कि वे क्या कह रहे है. आपको अपने पूर्वजों पर बहुत अभिमान है और होना भी चाहिए इस देश में जहाँ 99% बेईमान हैं, हम इसी घमंड में तो डूबे हुए हैं कि हमारे पूर्वज बहुत महान थे. ऐसे मेरी पत्नी भी पृथ्वी राज चौहान की ही वंशज है,पर मेरे विचार से उससे मेरी या उसकी कोइ महानता नहीं सिद्ध होती.
      आपके तिलमिलाने का कारण भी मेरी समझ में आता है,पर मैं उसके विस्तार में नहीं जाऊँगा. मेरी टिप्पणियों पर गाली देने के बदले आपने अगर मेरे द्वारा उठाए गये प्रश्नों का समुचित उत्तर दिया होता तो ज़्यादा अच्छा होता.
      आपने बहुत कुछ लिखा है,पर इससे आपको देशभक्ति का प्रमाण पत्र तो नहीं मिल जाता,पर जाने दीजिए. आप देश भक्त हो सकती हैं,पर अभी भी मैं उसी प्रश्न को दुहराऊँगा कि भारत चूँकि हिंदू बहुल राष्ट्र है तो क्या उसकी आज की दुर्दशा के लिए बहुमत ज़्यादा दोषी नहीं है? रेखा जी,पहले अपना घर ठीक कीजिए तब दूसरों को उपदेश दीजिए. आज के भारत के हालात में एक हिंदू किसी इतर मज़हब वाले से कम देश द्रोही नहीं है. प्रश्न यह नहीं है कि पृथ्वी राज चौहान ने क्या किया था और शिवाजी ने क्या किया था? प्रश्न तो यह है कि उनके वंशज क्या कर रहे हैं? पृथ्वी राज चौहान के अपने मौसेरे भाई की बेटी को उठा ले जाने के बारे में आपका क्या विचार है?

      • r. singh sahab aap ye bataiye ki aapne deshbakti ka kaun sa kaam kiya hai. ager itni hi muslimo ki chinta hai to ek bar muslim muhalle mein reh ker dekhiye aapko pata chal jayega ki ye kaum kitni sirfiri hai.

  9. भारतीय मुस्लिम निम्न जापान की, सच्चाइयों से कुछ तो अवश्य सीख सकते हैं। सीधा संबंध ना होते हुए भी, ऐसी सच्चाईयाँ सामने आ रही है।अमरिका अकेला ही नहीं, अन्य देश भी बहुत सतर्क है। कुछ खुलकर, और कुछ गोपनीयता ब्नाए हुए हैं। कुछ राजनैतिक कूटनीति के कारण खुलकर बोलते नहीं है। आपको पंक्तियों के बीच पढना होगा। क्या आजमखाँ का अमरिका का अनुभव कुछ पाठ दे सकता है?
    आज चेत जाओ, मेरे अपने भारतवासी मुस्लिम बंधुओं।
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    इस्लाम और जापान
    (१) कभी आपने किसी मुस्लिम देश-नेता को जापान भेंट के लिए जाते पढा है?
    सौदी अरेबिया के सुलतान या ईरान के आयातोल्ला को जापान भेंट करने गया का समाचार पढा है?
    जापान इस्लाम से दूर रहना चाहता है. जापान ने सारे मुस्लिमों पर और इस्लाम पर कडा प्रतिबंध लगाया है।
    (२)कारण है, जापान अकेला देश है, जहाँ मुस्लिमों को नागरिकत्व या स्थायी निवास नहीं दिया जाता।
    (३) इस्लाम के प्रचार पर कडा प्रतिबंध है।
    (४) विश्व विद्यालयों में इस्लामिक भाषा नहीं पढायी जाती।
    (५) अरेबिक भाषा में लिखी कुरान को आयात नहीं कर सकते।
    (६)जापानी शासन प्रकाशित स्रोत के अनुसार, दो लाख मुस्लिमों को अल्पकालीन निवास की अनुमति दी गयी है।
    (७)उन्हें कोई (भारत जैसी) धार्मिक स्वतंत्रता नहीं दी जाती। और जापानी विधि नियम (कानून) का पालन करना पडता है।
    (८)उन्हें जापानी भाषा में व्यवहार करना पडता है। और धार्मिक विधियाँ घर के अंदर ही करने की अनुमति है।
    (९)जापान के दूतावास भी इस्लामिक देशों में नगण्य है।
    (१०)जापानी जनता इस्लाम से आकर्षित नहीं होती।
    (११)जापान में रहने वाले मुस्लिम परदेशी कंपनियों के नौकर ही हैं।
    (१२)आज भी परदेशी कंपनियों से भेजे गए, मुस्लिम डाक्टरों को, अभियांत्रिकों को, और प्रबंधकों को; प्रवेश पत्र (Visa) नहीं दिया जाता।
    (१३)बहुसंख्य कंपनियां मुसलमानों को नौकरी के लिए अर्जी करने की मनाई करती है।
    (१४)जापान मानता है, कि, मुस्लिम कट्टर वादी होते हैं, और भूमंडलीकरण के युग में भी मुस्लिम कानून बदलने के लिए तैयार नहीं है।
    (१५)जापान में, मुस्लिम किराए पर मकान लेने की सोच भी नहीं सकते।
    (१६)मुस्लिम किसी के पडौस में रहने पर सारा मोहल्ला सचेत हो जाता है।
    (१७) जापान में, कोई मदरसा या इस्लामिक सेल खोल नहीं सकता।
    (१८)शरिया कानून नहीं है, जापान में।
    (१९)जापानी लडकी यदि, मुसलमान से विवाह करे, तो जापान उसे जाति बहार कर देता है।
    (२०) प्रोफ़ेसर कुमिको यागी, (अरब/इस्लामिक विभाग) टोकियो युनिवर्सीटी, के अनुसार-
    –जापान में ऐसी, मानसिकता है, कि इस्लाम बडा संकुचित धर्म है; और हरेक (जापानी) ने, उससे दूर रहना चाहिए।

    • डाक्टर मधुसूदन,मेरा प्रश्न अभी भी अनुतरित है.

      • सिंह साहब –आप के प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दे रहा था मैं।
        मुसलमानों को जब सारे संसार में समस्या हो रही है, तो इस्लाम के हित में चिन्तन करने वालों के लिए, मैं कुछ तथ्यात्मक जानकारी प्रस्तुत कर रहा था।
        स्थूल रूपसे कहता हूँ, कि, इस्लाम में सुधार बाहर(आप और मुझ) से नहीं हो सकता।अंदर से भी कठिन लगता है, मुझे।

        • डाक्टर मधुसूदन,अपने उत्तर दिया इसके लिए पहले तो शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ. आपकी मैं बहुत इज़्ज़त करता हूँ. मेरे अमेरिका प्रवास के समय आपसे मुलाकात तो नहीं हो सकी,पर हमारी बहुत उपयोगी वार्ता फ़ोन के माध्यम से अवश्य हुई थी. बहुतसे विचारों का आदान प्रदान भी हुआ था. आप जो भी कर रहे हैं, उसका मैं प्रशंसक हूँ,पर विचार वैभिन्य का मतलब मेरी नज़र में कदापि नहीं कि हम एक दूसरे के दुश्मन हैं. आप अपने व्यस्त दिन चर्या में से कुछ समय प्रवक्ता के लिए निकाल पाते हैं,इसके लिए प्रवक्ता परिवार आपका अनुगृहित है.
          अब मैं दो बाते आपकी टिप्पणी के बारे मे करना चाहूँगा. आपने जापान का जो उदाहरण दिया है,उसके बारे में पहले भी पढ़ चुका हूँ, पर मेरे विचार से यह टिप्पणी भारत के लिए सटीक नहीं बैठती. जापान के लिए मुसलमान बाहरी है,पर भारत के लिए वे इस काअंग हैं. भारत का मुसलमान बाहर से नहीं आया है.वह यहीं का निवासी है.उसका केवल धर्म परिवर्तन हुआ है. सदियों से वह इसी संस्कृति काअंग रहा है. मेरे विचार से अगर आम मुसलमान देश के लिए नहीं सोच रहा है,तो आम हिंदू ही कहाँ सोच रहा है देश के लिए? जापानियों से मेरा समवनध रहा है. उनको मैं दुनिया किसी भी देश से ज़्यादा राष्ट्र वादी मानता हूँ.
          आप अमेरिका में रहते हैं. आपको वहाँ भी राष्ट्र प्रेमी या राष्ट्रवादी मिल जाएँगे. हालाँकि प्रादेशिक स्वातन्त्रता के वहाँ बहुत लोग यह कहते भी मिल जाएँगे कि आपको मेरा राज्य कैसा ल्गा? अमेरिका कैसा लगा वे बाद में पूछेन्गे.

          अफ़सोस के साथ कहना पड़ता है कि अपने कर्मों के कारण आज भारत में बिरले कोई राष्ट्रवादी होगा. ऐसे भारत में बहुत संस्थाएँ हैं,जिसके कार्य कर्ता अपने को सुपर राष्ट्रवादी मानते हैं,पर उनकी कथनी और करनी में कितना अंतर है,यह छिपा नहीं है.
          अंत में मेरा यही कहना है कि हमारा धर्म व्यक्तिगत सूचिता पर आधारित है,अतः पहले हम तो अपना आचारण सुधारे. उसके बाद अगर दूसरों को दोषी ठहराएँ तो ज़्यादा अच्छा हो.
          आपके इस बात से मैं सहमत हूँ कि इस्लाम में ( उसी प्रकार से हिन्दू धर्म)में कमियां हैं तो उसे सचमुच में बाहर से नहीं सुधारा जा सकता.

      • आदरणीय सिंह साहब,
        “भारतीय मुस्लिमों के कारनामें देशभक्ति पूर्ण हैं ?” यह आलेख का शीर्षक है।
        मुस्लिमों की देशभक्ति के विषय में जो आलेख लिखा गया है, वहाँ आप का प्रश्न हिंदुओं के विषय में पूछा गया है।
        उसका क्यों कोई उत्तर दे?
        आपका प्रश्न, आलेख के किस अंश से संबंधित है? यह मुझे समझ में नहीं आ रहा है।
        शीर्षक से भी संबंध, मुझे प्रतीत नहीं होता।
        प्रश्नः
        क्या आप उस अंश को,उद्धृत करने की कृपा करेंगे?

        • डाक्टर मधुसूदन धन्यवाद. मेरी सारी टिप्पणियों में यह संदेश देने का प्रयत्न किया गया है कि क्या हमे,एक हिंदू होने के नाते दूसरों से यह प्रश्न पूछने का अधिकारहै? गाँधी जी के सम्वन्ध में एक प्रसिद्ध वाक़या आपने अवश्य पढ़ी होगी,जिसमे उन्होने एक आदमी को ,जो बच्चे का गुड खाना छुडाने के लिए उन से अनुरोध कर रहा था, एक सप्ताह बाद आने की कहा था. दूसरों पर उंगली उठाने के पहले हमे भी थोड़ा आत्म निरीक्षण की आवश्यकता है कि क्या वाकई हम इसके योग्य हैं?

  10. रमेश सिंह जी आप भूल रहे है कि 1947 से पहले भी गांधीजी तथा उनके भक्तों ने देश के हिन्दुओं को हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई की घुट्टी पिलाई थी। उसका परिणाम आपके सामने ‘पाकिस्तान’ के रुप में। आगामी लोकसभा चुनाव का आधार कांग्रेस, मुलायम, नीतिश जैसे नेता ने हिन्दू बनाम मुस्लिम कर दिया है। आज जिस प्रकार कांग्रेस तथा उत्तर प्रदेश की सरकार मुसलमानों पर धन लुटा रही है और मुस्लिम आतंकवादियों को छोड़ रही है उससे देश एक और धार्मिक आधार पर विभाजन की ओर बढ़ रहा है। और आप कहते हैं कि हिन्दू-मुस्लिम के पचडे में न पडे। जब तक देश में मुस्लिम उन्मुखी राजनीति जारी रहेगी तब तक देश का विकास नहीं हो सकता। आप मुझे मुस्लिमों का कोई एक संगठन बता दें जो भ्रष्टाचार, काला धन वापिस लाने, इस्लामी आतंकियों द्वारा बम विस्फोट करने के बाद उसका बहिष्कार किया हो या किसी राष्ट्रीय विषय पर हिन्दुओं के साथ खड़ा हो। मुसलमान तो केवल अपनी जायज-नाजायज मांगों को पूरा करवाने के लिए उग्र प्रर्दशन करना ही जानते है। उन्हें इस देश से कोई लेना देना नहीं है। उनके लिए इस्लाम से बढ़कर और कुछ भी नहीं है।

    • आशीष कुमार जी ,पवन कुमार जी के टिप्पणी का उत्तर देने के बाद मैं आपकी टिप्पणी पर अलग से कुछ कहने की आवश्यकता नहीं समझता .ऐसे भी ग़लती से वह टिप्पणी तीन बार सामने आगयी है,अतः प्रेक्षकों(विवर्स) को और ज़्यादा परेशान नहीं करना चाहता.

  11. हिन्दू मुसलमान के पचड़े में न पड़ कर,अगर देश भक्ति की बात की जाये तो भारत बनाम इंडिया में शायद ही कोई देशभक्त मिले.भ्रष्ट और बेईमान देशभक्त नहीं होता. देशभक्ति के लिए पहली शर्त है इमानदारी और सत्यता .

    • रमेश जी ,
      आप बुरा न माने पर शायद आप ये मानने को तैयार नही होंगे की ये आपका देश के प्रति सम्मान नहीं बोल रहा हे अपितु एक लाचारी दिखाई दे रही हैं . बार – बार अपनी देशभक्ति की दुहाई इन्हें क्यू देनी पड़ती हैं ?

      और एक सवाल में इनसे पूछना चाहूँगा की , जब भी देश में बम – विस्फोट होते हे तो क्या उसमे सिर्फ हिन्दू ही मारे जाते हैं ? इन्हें कौन समझाए की कभी -कभी आग जलाने वाले खुद ही अपने हाथ जला बैठते हैं। अबु सलेम जैसे घिनोने आतंकवादी के कुकृत्य को भूलकर इस सम्प्रदाय के द्वारा उसका स्वागत करना एवं उसकी एक झलक पाने के लिए ऐसे उतावले होना न मानो कोई महान कारनामा करके आया हो , ये सब क्या हैं समझ से परे हैं।

      • पवन कुमार जी,मैं केवल एक प्रश्न पूछ्ना चाहता हूँ? आज कौन ऐसा भारतीय,हिन्दुस्तानी या इंडियन है,जो आईने के सामने खड़ा होकर किसी दूसरे भारतीय, हिन्दुस्तानी या इंडियन के राष्ट्र भक्ति पर उंगलीभारतीय, हिन्दुस्तानी या इंडियन के राष्ट्र भक्ति पर उंगली उठाने का नैतिक अधिकार रखता है? किसी दूसरे के दोष गिनाने के पहले हमें अपने दामन में झाँकना पड़ेगा. भारत में जो गड़बड़ियाँ हैं ,उसके प्रथम दोषी हिंदू हैं,क्योंकि उनकी संख्या दूसरों की तुलना में बहुत ज़्यादा है.

      • पवन कुमार जी,मैं केवल एक प्रश्न पूछ्ना चाहता हूँ? आज कौन ऐसा भारतीय,हिन्दुस्तानी या इंडियन है,जो आईने के सामने खड़ा होकर किसी दूसरे भारतीय, हिन्दुस्तानी या इंडियन के राष्ट्र भक्ति पर उंगलीभारतीय, हिन्दुस्तानी या इंडियन के राष्ट्र भक्ति पर उंगली उठाने का नैतिक अधिकार रखता है? किसी दूसरे के दोष गिनाने के पहले हमें अपने दामन में झाँकना पड़ेगा. भारत में जो गड़बड़ियाँ हैं ,उसके प्रथम दोषी हिंदू हैं,क्योंकि उनकी संख्या दूसरों की तुलना में बहुत ज़्यादा है.

      • पवन कुमार जी,मैं केवल एक प्रश्न पूछ्ना चाहता हूँ? आज कौन ऐसा भारतीय,हिन्दुस्तानी या इंडियन है,जो आईने के सामने खड़ा होकर किसी दूसरे भारतीय, हिन्दुस्तानी या इंडियन के राष्ट्र भक्ति पर उंगलीभारतीय, हिन्दुस्तानी या इंडियन के राष्ट्र भक्ति पर उंगली उठाने का नैतिक अधिकार रखता है? किसी दूसरे के दोष गिनाने के पहले हमें अपने दामन में झाँकना पड़ेगा. भारत में जो गड़बड़ियाँ हैं ,उसके प्रथम दोषी हिंदू हैं,क्योंकि उनकी संख्या दूसरों की तुलना में बहुत ज़्यादा है.

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