जरूर पढ़ें विविधा

भारतीय मुस्लिमों के कारनामें देशभक्ति पूर्ण हैं ?

azam khanआजम खान जी क्या  भारतीय मुस्लिमों के कारनामें देशभक्ति पूर्ण हैं ?

उत्तर प्रदेश के शहरी विकास मंत्री व अखिलेश सरकार में नम्बर दो की हैसियत रखने वाले आजम खां ने इलाहाबाद स्थित मठ बाघंबरी गद्दी में 27 मई, 2013 को आयोजित एक सम्मान समारोह में कहा कि ‘‘भारत के मुसलमानों की देशभक्ति पर संदेह करने की जरुरत नहीं है। देश के लिए वे जान देने में जरा भी गुरेज नहीं करेगा, जरुरत है उस पर विश्वास करने की।’’ समझ में नहीं आता कि आजम खां को यह बात कहने की आवश्यकता क्यों महसूस हुई। लगता है कि वह जानते है कि मुसलमानों के कारनामों से देश की जनता अच्छी तरह से परिचित है।
कहां से, कैसे और क्यों यह प्रश्न पैदा होता है कि इस देश के प्रति देश के मुसलमान वफादार है या नहीं? क्यों बार-बार मुसलमानों की वफादारी का प्रमाण पत्र उनसे मांगा जाता है! उनकी राष्ट्रीयता का प्रमाण पत्र मांगने की जरूरत क्यों पडी!
आजम खां मुसलमानों की देशभक्ति की बात करते हैं। क्या वह भूल गए है उन्होंने खुद भारत माता को डायन कहा था, तथा सन् 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए हुए चुनावों में एक चुनावी सभा में आजम खां ने मुसलमानों से कहा था ‘‘याद करो सपा सरकार का पिछला कार्यकाल जब पुलिस वाले दाढ़ी वालों (मुसलमानों) पर हाथ धरने से डरते थे।’’ क्या वह मुसलमानों को बताना चाहते थे कि सपा की सरकार में मुसलमान खुलकर जो चाहे वह कर सकते है!
शायद आजम खां ने ठीक ही कहा तभी तो उत्तर प्रदेश में लगभग 1 वर्ष के दौरान मुसलमानों ने कई साम्प्रदायिक दंगे किसी न किसी बहाने को लेकर किए परन्तु किसी भी दंगे में किसी मुसलमान को कोई सजा नहीं हुई बल्कि उन्हें मुआवजे के तौर पर भारी धनराशि देकर ही सम्मानित किया गया।
असम में घुसपैठ कर वहां के निर्दोष हिन्दुओं को मारने वाले बंगलादेशी मुसलमानों व म्यांमार में निर्दोष बौद्धो को मारने वाले रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में भारत का मुसलमान मुम्बई के आजाद मैदान में उग्र प्रर्दशन करता है, महिला पुलिस कर्मियों को बेइज्जत किया जाता है, अमर जवान ज्योति को मुस्लिम युवक लात मारकर अपमानित करते है क्या यही मुस्लिमों की देश के प्रति निष्ठा है!
कश्मीर जहां के मुसलमानों के लिये केन्द्र सरकार अरबों रूपये देती है वहां भारत का झंडा जलाया जाता है, सुरक्षा बलों पर मुसलमान पत्थर बाजी करते हैं, भारत को काफिर कहा जाता है, ‘हिन्दुस्तान मुर्दाबाद, पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाये जाते है। कश्मीर घाटी से लाखों हिन्दुओं को मार-मार भगाया दिया गया, वहां की दिवारों पर लिखा गया था कि ‘हिन्दुओं घाटी छोडो और अपनी बहू-बेटियों को हमारे लिये छोड जाओं।’
कश्मीर का अफजल गुरु देश की संसद पर हमला करता है और जब उसे उसके इस देशद्रोह के लिए सजा देने की बात की जाती है तो मुस्लिम समाज के कुछ नेता कहते हैं कि अगर अफजल को फांसी दी गई तो देश में दंगे हो जाऐंगें।
हैदराबाद में एक विधायक अकबरुद्दीन औवेसी खुलेआम भरी सभा में घोषणा करता है कि अगर पुलिस 15 मिनट के लिए हट जाये तो हम 100 करोड़ हिन्दुओं को बता देगें की मुसलमान क्या कर सकता है!
क्या आजम खां यह भूल गए कि 1947 में लाखों देशवासियों की लाशों पर भारत के टुकडे करके मुसलमानों के लिये अलग इस्लामी देश पाकिस्तान नहीं बनाया गया? जिसको बनाने में सबसे अधिक योगदान उत्तर प्रदेश के मुस्लिम नेताओं और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का था। कहा तो यहां तक जाता है जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण किया था तो महाराजा हरिसिंह की सेना में जितने भी मुस्लिम सिपाही थे वो सब अपने हिन्दू कमांडर को मारकर हथियारों सहित ‘अल्लाहो अकबर’ कहते हुए पाकिस्तानियों से जा मिले थे।
आजम खां जी आप यह बताने की कृपा करें कि देश किस प्रकार आप की बातों पर विश्वास करें! आप पहले अपने मुसलमान भाईयों से कहे तथा खुद भी यह माने की पहले देश उसके बाद और कुछ। शायद फिर देश की जनता मुसलमानों पर विश्वास करने लगेगी।

आर. के. गुप्ता