
पिछले दिनों टीवी चेनल पर स्वास्थ मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी से बड़ी उल्लेखनीय बात सुननें को मिली. ‘दुनिया भर में कोरोना से निपटनें के लिए वेक्सीन पर रिसर्च चलनें की खबरें आ रहीं हैं. क्या भारत भी इस होड़ में शामिल है?’ – ये पूछने पर एंकर को जवाब देते हुए अधिकारी नें बताया कि भारत इस होड़ में कहीं से पीछे नहीं है. और इसके साथ ही हमें ये भी ध्यान में रखना होगा कि ड्रग-मैन्युफैक्चरिंग में भारत दुनिया में एक हब की तरह बनकर उभरा है.ये हम हमारे द्वारा निर्मित्त हाइड्रोओक्सिन क्लरोकुइन सलफेट की दुनिया भर में मांग के रूप में देख चुके हैं. इसी लिए ये मानकर चलिए कि भले ही दुनिया में कहीं भी वेक्सिन की खोज हो, उसका बड़ा हिस्सा भारत में ही बनकर तैयार होने वाला है, और यहीं से तमाम देशों को मिलने वाला है. इसमें दुनिया में सर्वाधिक वेक्सिन बनाने का कीर्तिमान अपने नाम करने वाले पूना स्थित ‘सीरम इंस्टिट्यूट आफ़ इंडिया’ की बड़ी भूमिका रहने वाली है.
कोरोना-वायरस से उत्त्पन्न इस प्रतिकूल समय में बहुत कुछ ऐसा भी गुजर रहा है जिस को लेकर देश के नाते हम स्वयं पर गर्व कर सकते हैं. इसी दौरान राज्य सभा टीवी चेनल पर दांतों की समस्या से छुटकारा पाने के लिए रूट-कैनाल थेरेपी नामक उपचार विधि पर परिचर्चा चल रही थी. स्वभाविक तौर पर एलोपेथिक डेंटिस्ट इस पर विस्तार से बता रहे थे. लेकिन इस परिचर्चा में एक आयुर्वेदिक डॉक्टर भी थे. उक्त डॉक्टर नें एंकर के पूछनें पर बताया कि कई मामलों में आयुर्वेद की विधि से उपचार करने पर पीढ़ादायक रूटकैनाल थेरेपी की जरूरत ही नहीं पड़ती. यहाँ पर बात यह है कि अभी कुछ ४- ६ वर्ष पूर्व तक टीवी चेनल पर चलने वाले किसी भी रोगोपचार के कार्यक्रम में भले ही २ से लेकर ३-३ एलोपेथी डॉक्टर को आमंत्रित कर लिया जाए, पर उनके बीच एक आयुष का डॉक्टर भी देखने को मिल ये दुर्लभ बात थी . दुनिया को भारत की इस देन को अब कम से कम अपने ही देश में महत्त्व तो मिलने लगा.
वैसे ये सच्चाई है कि कोरोना को लेकर उत्त्पन्न इम्युनिटी[रोगप्रतिरोधक क्षमता] की भूमिका व मानसिक-स्वास्थ को लेकर चिंता नें योग-आयुर्वेद के महत्व से दुनिया की पहचान कराई है. डॉक्टर चाहे जिस विधा का हो जब उससे पूछा जाता है कि दवाई के साथ-साथ मरीज़ और किस चीज़ पर भरोसा कर सकता है तो उनकी सलाह योगिक जीवन पद्धति व आयुर्वेदिक खान-पान को अपनाने पर रहती है. फिर अब तो बात इससे भी आगे बढ़ चुकी है. यहाँ तक कि देश में करोना की वेक्सिन के लिए न केवल एलोपेथी की तीन दवाओं पर बल्कि आयुष की चार देशी ओषधियों – अश्वगंधा, मुलेठी,,गुड़ची ,पीपली, आयुष-६४ पर भी ट्रायल शुरू हो चुका है-[सी एस ऍम आर के महानिदेशक डॉ शेखर सी मांडे] .
अब जरा याद करीये राहुल गाँधी की उस बात को जो कि मोदी को नीचा दिखाने के लिए वो अक्सर वोला करते थे कि ‘ भारत के लोगों नें नरेन्द्र मोदी को देश के विकास के लिए चुना था, और उन्होंने उनको बैंक खाता खुलवाने में ;योग करवाने में; और साफ़-सफाई में लगा दिया!’. स्वच्छता और योग के विषय में दुनिया की क्या राय है ये अब बताने की जरूरत नहीं. और कल्पना करीये कि आज यदि लोगों के पास अपना बैंक खाता नहीं होता तो भ्रष्टाचारी उनकी जेब में कितने पैसे पहुंचनें देते?