रतन लाल जैसे कालनेमि शिक्षकों की सघन जांच आवश्यक है

दिल्ली विश्वविद्यालय में पूरे देश के विद्यार्थी शिक्षा लेने आते है परन्तु इस विश्वविद्यालय के अनेकों शिक्षा केंद्रों में बहुत से अध्यापक ऐसे हैं जो समाज के लिए कालनेमि रूपी दानव की भूमिका निभा रहे हैं । हिन्दू कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रतन लाल ने ज्ञानवापी शिवलिंग पर अभद्र टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि यह शिवलिंग है तो लगता है इसका खतना हो चुका है । क्या इतनी हिम्मत मोहम्मद के विरुद्ध बोलने की है ,ऐसे ही कुछ अध्यापक जो धर्मयोद्धा योगिराज श्रीकृष्ण को भी रंगीला घोषित करने हेतु षड्यंत्र में लगे रहते हैं। क्या वह बुद्धिजीवी अति शिक्षित अध्यापक रसूल को भी रंगीला कहने की हिम्मत रखते हैं। सभ्य समाज जब ऐसे विषकारी शिक्षकों के विरुद्ध कुछ भी बोलता है तो वामपंथी गैंग तुरंत यह राग अलापना शुरू कर देता है कि हमें डराया जा रहा है, हमारी अभिव्यक्ति की आजादी का हनन हो रहा है । जबकि वास्तविकता यह है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत विभिन्न शिक्षा केंद्रों की जांच की जाए तो न केवल हिन्दू कालेज अपितु मिरांडा जैसे अनेकों कॉलेजों में असंख्य अध्यापक ऐसे मिल जाएंगे जो विद्यालयों में शिक्षा देने के स्थान पर वामपंथी व हिन्दू विरोधी राजनीति का बीज विद्यार्थियों के मस्तिष्क में रोपाई के लिए जाते हैं। यदि कुछ समय पूर्व की बात की जाए तो दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा कॉलेज की बहूत सी अद्यापिका सी ए ए के विरुद्ध आंदोलनों में जाने हेतु कालेज की लड़कियों को प्रेरित करती थी । लेक्चर को बंद करके कहा जाता था कि सभी लडकिया आंदोलन स्थल पर जाकर कानून का विरोध करें । जिसके चलते जो लडकिया पढ़ना चाहती थी या तो उन्हें अपनी अध्यापिका का विरोध झेलना पड़ता था या अध्यापिका के मार्गदर्शन में अन्य लड़कियों का ग्रुप तैयार कर पढ़ने वाली लड़कियों को परेशान किया जाता था । अर्थात या तो आपको सहजता से वामपंथी विचारधारा का समर्थन करना पड़ेगा अन्यथा विषम परिस्थियों का सामना करने हेतु सदैव तत्तपर रहना होगा । सरकार को ऐसे शिक्षकों की सघन जांच करवानी चाहिए । जिनका मुख्य उद्देश्य हिन्दू धर्म को अपमानित करना व देश विरोधी गतिविधियों में अप्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित होना है । ऐसे अध्यापकों को किसी आतंकवादी से कम नही कहा जा सकता जो मानसिक तौर पर युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति व राष्ट्र के विरुद्ध शिक्षा देकर उनके मस्तिष्क मे सांकेतिक आतंकवाद को जन्म दे रहे हैं । क्यूंकि यह निश्चित है की हजारों अनपढ़ आतंकीयो से ज्यादा घातक एक शिक्षित आतंकवादी होता है ।

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