-वैदिक साधन आश्रम तपोवन का परिचय, कार्य एवं कुछ अन्य जानकारियां-‘वैदिक साधन आश्रम तपोवन का 5 दिवसीय शरदुत्सव आगामी 3 अक्तूबर 2018 से आरम्भ हो रहा है’

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मनमोहन कुमार आर्य,

हम विगत कुछ वर्षों से वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून की गतिविधियों मुख्यतः इसके शरदुत्सव तथा ग्रीष्मोत्सवों में आयोजित कार्यक्रमों व प्रवचनों आदि से अपने पाठक मित्रों को जानकारी देते  हैं। रहे आश्रम का सौभाग्य है कि यहां स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती एवं आचार्य आशीष दर्शनाचार्य जी निवास करते हैं। इसके प्रधान श्री दर्शन कुमार अग्निहोत्री जी एवं मंत्री श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी हैं। यह दोनों भी ऋषि भक्त, कर्मठ एवं दानी प्रकृति के यशस्वी व्यक्तित्व हैं। यह चार विभूतियां एवं आश्रम द्वारा संचालित तपोवन विद्या निकेतन विद्यालय व इनके साथ कार्यरत टीम ही इस आश्रम के उन्नति के पर्याय हैं। मनुष्य के कार्यों में छोटी मोटी भूल या त्रुटियां हो सकती हैं। परन्तु हम समझते हैं कि उपर्युक्त चार व्यक्ति आश्रम की उन्नति के लिए सदैव सजग एवं सक्रिय रहते हैं। आश्रम ने एक भव्य चिकित्सालय भी बनाया है जो अनेक प्रकार से स्थानीय व आश्रम के लोगों की चिकित्सा में सहायक रहता है। यह भी बता दें कि इस आश्रम की स्थापना आर्यजगत् के विख्यात संन्यासी महात्मा आनन्द स्वामी जी ने अमृतसर के एक व्यवसायी बावा गुरमुख सिंह को प्रेरित कर उनकी बहुत बड़ी धनराशि से की थी। आश्रम के पास लगभग 300 बीघा भूमि है। इस आश्रम को महात्मा आनन्द स्वामी जी के जीवन काल में उनका आशीर्वाद मिलता रहा। वह वर्ष में एक या दो बार यहां आकर तप व साधना किया करते थे। अनेक विद्वान व सन्यासियों ने भी यहां रहकर योग-साधनायें की है जिनमें महात्मा प्रभु आश्रित जी तथा स्वामी योगेश्वरानन्द सरस्वती जी के नाम प्रमुख हैं। महात्मा दयानन्द जी ने भी यहां वर्षों तक रहकर आश्रम का संचालन व एक धर्माधिकारी का कार्य किया है। हमें उनके द्वारा संचालित यज्ञों में उपस्थित रहकर उनके प्रवचनों को सुनने का अवसर भी मिला है। वह उच्च कोटि के साधक, ईश्वर व वेद भक्त तथा साधु प्रकृति के देव पुरुष थे। आज उनके जैसे सीधे, सच्चे व सरल स्वभाव के मनुष्य, विद्वान व ऋषिभक्त मिलना कठिन है। यह भी बता दें आश्रम दो स्थानों पर स्थित है। दोनों स्थानों के मध्य तीन किलोमीटर की दूरी है। एक स्थान देहरादून नगर के नालापानी ग्राम में है। यह स्थान देहरादून नगर से 6 किमी. की दूरी पर है। यहां थोड़ी-थोड़ी देर में देहरादून के केन्द्रीय स्थान घंटाघर से नालापानी जाने के लिये बसें मिलती हैं। नालापानी गांव में ही वैदिक साधन आश्रम, तपोवन स्थित है। वर्ष भर उत्सव आदि सभी गतिविधियां इसी आश्रम में संचालित होती हैं। यहां से तीन किलोमीटर दूर पहाड़ियों व घने जंगलों के मध्य आश्रम की दूसरी प्रमुख इकाई है। यहां कुछ कुटियायें, वृहद यज्ञशाला, एक हाल, शौचालय आदि बने हुए हैं। विद्युत व जल की भी यहां व्यवस्था है। आसपास जंगल ही जंगल है, मानव बस्ती नहीं है। मोबाइल आदि भी कुछ कुछ काम करते हैं। साधना की दृष्टि से यह स्थान अत्युत्तम है। स्वामी चित्तेश्वरानन्द जी यहीं पर रहा करते हैं। वह अन्य आश्रमों में भी जाते रहते हैं जिनमें देहरादून का धौलास ग्राम स्थित उनका आश्रम मुख्य है। वेद पारायण यज्ञ कराने भी वह देहरादून से बाहर अनेक स्थानों पर जाते हैं। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के समीप व होली से पूर्व यहां एक मास पर्यन्त चतुर्वेद पारायण यज्ञ एवं आवासीय शिविर होता है। इस यज्ञ में भाग लेने वालों के लिये स्वाध्याय व साधना के कुछ कठोर नियम हैं जिनका पालन साधक सहर्ष करते हैं और समापन पर उनकी सराहना व प्रशंसा भी करते हैं। हमें भी पूर्णाहुति व आरम्भ के दिन इस शिविर व यज्ञ में जाने का अवसर मिलता है। इसके समाचारों से भी हम अपने फेसबुक व व्हटशप मित्रों को अवगत कराते रहे हैं। यह भी बता दें कि आश्रम की अपनी एक वृहद गोशाला भी है जहां अनेक गाये हैं। यह गोशाला दोनों आश्रमों के मध्य में पहाड़ियों पर आश्रम की भूमि में स्थित है।

सन् 2018 का शरदुत्सव आगामी अक्तूबर माह में 3 अक्तूबर से 7 अक्तूबर, 2018 को आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर यजुर्वेद पारायण यज्ञ एवं योगसाधना शिविर सहित भजन व प्रवचन एवं अनेक सम्मेलनों का आयोजन सम्पन्न होगा। यज्ञ के ब्रह्मा एवं योग साधना के निर्देशक स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी होंगे। यज्ञ व अन्य कार्यक्रमों में अनेक विद्वानों के प्रवचन सुनने का सुअवसर साधकों व ऋषि भक्तों को मिलेगा। मुख्य प्रवचनकर्ता ऋषिभक्त आर्य विद्वान श्री उमेश चन्द्र कुलश्रेष्ठ, आगरा होंगे। श्री उमेश चन्द्र कुलश्रेष्ठ जी के अनेक व्याख्यानों को हमने सुना है। उनके प्रवचन बहुत प्रभावशाली होते हैं। उनकी भाषा, शब्द व वाक्यों का चयन भी सरल एवं प्रभावशाली होता है। स्वभाव से भी आप अति उदार प्रकृति तथा दानी स्वभाव के हैं। देश भर में आर्यसमाज के उत्सवों में उन्हें बुलाया जाता है व श्रोताओं द्वारा उनके प्रवचनों को पसन्द किया जाता है। आप आगरा के एक महाविद्यालय में प्रवक्ता व प्रोफेसर रहे हैं। अतः अपनी बात को सरल शब्दों में अपने श्रोताओं को समझाने में उन्हें विशेष योग्यता प्राप्त है। हमारे प्रति भी उनका स्नेह भाव रहता है जिससे हम स्वयं को सौभाग्यशाली अनुभव करते हैं। आश्रम के उत्सव पर जो वेद पारायण यज्ञ होगा उसमें वेद मन्त्रों का पाठ गुरुकुल पौंधा के ब्रह्मचारीगण करेंगे। यज्ञ, भजन, प्रवचन एवं सभी सम्मेलन आदि कार्यक्रमों के संयोजक ऋषि भक्त विद्वान् श्री शैलेश मुनि सत्यार्थी, आर्य वानप्रस्थ आश्रम, ज्वालापुर एवं आश्रम के धर्माधिकारी पंडित सूरत राम जी होंगे। शरदुत्सव में विश्व विख्यात् भजनोपदेशक पं. सत्यपाल पथिक जी, अमृतसर एवं पं. नरेश दत्त आर्य जी भजनों व गीतों से श्रोताओं को अपनी सेवायें देंगे। हमनें इन दोनों आर्य भजनोपदेशकों को टंकारा, ऋषि उद्यान अजमेर, आर्यसमाज हिण्डोन सिटी, गुरुकुल पौंधा, गुरुकुल गौतमनगर दिल्ली आदि अनेक स्थानों पर सुनने का अवसर मिला है। यह भी बता दें कि स्वामी रामदेव जी पं. सत्यपाल पथिक जी के प्रशंसक हैं। वह उन्हीं के अधिकांश भजन गाते हैं। उन्होंने पथिक जी को जून, 2018 में हरिद्वार के एक कार्यक्रम में एक लाख के पुरस्कार से सम्मानित भी किया है। पथिक जी व उनके पुत्र श्री दिनेश पथिक जी को पतंजलि योग पीठ में बुलाकर भी उनका सम्मान किया था।

आश्रम का शरदुत्सव का कार्यक्रम प्रातः 5.00 बजे योग साधना से आरम्भ हुआ करेगा। 1 घंटा योग साधना के बाद प्रातः 6.00 बजे से 8.30 बजे तक सन्ध्या एवं यजुर्वेद पारायण यज्ञ होगा। इसके बाद प्रातःराश व विश्राम रहेगा और अगला कार्यक्रम 10.00 बजे से 12.00 बजे तक भजन, प्रवचन, सम्मेलन आदि का रहेगा। इसके साधक व श्रोता भोजन एवं विश्राम करेंगे। सायं 3.30 बजे से वेद पारायण यज्ञ पुनः आरम्भ होगा जिसके अनन्तर एक भजन व पं. उमेशचन्द्र कुलश्रेष्ठ जी का संक्षिप्त प्रवचन होगा और सायंकाल के समय सन्ध्या होगी। इसके बाद रात्रि भोजन व विश्राम होगा। रा़ित्र के समय 7.30 बजे से 9.30 बजे तक भजन, प्रवचन तथा संगीत सन्ध्या आदि कार्यक्रम सम्पन्न होंगे। रविवार 7 अक्तूबर, 2018 को दिन के 1.00 बजे कार्यक्रम का समापन होगा जिसके बाद ऋषि लंगर होकर शरदुत्सव कार्यक्रम का समापन होगा। दिल्ली से भी अनेक बसे ऋषि भक्तों को लीेकर आश्रम के सत्संग में भाग लेने के लिये आती हैं। दिल्ली के यह यात्री आरम्भ व वापसी में मसूरी, डाकपत्थर, ऋषिकेश व हरिद्वार आदि पर्यटक स्थलों पर भी जाते हैं। 4 अक्तूबर, 2018 को प्रातः 10.00 बजे से 1.00 बजे तक आश्रम के विद्यालय तपोवन विद्या निकेतन का वार्षिकोत्सव आयोजित होगा। यह कार्यक्रम अति भव्य एवं दर्शनीय होता है। श्रोताओं व ऋषिभक्त स्कूल के बच्चों में वैदिक व आर्यसमाजी संस्कार देखकर सुख व प्रसन्नता का अनुभव कर सकते हैं।

कुछ समय से देहरादून में अवैध निर्माण को ढहाया जा रहा है। देहरादून के प्रेमनगर स्थान का एक बाजार तो लगभग पूरा ही ध्वस्त किया गया है। आर्यसमाज-प्रेमनगर के बाहर का भाग भी ध्वस्त किया गया है। वैदिक साधन आश्रम तपोवन व इसके स्कूल की भी बहुत लम्बी बाउण्ड्री वाल को ढहाया गया है। अब इस दीवार का पुननिर्माण किया जा रहा है। इससे आश्रम पर लाखों रूपये का भार आ पड़ा है। इन दिनों नालापानी ग्राम में आश्रम की जो यज्ञशाला है उसके चारों ओर उत्सव के अवसर पर यज्ञ व अन्य आयोजनों के लिये चारों ओर छत का निर्माण कार्य किया जा रहा है। विगत कुछ वर्षों से वर्षा हो जाने पर यज्ञ का कार्यक्रम अस्त-व्यस्त हो जाता था। इस कार्य पर भी लाखों रूपये व्यय होने का अनुमान है। इस कार्य की स्टरिंग हो गई है। सामग्री भी आश्रम में मंगा ली गई है। अब कुछ ही दिनों में छत बन कर तैयार हो जायेगी। आश्रम के मंत्री श्री शर्मा जी ने हमें आज बताया कि इस समय जो निर्माण कार्य चल रहे हैं उनका अनुमानित व्यय लगभग 18 लाख रूपये है। आश्रम के पास धन नहीं है परन्तु शर्मा जी किसी प्रकार काम को जारी रखे हुए हैं। उन्होंने बताया कि मजदूरों व मिस्त्रियों की एक दिन की दिहाड़ी ही सात हजार रूपयों से अधिक होती है। इन सब कार्यों में स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती, आचार्य आशीष दर्शनाचार्य जी, प्रधान श्री दर्शनकुमार अग्निहोत्री जी तथा श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी का सर्वाधिक आर्थिक योगदान रहता है। इस पर भी ऐसे महद् कार्यों के लिये धन की कमी पड़ती है तो मंत्री जी कुछ तनाव व चिन्ताग्रस्त रहते हैं। शायद् यही कारण था कि आज उन्होंने हमसे इसकी चर्चा की। अतः यदि कोई दानी महानुभाव वैदिक साधन आश्रम को दान देकर सहायता करना चाहें तो वह यह शुभ कार्य कर सकते हैं। हमारी जानकारी के अनुसार आश्रम को दिया गया दान आयकर से मुक्त है। हमारा अनुमान है कि जब तक आश्रम में उपरिलिखित चार अधिकारी व विद्वान है, हमें आश्रम का भविष्य सुरक्षित लगता है। ईश्वर इन्हें दीर्घायु प्रदान करें। ‘‘वैदिक साधन आश्रम’’ नाम से केनरा बैंक, क्लाक टावर, देहरादून में आश्रम का खाता संख्या 2162101001530, प्थ्ैब् ब्वकम ब्छत्ठ0002162 है तथा ओरियन्टल बैंक आॅफ कामर्स, 17 राजपुर रोड, देहरादून में खाता संख्या 00022010029560 है। इसका प्थ्ैब् ब्व्क्म् व्त्ठब्0100002 है। दानी महानुभाव इन खातों का उपयोग कर सकते हैं। किसी भी पूछताछ के लिये आप श्री प्रेमप्रकाश शर्मा मोबाइल नं. 09412051586 एवं प्रधान श्री दर्शन कुमार अग्निहोत्री जी मोबाइल नं. 09810033799 पर सम्पर्क कर सकते हंै। आचार्य आशीष दर्शनाचार्य जी से योग प्रशिक्षण शिविर आदि विषयक जानकारी के लिये उनके मोबाइल नं. 09410506701 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

आश्रम की एक मासिक पत्रिका ‘‘पवमान’’ निकलती है। इसके सम्पादक वैदिक विद्वान डाॅ. कृष्ण कान्त वैदिक शास्त्री हैं। इन दिनों आप अस्वस्थ चल रहे हैं और दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर संस्थान में उपचाराधीन है। हम उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। हम यह भी बता दें कि अपने रोग का ज्ञान होने के बाद आपने पवमान पत्रिका का ‘‘जीवन-मृत्यु अंक’’ निकालनें का निर्णय लिया। ‘‘जन्म और मृत्यु’’ विषय पर उन्होंने एक उत्तम जानकारी से युक्त सम्पादकीय लिखा। श्री वैदिक जी ने दिल्ली में आईसीयू में रहते हुए भी ‘‘मनुष्य जन्म में मोक्ष की प्राप्ति के उपाय’’ विषयक लेख लिखा। डाॅक्टर के यह कहने पर कि वह हिन्दी नहीं जानते, आपने आईसीयू में रहते हुए ही उसका आंग्ल भाषा में अनुवाद कर उन्हें प्रदान किया। अक्तूबर, 2018 का पवमान का यह अंक प्रकाशित हो चुका है। आपने अस्पताल में इलाज कराते हुए व असहनीय पीड़ा सहन करते हुए भी आज रामलाल कपूर न्यास की प्रख्यात् ‘‘वेदवाणी’’ मासिक पत्रिका के लिये ‘‘वेद की ऋषिकाओं’’ विषयक आठ पृष्ठों का एक लेख लिखकर उसे सम्पादक जी को व्हटशप किया है। आप का वैदिक ज्ञान व साहित्य के प्रति यह अनुराग प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय है। श्री वैदिक जी को अभी लगभग 6 माह दिल्ली में उपचार के लिये रहना पड़ सकता है। हम अपनी ओर से एवं आश्रम परिवार के सभी अधिकारियों, सहयोगियों, कर्मिकों व शुभ-चिन्तकों की ओर से डाॅ. वैदिक जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं। ईश्वर उन्हें पूर्ण स्वस्थ कर दें। वह सुखी रहें और अपने ज्ञान व आर्यसमाज के प्रति अपनी श्रद्धा-भक्ति से पूर्ण लेखन आदि कार्यों से सेवायें देते रहें।

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