इन्वेस्टर समिट-स्वर्णिम मध्यप्रदेश की ओर बढते कदम

-डॉ. मयंक चतुर्वेदी

मध्यप्रदेश में विकास का जो सिलसिला प्रारंभ हुआ है उसमें दिन-प्रतिदिन नये कीर्तिमान जुडने लगे हैं जो यह बताने और समझाने के लिए पर्याप्त हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्यप्रदेश के सर्वांगीण विकास को लेकर प्रतिबध्दा है। कांग्रेस के 10 वर्ष के शासन के बाद 8 दिसंबर 2003 में बनी भारतीय जनता पार्टी की सरकार से आम जनता को प्रदेश के विकास को लेकर बहुत उम्मीदें नहीं थीं, क्योंकि पिछले शासन के दौरान इतना कुछ चरमरा गया था कि सूबे की जनता सडक-बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस गई थी। सुश्री उमा भारती ने मुख्यमंत्री बनते ही ताबडतोड जन हितैषी योजनाओं के निर्माण और क्रियान्वयन पर जोर देना प्रारंभ किया। उन्होंने पंच ‘ज’ (जन, जल, जंगल, जमीन और जानवर) को अपने कार्य का आधार बनाया।

इसके बाद 13 अगस्त 2004 में बाबूलाल गौर ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। पूर्व से ही गौर की छवि नगरीय सौंदर्यीकरण विकास पुरूष के रूप में जनता के बीच थी ही इसका लाभ मुख्यमंत्री के पद के बाद उन्हें और मिला। उन्होंने शहर के साथ गांवों पर भी विशेष ध्यान दिया। उमा भारती के कार्यकाल में प्रारंभ हुईं पंडित दीनदयाल रोजगार योजना, गोकुल ग्राम प्रकल्प, अंत्योदय उपचार योजना, समृध्दा योजना तथा संस्थागत प्रसव जैसी योजनाओं को सार्थक गति मिली। वहीं अनेक जन हितैषी योजनाओं का प्रारंभ श्री गौर के कार्यकाल में हुआ। 29 नवंबर 2005 को शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री बनते ही शिवराज सिंह ने प्रदेश के चहुँमुखी-स्वर्णिम विकास का मॉडल सभी के सामने रखा। उनके सामने अनेक चुनौतियाँ थीं। विशेषकर स्वास्थ्य, रोजगार, अधोसंरचना, जीडीपी ग्रोथ, शिक्षा,आर्थिक विकास जैसे अनेक विषय सामने थे, जिसको लेकर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता थी। मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान ने सभी पर समान ध्यान केंद्रित किया। राज्य का सभी क्षेत्रों में विकास हो यही उद्देश्य ध्यान में रखकर उन्होंने अपनी कार्यप्रणाली के आधारभूत सूत्रों का निर्माण किया। इसी के परिणाम स्वरूप वह 12 दिसंबर 2008 को पुन: प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए। शिवराज सिंह के कार्यकाल में शुरू हुईं ऐसी अनेक योजनाएँ हैं जो उन्हें एक सच्चे जननेता के रूप में प्रस्तुत करती हैं।

वस्तुत: रोजगार और समग्र विकास को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के शासन में जो ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट हुईं हैं निश्चित ही उन्होंने अपना एक अलग इतिहास रचा है। इन्वेस्टर्स समिट की यह यात्रा जनवरी 2007 में वैश्विक धरोहर और पर्यटकों को आकर्षित करने वाले स्थल खजुराहो से शुरू हुई थी, जिसने आगे चलकर इंदौर, जबलपुर, सागर और ग्वालियर का पडाव पूरा करते हुए पुन: खजुराहो की ओर मुख किया है। 22-23 अक्टूबर दो दिन खजुराहो में चलने वाली इस समिट में भी देश-विदेश के ख्यातनाम व्यवसायी भाग लेंगे और प्रदेश के स्वर्णिम विकास में अपना योगदान देने के अध्याय को स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज कराएंगे।

पिछले वर्षों में सरकार ने अधोसंरचना विकास पर सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित किया है। इस दौरान उच्च श्रेणी की 64 हजार 400 किलोमीटर लंबी सडकों का निर्माण और उन्नयन का कार्य किया गया, जिसके कारण राज्य में नये उद्योगों की स्थापना के साथ पर्यटकों की संख्या में बढोतरी और व्यापार को बढावा मिला। बिजली के मामले में निरंतर मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है। पिछले वर्षों में राज्य की स्थिति अन्य प्रदेशों से बेहतर हुई है। सरकार ने वर्ष 2013 तक पांच हजार 186 मेगावॉट विद्युत वृध्दिा का लक्ष्य रखा है। विद्युत बैंकिंग व्यवस्था के कारण 697 मिलियन बिजली प्राप्त हुई वहीं प्रदेश में पिछले 4 वर्षों से उद्योगों को निरंतर 24 घंटे बिजली प्रदान की जा रही है। सरकार ने उद्योगपतियों और निवेशकों के साथ मित्रों जैसा रिश्ता बनाने के लिए इन्वेस्टमेंट फेसिलिटेशन बिल पारित कराया, साथ ही इंदौर एसईजेड अधिनियम 2003 में आवश्यक संशोधन कर इसे पूरे प्रदेश में लागू किया गया। राज्य सरकार द्वारा अभी तक जो इन्वेस्टर्स समिट आयोजित हुईं हैं उनमें इंदौर और ग्वालियर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट सबसे अधिक सफल मानी जा सकती हैं, क्योंकि जहां खजुराहो में सिर्फ 18 एमओयू पर हस्ताक्षर किये गए, जबलपुर में 61 एमओयू, सागर में 36 एमओयू हस्ताक्षरित हुए वहीं इंदौर में 102 एमओयू तथा ग्वालियर में 62 एमओयू साइन किए गये थे।

इंदौर में 26-27 अक्टूबर 2007 दो दिन चली इन्वेस्टर्स समिट में एक लाख बीस हजार करोड रुपए के अनुबंध हुए तथा भारत से 425 और विदेशों के 125 निवेशकों ने इसमें भाग लिया था। इस समिट की सबसे बडी सफलता यह मानी जा सकती है कि वैश्विक स्तर पर मध्यप्रदेश की ब्रांडिग हुई। गुजरात, महाराष्टन्, पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक जैसी इंडस्टन्ी फे्रंडली इमेज मध्यप्रदेश की जो ग्वोबल लेवल पर नहीं बनी थी वह इंदौर इन्वेस्टर्स समिट ने उभरकर सामने आई। अलग-अलग देशों से आए उद्योगपतियों ने इस बात को सहजता से स्वीकार किया।

अभी तक इन्वेस्टर्स समिटों में मुख्यमंत्री का वन टू वन मीटिंग का फार्मूला उद्योगपतियों की समस्याओं के समाधान के लिए कारगर साबित हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान निवेशकर्ताओं की जिज्ञासाओं का समाधान अलग-अलग समूहों में करते आ रहे हैं। पिछले 3 वर्षो में 4 लाख 60 हजार करोड रूपए के कुल 321 एमओयू पर हस्ताक्षर हुए, जिनमें से 12 उद्योगों ने तो अपना उत्पादन शुरू कर दिया है। 20 अभी निर्माणाधीन हैं, 70 उद्योगों के लिए जमीन की पहचान चल रही है, 170 पर अभी सर्वे जारी है अन्य भी सरकार से विभिन्न स्तरों पर बातचीत के दौरान प्रदेश की जमीन पर शीघ्र उद्योग लगाने के प्रयास में हैं। सरकार को उम्मीद है कि खजुराहों में 22 से 23 अक्टूबर को होने वाली छठी इन्वेस्टर्स समिट में 55 हजार करोड के एमओयू साईन होंगे। फिलहाल 291 कंपनियों ने इसमें भाग लेने की अपनी स्वीकृति भेजी है। विदेशी कंपनियों से 54 प्रमुख अधिकारी शामिल होने जा रहे हैं। विशेष रूचि उत्तरी अमेरिका और मध्यपूर्व के देशों ने दिखाई है। इस बार की खजुराहों इन्वेस्टर्स समिट की सफलता के बाद निश्चित ही विकास का एक और अध्याय मध्यप्रदेश की डायरी में जुड जाएगा।

उद्योगों के द्वारा रोजगार का निर्माण और आमजन की समृद्धि यही मध्यप्रदेश भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का स्वप्न है जो अब शनै-शनै सफल प्रयोगों और कार्यों से साकार होता जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने अथक प्रयत्नों और जन हितेषी योजनाओं के निरंतर क्रियान्वयन से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के लिए आवश्यक समृद्धि और विकास का नया अध्याय खोल दिया है।

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मयंक चतुर्वेदी
मयंक चतुर्वेदी मूलत: ग्वालियर, म.प्र. में जन्में ओर वहीं से इन्होंने पत्रकारिता की विधिवत शुरूआत दैनिक जागरण से की। 11 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय मयंक चतुर्वेदी ने जीवाजी विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के साथ हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर, एम.फिल तथा पी-एच.डी. तक अध्ययन किया है। कुछ समय शासकीय महाविद्यालय में हिन्दी विषय के सहायक प्राध्यापक भी रहे, साथ ही सिविल सेवा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को भी मार्गदर्शन प्रदान किया। राष्ट्रवादी सोच रखने वाले मयंक चतुर्वेदी पांचजन्य जैसे राष्ट्रीय साप्ताहिक, दैनिक स्वदेश से भी जुड़े हुए हैं। राष्ट्रीय मुद्दों पर लिखना ही इनकी फितरत है। सम्प्रति : मयंक चतुर्वेदी हिन्दुस्थान समाचार, बहुभाषी न्यूज एजेंसी के मध्यप्रदेश ब्यूरो प्रमुख हैं।

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