स्‍वास्‍थ्‍य-योग

हैपेटाईटिस का इलाज आसान है – डा. राजेश कपूर, पारम्परिक चिकित्सक

स्वाईन फ्लू की तरह हैपेटाईटिस-बी का भी भारी आतंक अनेक वर्षों तक फैलाकर अरबों रुपया दवा कम्पनियों ने कमाया। जबकि सच यह है कि रोग से अधिक मृत्यु की घटनाएं दवा के प्रभाव से हुई। अमेरिका सहित संसार के अनेक देशों के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तथा चिकित्सकों ने हैपेटाईटिस-बी के इंजैक्शन अपने परिवार के लोगों को नहीं लगने दिये। दो वर्ष पहले पैन्सुलवैनिया की एक दर्शन की प्रोफेसर सोलन आई तो उसने प्रैस कॉन्फ्रैस में बतलाया कि उसके परिचित डाक्टर ने अपनी बेटी की हैपेटाईटिस का टीका नहीं लगाने दिया, और इसे अत्यन्त घातक बतलाया। हजारों जानकारी में आई घटनाएं हैं जिनमें इस इंजैक्शन से बच्चों की मृत्यु हो गई या वे जीवन भर के लिए विकलांग हो गए, कई बच्चे गम्भीर रूप से बीमार हो गए।

हैपेटाईटिस वास्तव में लीवर की संक्रमण से पैदा हुई खराबी है जिसे हम पीलिया के नाम से जानते हैं। अलग-अलग प्रकार के वायरस या रोगाणुओं से पैदा पीलिया को आधुनिक चिकित्सकों ने पहचान करके अलग-अलग नाम देने का काम किया है, पर विश्वास रखें की इलाज किसी भी प्रकार के पीलिया या हैपेटाईटिस का उनके (एलोपैथी) के लिये सम्भव नहीं। अभी तक इसका कोई प्रभाव दवा आधाुनिक विज्ञान नहीं बना पाया है। इसके विपरीत भारतीय पारम्पारिक चिकित्सा में इसके अनेक सरल पर पक्के इलाज हैं। हैपेटाइटिस-ए, बी, सी, आदि जो भी हो वे सब निश्चित रूप से ठीक हो सकते हैं।

रोगी में पीलिया के लक्षण नजर आने पर परहेज करवाते हुए निम्न में से कोई एक इलाज करें, प्रभु कृपा से वह ठीक हो जाएगा।

गुम्मा नामक (द्रोण पुष्पी) पौधे को पहचानते हों तो उसका एक चम्मच चूर्ण मिट्टी के बर्तन में 100 मि.ली. पानी डालकर भिगो दें। प्रात: मसल व छानकर रोगी को पिलाएं तथा प्रात: भिगोकर रात को पिला दें। 5-7 दिन में रोगी ठीक हो जाएगा। थोड़ा शहद और चने के दाने जितना कपूर मिलाकर देने से प्रभाव अधिक होगा। चूने का पानी 2-2 चम्मच दिन में 3 बार रोगी को पिलाएं यही पानी 10-15 दिन तक देते रहें। अन्य दवाओं के साथ भी इस प्रयोग को कर सकते हैं। पीली हरड़ का चूर्ण एक चम्मच तथा शहद या पुराना गुड़ (रसायनों से रहित) दिन में 2-3 बार दें। असाध्य पीलिया पर भी काम करेगा। 6 मास में एक बार 7 दिन तक इसका प्रयोग करते रहें, उल्टा-सीधा न खाएं (चाय, कॉफी, जंक फूड़) तो अम्ल पित्ता (हाईपर ऐसिडिटी, खट्टा पानी आना, बदहजमी) पूरी तरह सदा के लिए ठीक हो जाएगी।

श्योनाक (टाटबडंगा, अरलू, तलवार फली) की छाल 150-200 ग्राम चूर्ण 200-250 मि.ली. पानी में मिट्टी के पात्र में भिगोकर रोज प्रात: दोपहर, सांय 3 बार में पिला दें। रोज नया चूर्ण भिगोएं। 3-4 दिन में रोगी ठीक हो जाता है। थोड़ा मीठा (खाण्ड-मिश्री) मिलाकर देना अधिक लाभदायक होगा।

योग सन्देश में छपे लेख के अनुसार सिक्किम के एडीशनल कमीश्नर-एक्साईज ‘एम के प्रधान’ के अनुसार श्योनाक का एक अन्य प्रमाणिक प्रयोग इस प्रकार है :-

उपरोक्त प्रकार से 150ग्रा0 श्योनाक की छाल 150-200 मि.ली. पानी में रात को भिगो दें। प्रात: 200 मि.ग्रा. (2 काले चने के बराबर) शुध्द कपूर पानी से निगलकर 30 मिनट बाद श्योनाक का पानी छानकर पीने से 1 या अधिक से अधिक 3 या 4 दिन में असाध्य पीलिया या ‘हैपेटाईटिस-बी’ तक ठीक हो जाता है। सन्देह या कोई शंका सुझाव हो तो ई-मेल : gbharti791@gmail.com पर सम्पर्क करें।