—विनय कुमार विनायक
बड़ा कठिन है किसी के दिल में
थोड़ी सी जगह बना लेना
अब वक्त बदल गया है
बुरे नहीं अच्छे लोगों की होती आलोचना
जबतक कोई नक्कारा होता
सबकी आँखों का तारा होता
तबतक किसी की आँखों में नहीं खटकता
जब किसी की मेहनत रंग लाती
किसी को कोई मंजिल मिल जाती
तब वे अपने ही लोगों के दिल में
कांटों की तरह खटकने लगते
तत्क्षण लोगों के दिल से निकाल दिए जाते
जब कोई साधारण से असाधारण हो जाता
उनके लिए उनके आस पास के पड़ोसी
और सगे सम्बन्धी में घृणा द्वेष पनप जाती
बचपन का दोस्त भी कन्नी कटाने लगता
आपसी मनमुटाव हो जाता
कोई अपने समकक्ष की तरक्की पसंद नहीं करता
ज्यों ज्यों किसी की तरक्की और खुशहाली बढ़ती
त्यों त्यों मित्रता और रिश्तेदारी घटते जाती
ऐसे में अपनों से मिलना जुलना कम हो जाता
यद्यपि काम निकालने प्रभाव जमाने के लिए
उनके साथ रिश्तेदारी अवश्य बतलाता
मगर उनकी सफलता को सदा इत्तफाक समझता
उनके अस्तित्व को हमेशा नकारता
जो उनके जैसे साधारण से असाधारण बना होता
ऐसे में बड़ा कठिन है किसी के दिल में
थोड़ी सी जगह बना लेना
तथापि अपरिचित लोगों के मूल्यांकन से
उनकी विशिष्ट पहचान तो बन ही जाती
किन्तु उम्र के आखिरी पड़ाव में
हर सफल व्यक्ति बहुत तन्हा हो जाता!
—विनय कुमार विनायक