करना नहीं बहाना बापू|
आज जलेबी लाना बापू||
रोज सुबह कह कर जाते हैं,
आज जलेबी ले आयेंगे|
दादा दादी अम्मा के संग,
सभी बैठ मिलकर खायेंगे|
किंतु आपकी बातों में अब,
दिखता नहीं ठिकाना बापू|
आज जलेबी लाना बापू||
इसी जलेबी में अम्मा की,
बीमारी का राज छुपा है|
जब तक खाई गरम जलेबी,
जब तक अच्छा स्वास्थय रहा है|
एक तश्तरी गरम जलेबी,
माँ को रोज खिलाना बापू|
आज जलेबी लाना बापू||
जब जब खाती गरम जलेबी,
घुर्र घुर्र सो जाती दादी|
वैसे तो कहती रहती है,
नींद न आती नींद न आती|
कितना अच्छा वृद्ध जनों को,
नीँद मजे की आना बापू |
आज जलेबी लाना बापू||
जैसे पर्वत जंगल जंगल,
हमको मिलती शुद्ध हवा है|
वैसे ही तो गरम जलेबी,
सौ दवाओं की एक दवा है|
गरम जलेबी में होता है,
मस्ती भरा खजाना बापू |
आज जलेबी लाना बापू||
दादाजी को गरम जलेबी,
खाना बहुत बहुत भाता है|
खाकर खुशियों का गुब्बारा,
आसमान में उड़ जाता है|
हर दिन गरम जलेबी लाकर,
अपना धर्म निभाना बापू |
आज जलेबी लाना बापू||