भारतीय सेना में जासूसी : गद्दारों को मिले कड़ी से कड़ी सजा

सेना में जासूसी के बढ़ते मामले
– योगेश कुमार गोयल
भारतीय सेना में जासूसी के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जो देश की सुरक्षा की दृष्टि से गहन चिंता का विषय हैं। पहले वायुयेना का एक वरिष्ठ अधिकारी अरूण मारवाह और अब थलसेना का एक अधिकारी सेना में जासूसी के आरोप में दबोचा गया है। हालांकि एक देश द्वारा दूसरे देश की सैन्य जासूसी कराने के मामले कोई नई बात नहीं है बल्कि सदियों से यह सब चलता आ रहा है। कभी इस कार्य के लिए खूबसूरत लड़कियों को जासूस बनाकर दूसरे देश इसी कार्य के लिए भेजा जाता था, जिन्हें ‘विषकन्या’ नाम दिया जाता था। माताहारी जैसी बेहद खूबसूरत जासूसों के किस्से प्रायः सुने ही होंगे, जिन्हें दूसरे देशों में वहां के सैन्य अधिकारियों को उनकी खूबसूरती के जाल में फंसाकर उस देश की जासूसी के लिए भेजा जाता था। उस समय इन विषकन्याओं को जासूसी के आरोप में पकड़े जाने पर सजा के रूप में गोली से उड़ा दिया जाता था किन्तु अब जासूसी के तौर-तरीके बदल गए हैं। आज भी भले ही इस कार्य के लिए महिलाओं को इस्तेमाल किया जाता हो किन्तु आधुनिक तकनीक और साइबर व सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के चलते इन्हें दूसरे देश भेजने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती बल्कि अपने ही देश में रहकर ये महिला जासूस या ऐसे ही छद्म जासूस इन्हीं आधुनिक तकनीकों के सहारे यह काम बखूबी कर रहे हैं। सोशल मीडिया के सहारे की जाने वाली इस तरह की जासूसी को ही ‘हनी ट्रैप’ नाम दिया गया है।
दुश्मन देश की सैन्य रणनीति के राज जानने के लिए खूबसूरत महिलाओं को जासूस रूपी हथियार बनाकर जासूसी के लिए इस्तेेमाल करना ही ‘हनीट्रैप’ कहलाता है। ‘हनी ट्रैप’ अर्थात् शहद जैसा ऐसा मीठा जाल, जिसमें फंसने वाले सेना अधिकारियों को आभास तक नहीं होता कि वो किस जाल में फंसते जा रहे हैं। दुश्मन देश की रणनीति जानने के लिए आज लगभग सभी देश ‘हनीट्रैप’ का सहारा ले रहे हैं और आजकल इसके लिए फेसबुक तथा व्हाट्सएप का काफी इस्तेमाल हो रहा है। अमेरिका, रूस, चीन, जापान सरीखे विकसित देशों में हनीट्रैप के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं। हनीट्रैप के लिए देश की खुफिया एजेंसियां महिला जासूसों को ये जिम्मेदारी सौंपती हैं, जिसके बदले में उन्हें मोटी कीमत अदा की जाती है।
हालांकि किसी देश की सैन्य जासूसी करते हुए दूसरे देश के जासूसों का पकड़ा जाना एक सामान्य बात है लेकिन जब जासूसी के ऐसे मामलों में दुश्मन देश के लिए जासूसी करते हुए अपने ही देश में अपने ही देश के लोग और वो भी अपनी ही सेना के बड़े अधिकारी पकड़े जाने लगें तो वाकई चिंता की बात है। ‘हनीट्रैप’ में फंसकर दिल्ली से वायुसेना अधिकारी मारवाह और जबलपुर से एक थलसेना अधिकारी द्वारा सेना की आंतरिक खुफिया जानकारियां पाकिस्तान के लिए लीक करने के मामलों ने सैन्य सुरक्षा को लेकर हमारी चिंताएं बढ़ा दी हैं। ऐसे आरोप अक्सर लगते रहे हैं कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ‘आईएसआई’ हनीट्रैप के ही सहारे भारतीय सैन्य अधिकारियों को फंसाने के लिए षड्यंत्र रचती रही है और अब इन दो बड़े सेना अधिकरियों के हनीट्रैप में फंसकर बहुत सारी महत्वपूर्ण जानकारियां लीक करने के मामलों की पुष्टि होने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि आईएसआई अपने मंसूबों में कहीं न कहीं सफल भी हो रही है, जो चिंताजनक है।
हनीट्रैप से जुड़ी महिला जासूस पहले फंसाये जाने वाले शख्स से दोस्ती करती है और फिर इसी दोस्ती की आड़ में उससे सैक्स चैट, सैक्स अथवा अन्य प्रकार के संबंध बनाकर उसे अपने हसीन जाल में फंसाकर ब्लैकमेल करती हैं और बदले में उससे देश से जुड़ी गोपनीय जानकारियां जुटाती हैं। जमीनी लड़ाई में भारत से पिटता रहा पाकिस्तान अब आईएसआई के माध्यम से भारतीय जवानों व अधिकारियों को ऐसी ही हसीनाओं के ‘हसीन’ जाल में फंसाकर गुप्त राज हासिल करने की जुगत में लगा है। हालांकि भारतीय सेना के कुछ लोग पहले भी दुश्मन देश को सूचनाएं लीक करने के मामले में पकड़े जाते रहे हैं लेकिन जब सेना के बड़े अधिकारी भी ऐसे देशद्रोही कृत्यों में लिप्त होकर देश के साथ इतनी बड़ी गद्दारी करते पकड़े जाने लगें तो स्थिति की गंभीरता को आसानी से समझा जाता है।
अरूण मारवाह वायुसेना मुख्यालय में ज्वाइंट डायरेक्टर (ऑपरेशन) के पद पर तैनात था और इतने बड़े पद पर तैनाती के कारण ही उसे वायुसेना के कई खुफिया ऑपरेशनों की तैयारियों की पूरी जानकारी थी, जिनमें से साइबर युद्धक्षेत्र, अंतरिक्ष एवं विशेष अभियानों जैसे कई गुप्त ऑपरेशनों से जुड़ी जानकारियां उसने सैक्स चैट के बदले फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम से अपनी कथित महिला मित्र (पाकिस्तानी जासूस) को भेजी। कुछ इसी प्रकार जबलपुर वर्कशाला में तैनात थल सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल ने भी हनीट्रैप में फंसकर सेना से जुड़ी कुछ बेहद गुप्त जानकारियां पाकिस्तानी महिला जासूस के साथ सांझा की, जिसके एवज में उसके बैंक खाते में बड़ी रकम का लेन-देन भी हुआ बताया जा रहा है। इससे पहले 2014 में सेना के मेरठ सैन्य क्षेत्र में तैनात सुनीत कुमार को फेसबुक के जरिये आईएसआई एजेंट पूनम प्रकाश तथा रिया को सेना की महत्वपूर्ण सूचनाएं लीक करने के आरोप में दबोचा गया था। अगस्त 2014 में आंध्र प्रदेश की सिकंदराबाद छावनी की 151 एमसी/एमएफ डिटैचमेंट में तैनात पाटन कुमार पोद्दार को भी फेसबुक के माध्यम से अनुष्का अग्रवाल नामक पाक जासूस के सम्पर्क में आने के बाद उसे खुफिया जानकारियां देने के आरोप में पकड़ा गया था। दिसम्बर 2015 में भटिंडा एयरफोर्स स्टेशन में तैनात रंजीत के. के. को सोशल मीडिया पर दामिनी मैकनॉट नामक महिला जासूस के सम्पर्क में आने के बाद सेना से जुड़ी अहम जानकारियां लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
बहरहाल, सैन्य बलों द्वारा भले ही सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर अपने अधिकरियों को कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हुए हों, फिर भी सोशल मीडिया का दुरूपयोग करते हुए सैन्य अधिकारियों द्वारा देश के साथ इस प्रकार गद्दारी करना सेना के लिए भी सिरदर्द बन गया है। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार अपने पद, तैनाती, यूनिफॉर्म तथा किसी प्रकार से अपने कार्य से जुड़ी सूचनाएं देना प्रतिबंधित है। यह सही है कि अपने घर-परिवार से लंबे समय से दूर देश की सीमाओं या दुर्गम स्थानों पर तैनात जवानों व अधिकारियों के लिए परिवार से सम्पर्क बनाने के लिए आधुनिक संचार माध्यम या सोशल मीडिया अच्छे माध्यम हैं लेकिन सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल से दुश्मन उसका अनुचित लाभ न उठा सके, इसीलिए सेना द्वारा ये दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं लेकिन इतने कठोर नियमों के बावजूद सेना के लालची अधिकारी या जवान अगर दुश्मन देश की हसीन जासूसों के मायावी जाल में फंसकर देश के साथ गद्दारी कर बैठते हैं, तो यह अक्षम्य अपराध ही माना जाना चाहिए और ऐसे मामलों की अदालत में त्वरित सुनवाई कराकर ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दिलानी चाहिए। सेना के प्रबंधन तंत्र को भी कुछ ऐसे पुख्ता इंतजाम करने होंगे ताकि साइबर और सोशल मीडिया के जरिये हो रही इस तरह की जासूसी की घटनाओं पर अंकुश लग सके।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress