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नरेश भारतीय की कविता – संकल्प कर, संकल्प कर

imagesशूरवीरों की हुंकार भर

गांडीव की टंकार कर

नरसिंह की दहाड़ सा

अपमान के प्रतिशोध का

भारत के युवा रक्त

संकल्प कर, संकल्प कर.

 

मां भारती पुकारती

निज भाग्य को धिक्‍कारती

संतप्‍त वह

संत्रस्‍त है

चीन, पाक पूर्ववत्

सतत् षड्यंत्र व्‍यस्‍त हैं.

 

पाप का भरता घड़ा

फूटने को है मगर

अनजान क्यों शासक यहां

स्वाधीन हैं हम अब भी कहां

आत्मा को बेच कर

स्वार्थ साधन में क्यों मस्त हैं?

 

शांतिवार्ताओं के नाम पर

वे युद्ध को उकसा रहे

और हम गिड़गिड़ा रहे?

सच सामने लाते नहीं

घुसपैठ है या आक्रमण

हौसले क्यों पस्त हैं?

 

प्राण देने को हम खड़े

पाक का नापाक मन

चीन का चिन्‍तन मनन

क्यों करें हम अब सहन

पुत्रवीर अब तू जाग फिर

संकल्प कर, संकल्प कर.

 

मां भारती पुकारती

शत्र को ललकारती

दुर्गा भवानी की जय बोल कर

उस रक्त का टीका लगा

जो शहीदों के सर से बहा

नमन कर शत शत उन्हें.

 

अपमान का प्रतिशोध ले

सिंह गर्जना का वक्त है

प्रमाद का तू त्याग कर

गांडीव की टंकार कर

अब वेग से तू वार कर

संकल्प कर, संकल्प कर….